मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तमाम प्रयासो के बाबजूद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों का बिल्डर, भूमाफिया से गठजोड़ और भ्रष्टाचार खत्म नहीं हो पा रहा है । प्राधिकरण के सीईओ के आदेश भी अधिकारियों द्वारा नीचे ही दबा दिए जाते हैं ताकि बिल्डरों की मनमानी या चलती रहे और शहर में फ्लैट लेने वाला आदमी परेशान होता रहे । बिल्डरों के साथ इस गठजोड़ के चलते इस शहर में अधिकारियों ने तमाम इल्लीगल काम करवा दिए है । एनसीआर खबर पर हम आने वाले दिनो मे एक एक करके ऐसे सभी घोटालो की एक सीरीज प्रकाशित करने जा रहे है I आपके पास भी यदि कोई ऐसी जानकारी हो तो हमे उसकी सूचना दे सकते है I
आपको याद होगा बीते दिनों फ्लैट बेचने के लिए बिल्डर द्वारा एनओसी के नाम पर लाखों रुपए देने का एक समाचार एनसीआर खबर पर वरिष्ठ पत्रकार राजेश बैरागी द्वारा दिया गया था इस प्रकरण पर पीड़ित द्वारा वर्तमान सीईओ रवि एनजी के साथ बात करने के बाद रवि एनजी के व्यक्तिगत हस्तक्षेप के बाद बिल्डर ने मात्र, ₹21000/- लेकर एन ओ सी जारी कर दी थी । इसके बाद बड़ा प्रश्न यह है कि आखिर ₹21000 का प्रकरण बिल्डर द्वारा लोगों के लिए 5 और 7 लाख रुपए तक कैसे पहुंच जाता है।
अब इस मामले में एक नया खुलासा सामने आया है वरिष्ठ पत्रकार राजेश बैरागी के अनुसार ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में हाऊसिंग सोसायटी और वाणिज्यिक परिसरों के आवंटियों को बिल्डर से एन ओ सी के नाम पर गुंडा टैक्स वसूले जाने के विरुद्ध आदेश पहले से मौजूद है । सूत्रों की माने तो तत्कालीन सीईओ द्वारा इस संबंध में दिए गए एक आदेश को ठेंगा दिखा कर प्राधिकरण के अधिकारियों की शह पर बिल्डरों के द्वारा चलाए जा रहे इस गोरखधंधे की करते अब सामने आने लगी है । पूर्व सीईओ नरेन्द्र भूषण ने भी अपने आदेश की पुष्टि की है।
राजेश बैरागी के अनुसार उनके पास एक सुधी पाठक द्वारा तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी नरेन्द्र भूषण का एक आदेश है। यह पत्र पत्रांक:मु का अ/विविध/2021/2321 दिनांक 8/10/2021 है। इस पत्र में जे पी ग्रींस आदि बिल्डरों का जिक्र करते हुए बिल्डर व वाणिज्यिक विभागों के विशेष कार्याधिकारियों से संबंधित संपंत्तियों के हस्तांतरण के लिए बिल्डरों से एन ओ सी मांगे जाने के औचित्य पर स्पष्टीकरण मांगा गया था।
इस पत्र से स्पष्ट होता है कि तत्कालीन सीईओ ने बिल्डरों से एन ओ सी मांगे जाने की वयवस्था समाप्त कर दी थी। फिर भी यह कुव्यवस्था क्यू और किसकी शह पर चल रही है? प्राधिकरण के संबंधित विभागों के अधिकारियों की मिलीभगत के बगैर यह गोरखधंधा कैसे चल सकता है। आखिर किसके लिए अधिकारियों ने अपने सीईओ के आदेश को भी दबा दिया गया। इसकी जांच होना अब आवश्यक है ।
प्रश्न यह भी है कि क्या वर्तमान सीईओ रवि एनजी इस प्रकरण को लेकर कोई स्पष्ट आदेश मीडिया के माध्यम से प्रकाशित करेंगे ताकि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के भ्रष्टाचारी अधिकारियों द्वारा बिल्डर के साथ गत जोड़कर किया जा रहे हैं इस गोरख धंधे पर लगाम लग सके