दिलीप मंडल : पक्ष-विपक्ष में सब मेरे अपने ही हैं। तीस तीस साल पुरानी दोस्ती या पहचान है। तो चुनाव चलने तक मैंने किसी के पक्ष विपक्ष में एक शब्द नहीं लिखा। लेकिन अब तो बात कही ही जा सकती हैं।
कोई बुरा भी नहीं मानेगा। #ElectionResult
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी समेत अशोक गहलोत, भूपेश बघेल और कमलनाथ ने चुनाव में तो अचानक से जाति जनगणना, ओबीसी कल्याण, “जिसकी जितनी संख्या भारी” वग़ैरह कर दिया, पर वे बताएँ कि शासन में रहने के दौरान ओबीसी के लिए या संख्या भारी के लिए कौन सा एक काम किया। करा लेते जाति जनगणना। कर्नाटक ने किया। बिहार ने किया। ओड़िसा कर रहा है। आप डीएमके या आरजेडी या जेडीयू नहीं कर पाए।
जनता &%%$£ नहीं है। ओबीसी भी &%%$£ नहीं है। आप समझते हैं। पर वे हैं नहीं।
इसके मुक़ाबले बीजेपी कहती है राम मंदिर देंगे तो दिया। 370 ख़त्म करेंगे तो किया। तीन तलाक़ ख़त्म करेंगे तो किया। 27 ओबीसी मंत्री केंद्र में बनाए। ओबीसी आयोग को संवैधानिक बनाया। सैनिक स्कूल और नवोदय में ओबीसी आरक्षण दिया। नीट ऑल इंडिया कोटा में पहली बार ओबीसी आरक्षण दिया। ओबीसी पीएम दिया।
उसके खाते में कुछ तो है।
चुनाव के समय आप जो बोलते हैं, उसको पब्लिक पुराने काम के साथ जोड़कर देखती है कि आप पर भरोसा करना है या नहीं।
कांग्रेस ने संख्या भारी बोलकर सवर्णों को नाराज़ किया यानी मीडिया, नौकरशाही और समाज के ओपिनियन मेकर नाराज़।ओबीसी को आपने टिकट दिए नहीं, कुछ काम किया नहीं तो ओबीसी आपके लिए क्यों नाचे?
कांग्रेस दोनों तरफ़ से निचुड़ गई।
दक्षिण भारत का कांग्रेस सामाजिक न्याय की पार्टी है। उत्तर भारत में उसे सवर्ण चलाते हैं। पर वोट ओबीसी से चाहिए।
नहीं हो पाएगा। आप 2024 भी हारेंगे।
सोशल मीडिया में दिए विभिन्न विचारकों के विचारो से एनसीआर खबर का सहमत होना आवश्यक नही है