महात्मा गांधी ने किया था पहला 9/11

बीजिंग। महात्मा गांधी के अहिंसा आंदोलन का चीन से भी नाता है, क्योंकि 1906 में पूर्वी अफ्रीका के जंजीबार में हुए उनके पहले शांतिपूर्ण प्रदर्शन में सैकड़ों चीनी नागरिकों ने भी हिस्सा लिया था। यह दावा प्रमुख इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने किया है। गुहा ने एक साहित्य सम्मेलन के दौरान कहा कि पूर्वी अफ्रीका के जंजीबार की तत्कालीन सरकार के एक अध्यादेश के खिलाफ अहिंसात्मक प्रदर्शन में 8000 भारतीयों के साथ 1100 चीनियों ने हिस्सा लिया था। गुहा ने इसे दुनिया का पहला 9/11 बताया।
राजनीतिक बदलाव के लिए सशस्त्र आंदोलन के बजाय अहिंसा के रास्ते चलने के विचार के बाद 11 सितंबर 1906 को जोहानिसबर्ग में हुआ यह गांधी का पहला आंदोलन था। गुहा ने इसे दुनिया का पहला 9/11 बताया। अध्यादेश के तहत एशियाइयों को संपत्ति का मालिकाना हक नहीं था। उन्हें पहचान पत्र हमेशा साथ रखना होता था। कारोबार पर भी प्रतिबंध थे। जंजीबार सरकार के साथ पहला समझौता करने वाले गांधी, तमिलों की ओर से थांबी नायडू और चीन के प्रतिनिधि लिओन किन थे।
गुहा ने कहा कि 1906-09 के दौरान भारत-चीन के सौहार्द्र से चिढ़ी जंजीबार सरकार ने और प्रतिबंध लगाए। नतीजतन भारतीयों और चीनियों को मद्रास (चेन्नई) जाना पड़ा। यहां आने के बाद गांधी ने अपने पहले अहिंसा आंदोलन और किन से जेल में हुई उनकी चर्चा के बारे में बात की। गुहा ने कहा कि गांधी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए और भारत-चीन सौहार्द्र को रविंद्रनाथ टैगोर और फिर जवाहरलाल नेहरू ने आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि गांधी महात्मा बुद्ध के बाद सबसे ज्यादा उल्लेखनीय शख्सियत हैं। चीनी नागरिकों ने उनके नैतिक एवं राजनीतिक विचारों के निर्माण में अहम भूमिका अदा की है। बातचीत के दौरान गुहा ने औद्योगीकरण पर गांधी की दी चेतावनी के बारे में भी बात की। उन्होंने 1928 में लिखा था कि अंधाधुंध औद्योगीकरण से भारी संकट पैदा हो जाएगा। उनकी यह बात आज चीन के संदर्भ में सटीक बैठ रही है, जो प्रदूषण की मार झेल रहा है।