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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा निर्णय- चुनावी बॉंड को असंवैधानिक बताते हुए किया निरस्त

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने  चुनावी बॉंड को असंवैधानिक बताते हुए उसे निरस्त करने का निर्णय दिया है । सुप्रीम कोर्ट ने कहा गुमनाम बॉन्ड लोगों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन हैं और राजनीतिक दलों को इस तरीके की व्यवस्था से बदले की भावना की व्यवस्था भी हो सकती है चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया। हालांकि पीठ में दो अलग विचार रहे। चीफ जस्टिस ने कहा की गुमनाम बॉन्ड काले धन पर रोक लगाने वाली योजना नहीं है इसके अन्य विकल्प हो सकते हैं

सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की आलोचना करते हुए कहा कि राजनीतिक पार्टियों को हो रही फंडिंग की जानकारी मिलना बेहद जरूरी है। इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। 

चुनावी बॉन्ड योजना के अनुसार, चुनावी बॉन्ड भारत के किसी भी नागरिक या देश में स्थापित ईकाई द्वारा खरीदा जा सकता है। कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29 (ए) के तहत पंजीकृत राजनीतिक दल और लोकसभा या विधानसभा के पिछले चुनावों में कम से कम एक प्रतिशत वोट पाने वाले दल चुनावी बॉन्ड प्राप्त कर सकते हैं। 

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