main news

फ्लैशबैक : एक थे ब्रजपाल चौधरी

राजेश बैरागी I 1993 में जब मैं एक सांध्य दैनिक के पत्रकार के तौर पर नोएडा पहुंचा तो नोएडा प्राधिकरण में सर्वप्रथम उन्हीं से मेरा परिचय हुआ।वे प्राधिकरण में अवर अभियंता के तौर पर कार्यरत थे परन्तु उनकी पहचान प्राधिकरण के कर्मचारियों के संगठन नोएडा एम्पलाइज एसोसिएशन के अध्यक्ष के तौर पर थी।अपने पत्रकारीय पेशे में जितने राजनीतिक लोगों से पाला पड़ा है उनमें दो लोग सबसे ऊपर हैं।

खुर्जा लोकसभा क्षेत्र से तत्कालीन सांसद अशोक प्रधान और ब्रजपाल चौधरी।इन दोनों लोगों की हनक देखते ही बनती थी। अधिकारियों से काम कराने और सामाजिक संपर्क के मामले में दोनों का कोई सानी नहीं था। ब्रजपाल चौधरी एक बार को छोड़कर हमेशा अध्यक्ष पद का चुनाव जीते। उन्होंने मुलायम सिंह यादव सरकार के दूसरे कार्यकाल में तत्कालीन प्राधिकरण अध्यक्ष नीरा यादव के समय एक साथ लगभग पौने पांच सौ संविदा कर्मियों को स्थाई कराया। कर्मचारियों के नेता की शक्ति का उन्होंने भरपूर दोहन करते हुए अकूत धन संपत्ति अर्जित की। उन्होंने वैध शादी होते हुए एक अन्य महिला को भी अपनी शरीक ए हयात बनाया और यदि आयकर विभाग छापा नहीं डालता तो संभवतः दो पत्नियां होने का राज हमेशा राज ही रहता। दोनों पत्नियों और उनसे उत्पन्न संतानों के एक समान नाम रखे। यही नहीं उनके द्वारा लगभग साढ़े तीन सौ करोड़ रुपए की अवैध कमाई करने का मामला भी उजागर हुआ।

चौधरी साहब के नाम से चर्चित ब्रजपाल चौधरी का जलवा ऐसा था कि नोएडा प्राधिकरण का कोई कर्मचारी या अधिकारी उनके सामने पड़ने से कांपता था। एक बार एक महिला के साथ यौन उत्पीड़न का मामला उछला। एकमात्र मेरे द्वारा यह समाचार पंजाब केसरी समाचार पत्र में प्रकाशित किया गया। उन्होंने उस दिन पंजाब केसरी की नोएडा आने वाली सभी प्रतियां खरीदकर यमुना में फिकवां दीं। हमने दिल्ली से गिनती की प्रतियां मंगवा कर महत्वपूर्ण स्थानों पर पहुंचाईं।शाम को मुझे नोएडा प्राधिकरण के अध्यक्ष कार्यालय से फोन आया। उधर से कहा गया,- धन्यवाद बैरागी जी, आपने आज रावण वध कर दिया है।

वे प्रोन्नति पाकर सहायक अभियंता के पद तक पहुंचे। आयकर विभाग की जांच उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकी और कुछ समय निलंबित होने के बाद उन्होंने अपने पद पर वापसी की। अपनी दूसरी पत्नी के साथ उन्होंने पूरी ईमानदारी निभाई और मूल परिवार के विरोध के बावजूद सेवानिवृत्त के बाद प्राप्त भविष्य निधि का सारा धन (लगभग 75 लाख रुपए) उसे ही दे दिया। निकटतम लोग बताते हैं कि पिछले कई वर्षों से ब्रजपाल चौधरी अपने घर में कैद होकर रह गए थे।नेतृत्व कौशल और अहंकार, भ्रष्टाचार की इस मिली-जुली शख्सियत का 14 फरवरी को निधन हो गया।

दिल्ली नोएडा, गाज़ियाबाद, ग्रेटर नोएडा समेत देश-दुनिया, राजनीति, खेल, मनोरंजन, धर्म, लाइफस्टाइल से जुड़ी हर खबर सबसे पहले पाने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें या एनसीआरखबर वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें।
Show More

Related Articles

Back to top button