राजनीति

जाट आरक्षण आंदोलन का बढ़ा कारवां

केंद्रीय सेवाओं में आरक्षण को लेकर दूसरे दौर की लड़ाई को मुकाम तक पहुंचाने के लिए जाटों के तेवर बदल रहे हैं। यूपी के काफूरपुर में बेमियादी धरने पर दूसरे दिन सूरज चढ़ने तक भीड़ इतनी बढ़ी कि पांडाल छोटा पड़ गया।

इसमें महिलाओं की संख्या ज्यादा थी। साथ ही भाकियू, भाजपा, रालोद और सपा के नेता भी जाटों के सुर से अपना सुर मिलाने मंच तक पहुंच गए।

दूसरे दिन आक्रामक तेवरों के साथ जाट आरक्षण संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष चौ. उम्मेद सिंह ने दोहरा दिया कि लड़ाई जाटों की अग्निपरीक्षा साबित होगी। दूसरे दिन काफूरपुर का नजारा बदला बदला सा रहा।

रात में करीब पचास से साठ की संख्या में पंडाल के नीचे डटे आंदोलनकारियों की तादाद सूरज निकलने के साथ लगातार बढ़ती रही। धरनास्थल पर एक ओर चाय का भगौना चढ़ा था वहीं दूसरी ओर हक के लिए मंच खौल रहा था।

इधर, देर शाम तक धरने पर डटीं मायादेवी, रेखा, होमदेई, सरोज, राजवती, पालकौर आदि महिलाएं नारेबाजी व प्रदर्शन के दौरान सरकार को आगाह करती रहीं कि आने वाले दिनों में अब मोर्चा वे संभालेंगी।

ट्रैक से दूरी पर राहत में पुलिस-प्रशासन
जाट आंदोलन को लेकर कई रोज से रात को सुकून की नींद भी नहीं सोने वाली पुलिस व प्रशासनिक अफसर शुक्रवार को थोड़ी सी राहत में रहे। दरअसल, आशंका पहले ही दिन ट्रैक पर तंबू गाड़कर आंदोलन के उग्र होने की थी लेकिन किसान आदर्श विद्यालय के मैदान में आंदोलन के सीमित रहने से पुलिस और प्रशासन सुकून में रहा।

यही वजह रही कि पुलिसकर्मी पेड़ के नीचे रेलवे लाइन के किनारे आरामफरमाते रहे। हालांकि खुफिया तंत्र जरूर आंदोलनकारियों के बीच में उनके रुख को टटोलता रहा।

रागिनी और लजीज भोजन के चटकारे लेते रहे
शुक्रवार को भी काफूरपुर में धरनास्थल पर जाट अपने पारंपारिक रागिनी कार्यक्रम में खोए रहे। महिला कलाकार उनमें देशभक्ति के गीतों से जज्बा भरती रहीं। वहीं, आयोजकों दरा तैयार चूल्हे पर सुबह से ही चाय का दौर चला। जबकि सुबह काले उबले चनों के बाद दोपहर में दाल चावल और शक्कर चावल थाली में सजा।

आयोजन समिति के सदस्य भगत सिंह बोबी, व पीतम सिंह के मुताबिक आंदोलनकारियों के लिए रात में परोसने के लिए दाल और फुलके तैयार कराए जा रहे हैं। साथ में अचार का जायजा भी ले सकेंगे।

अनदेखी करके जाटों को न भड़काए सरकार: मलिक
दिल्ली में आंदोलन की कमान संभाल रहे यशपाल मलिक ने कहा कि पिछली बार की तरह समयसीमा देकर गुमराह करने की मंशा या गलतफहमी सरकार बिल्कुल नहीं पाले। हां चेतावनी भरे लहजे में इतना जरूर कहा कि जाटों की मांग या आंदोलन को अनदेखी करके उन्हें भड़काए नहीं।

मिस कॉल से करें आंदोलन का समर्थन
जाटों ने आंदोलन को फिर स हाईटेक बनाने की मुहिम भी छेड़ दी है। इस बार जाटों को ज्यादा से ज्यादा जोड़ने के लिए 9560133888 मोबाइल नंबर जारी करते हुए आहवान किया गया है कि इस नंबर पर मिस कॉल या एसएमएस भेजकर जाट लड़ाई में भागीदारी कर सकते हैं।

संघर्ष समिति के भगत सिंह बोबी ने बताया कि मिस काल अलर्ट से भारी संख्या में जाट आंदोलन से जुड़ते जा रहे हैं।

NCR Khabar Internet Desk

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