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नोएडा सेक्टर 24 के (NTPC) भवन के सामने धरने पर बैठी महिलाओं की तबीयत ठंड से हुई खराब, कड़कड़ाती ठंड में धरना रखने पर सुखवीर खलीफा पर उठे प्रश्न

नोएडा सेक्टर 24 के (NTPC) भवन के सामने धरने पर बैठी 25 महिलाओं की तबीयत खराब होने के बाद उन्हें जिला अस्पताल में एडमिट कराया गया है । महिलाओं की तबीयत खराब होने के समाचार आने के बाद किसान नेताओं ने प्राधिकरण के अधिकारियों पर उनकी मांगे ना मानने के आरोप लगाते हुए धरना जारी रखने के संकेत दिए हैं। स्मरण रहे कि देर रात तक किसानों व अधिकारियों की हुई कई घंटे बैठक हुई किंतु बैठक के बाद भी नहीं कोई समाधान नहीं निकला ।

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इसी बीच धरना प्रदर्शन में महिलाओं ने पूरी रात टेंट के नीचे गुजारी जिसके बाद सर्दी से करीब 25 महिलाओं की तबीयत खराब हो गई । सभी महिलाओं को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया

किसान नेता सुखबीर खलीफा के नेतृत्व में शुरू हुए इस धरने की टाइमिंग पर भी आप प्रश्न उठ रहे हैं 25 महिलाओं के कड़कड़ाती ठंड में बैठने से बीमार होने के बाद तमाम लोगों ने तभी जुबान में कहना शुरू किया है कि इन नेताओं ने धरने के नाम पर गरीब और बुजुर्ग महिलाओं को ठंड में बैठा दिया है और उनकी जान की कीमत पर सौदेबाजी करने की कोशिश की जा रही है ।

लोगों ने कहा है कि आज जब कड़कड़ाती ठंड के कारण खुले में किसी को बिना सोने देने के लिए सरकारें रेहन बसेरा जैसी सुविधाएं उपलब्ध करा रही हैं ऐसे में धरने के नाम पर गरीब और बुजुर्ग महिलाओं को खुले में बैठा देना कहां की मानवता है। अगर इन महिलाओं में किसी के साथ कुछ बुरा हो गया तो किसान नेता उसके परिवार को क्या उत्तर देंगे ।

एनसीआर खबर से बातचीत में लोगों ने कहा किसान के नाम पर प्रदर्शन करना इस जिले में फैशन बनता जा रहा है पूरे जिले में इस समय 25 से ज्यादा संगठन अलग-अलग जगह विभिन्न मांगों को लेकर पूरे वर्ष धरना प्रदर्शन करते रहते हैं और आम गरीब लोगों को बलि का बकरा बनाते रहते हैं। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के सामने 116 दिन के धरने के बाद जब समझौता हुआ था तो जिन भूमिहीनों को 40 मीटर जमीन देने की बात के नाम पर भीड़ खड़ीकी गई थी, बाद में समझौते से वही मुद्दा गायब था तब भी लोगों ने किसान नेताओं पर आरोप लगाया था कि बड़े अमीर किसानों ने अपने मतलब के मुद्दों को हल कर लिया और गरीब जनता की भावनाओ का दुरुपयोग कर लिया था

वहीं भाजपा से जुड़े एक किसान नेता ने एनसीआर खबर को बताया कि जिले में प्रधानी 2016 में समाजवादी पार्टी सरकार के द्वारा समाप्त कर दी गई थी जिसके बाद गांव में रहने वाले तमाम नेता बेरोजगार हो गए थे और उन्होंने अलग-अलग नाम से किसान संगठन बना लिए हैं ।

ऐसे में अब प्राधिकरण में अपनी खनक दिखाने के लिए वह लगातार पूरे वर्ष छोटे-छोटे आंदोलन करते रहते हैं कई किसान संगठनों में स्थिति यह है कि पिता राष्ट्रीय अध्यक्ष है बेटा प्रदेश अध्यक्ष है और उनकी पत्नी राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष है। इन तथाकथित किसान नेताओं का मुख्य काम किसान संगठन के नेता के नाम पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पढ़ने वाले टोल पर गाड़ियों के फ्री निकलने से लेकर अधिकारियों और राजनेताओं के सामने अपने आप को बड़ा नेता दिखाने की ललक ज्यादा दिखाई देती है इसीलिए इस जिले में इतने किसान संगठन लगातार आंदोलन करते रहते हैं ।

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