राजेश बैरागी । क्या सरकार के विभिन्न अंगों के एक दूसरे से सहयोग न करने पर भूमाफिया सरीखे अपराधियों के विरुद्ध कानूनी और उनके क्रियाकलापों को रोकने की कार्रवाई की जा सकती है? ग्रेटर नोएडा अधिसूचित क्षेत्र में अवैध रूप से बनाई जा रही सहारा सिटी के विरुद्ध दो दिन पहले की गई ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दौरान प्राधिकरण के साथ कमिश्नरेट पुलिस का तालमेल न होने से यह सवाल उठ खड़ा हुआ है।
विगत शनिवार को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने अधिसूचित क्षेत्र के गांव छपरौला में सैंकड़ों बीघा जमीन पर अवैध रूप से विकसित की जा रही सहारा सिटी को ध्वस्त किया। अभियान बड़ा था, इसलिए प्राधिकरण के लाव लश्कर के अलावा दो सेक्शन पीएसी के साथ सहायक पुलिस आयुक्त हेमंत उपाध्याय के नेतृत्व में थाना बादलपुर की पुलिस भी लगाई गई।
प्राधिकरण सूत्रों ने बताया कि ध्वस्तीकरण के दौरान कमिश्नरेट पुलिस का व्यवहार ब्याह में मौजूद फूफा जैसा था। पुलिस हाथ बांधे दूर खड़ी थी और बेफिक्र थी। इस कारण मौके पर विरोध कर रहे लोगों से प्राधिकरण कर्मियों को ही मुकाबला करना पड़ रहा था। बताया गया है कि पुलिस अधिकारी प्राधिकरण पर पहले से कार्रवाई न करने की तोहमत लगा रहे थे। इसके बाद प्राधिकरण द्वारा अवैध रूप से कॉलोनी विकसित कर रहे पांच कालोनाइजरों व 15 अज्ञात लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने के लिए थाना बादलपुर में तहरीर दी गई।
सूत्रों के अनुसार थाना पुलिस एफआईआर दर्ज करने को तैयार नहीं थी। प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी अन्नपूर्णा गर्ग ने डीसीपी सुनीति से बात की परंतु बात नहीं बनी। फिर प्राधिकरण और कमिश्नरेट पुलिस के टॉप ऑर्डर के बीच बात होने के बाद देर रात या आधी रात के बाद एफआईआर दर्ज हो पाई।
उल्लेखनीय है कि कमिश्नरेट पुलिस प्रणाली लागू होने के बाद से जिला प्रशासन और जिले में कार्यरत प्राधिकरणों के समक्ष सुरक्षा व ऐसे अभियानों के लिए पुलिस का सहयोग प्राप्त करना कठिन हो गया है। उधर पुलिस महकमे में यह आम धारणा है कि इस प्रकार की अवैध कॉलोनियों का निर्माण प्राधिकरणों की शह पर या अनदेखी से होता है, तो पुलिस अपनी ऊर्जा इसमें क्यों लगाए। प्राधिकरण के अधिकारी इस समस्या से पार पाने के लिए अवैध कॉलोनियों की शिकायत करने वाले विधायकों से पुलिस का सहयोग दिलाने की गुहार लगाने की योजना बना रहे हैं।
इस बीच आज सोमवार को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि कुमार एनजी ने एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाकर अवैध रूप से विकसित होने वाली कॉलोनियों में बगैर प्राधिकरण की अनुमति के बिजली कनेक्शन देने पर रोक लगा दी है। बैठक में जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने भी हिस्सा लिया। प्राधिकरण शीघ्र ही प्राधिकरण, जिला प्रशासन, पुलिस और एनपीसीएल तथा यूपीपीसीएल के अधिकारियों की एक समिति गठित करेगा जो बिजली कनेक्शन के आवेदनों पर निर्णय लियाय करेगी। बिजली कनेक्शन के आवेदन के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल भी शुरू किया जाएगा।