तिहाड़ के नाम से हवा हुई क्रांति, कन्हैया ने जारी की माफीनामे जैसी अपील
नई दिल्ली. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के कार्यक्रम में हुई देश विरोधी नारेबाज़ी के बाद देश द्रोह के आरोप में जेल में बंद जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार के क्रांतिकारी इरादे और जोशीले तेवर तिहाड़ जेल भेजे जाने के नाम पर ही ढीले हो गए.
कन्हैया कुमार ने सीधे-सीधे माफी तो नहीं माँगी पर माफीनामे जैसी एक अपील जारी की है जिसे दिल्ली के पुलिस कमिश्नर बी एस बस्सी ने ट्विटर पर शेयर किया है.
कन्हैया की इस अपील के बाद पुलिस कमिश्नर ने कहा है कि यदि कन्हैया जमानत की अर्जी लगाता है तो पुलिस उसका विरोध नहीं करेगी. बस्सी ने संवाददाताओं से कहा, मैं व्यक्तिगत रूप से महसूस करता हूं कि एक युवा ..को संभवत: जमानत दे दी देनी चाहिये.
कन्हैया ने इस अपील में माना है कि जेएनयू में 9 फरवरी की घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी और इसकी निंदा भी की है. कन्हैया ने लिखा है, 9 फरवरी, 2016 को हमारे विश्वविद्यालय में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी, जिसकी मैं निंदा करता हूं.
उसने आगे लिखा है कि विभिन्न सूत्रों से प्राप्त विडियो में देखने के बाद पता चलता है कि जेएनयू में कुछ वहीं के और कुछ बाहर के लोग असंवैधानिक नारे लगा रहे थे. इसलिए मैं अपनी संवैधानिक प्रतिबद्धता क्र साथ उन नारों का समर्थन नहीं करता हूँ.
कन्हैया ने खत में लिखा कि मेरा नाम कन्हैया कुमार है. मेरी माता जी का नाम मीना देवी और पिताजी का नाम जयशंकर सिंह है. मैं ग्राम व पोस्ट बीहट, टोला मसनदपुर, थाना बरेजी, जिला बेगूसराय, बिहार का स्थायी निवासी हूं.
अपनी पढ़ाई के बारे में बताते हुए उसने लिखा, वर्तमान में मैं जेएनयू के आईएसआई से सोशल ट्रांसफर्मेशन इन साउथ एशिया 1994-2015 विषय पर पीएचडी कर रहा हूं. यह मेरे पीएचडी का तीसरा साल है.
कन्हैया ने लिखा कि मैं भारत के संविधान में विश्वास करता हूं तथा मेरा यह सपना है कि इसके प्रस्तावना को अक्षरश: लागू करने में अपना हर संभव योगदान कर पाऊं. मैं भारत की एकता और अखण्डता को मानता हूं एवम इसके विपरीत किसी भी असंवैधानिक कार्यो का समर्थन नहीं करता हूं.
पत्र के सबसे महत्वपूर्ण और दिलचस्प हिस्से में कन्हैया लिखता है, 9 फरवरी, 2016 को हमारे विश्वविद्यालय में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी, जिसकी मैं निंदा करता हूं. विभिन्न सूत्रों से प्राप्त वीडियो को देखने के बाद पता चलता है कि जेएनयू में, कुछ जेएनयू के तथा कुछ बाहरी लोग असंवैधानिक नारे लगा रहे है, अत: मैं अपनी संवैधानिक प्रतिबदता के साथ उन नारों का समर्थन नहीं करता हूं, तथा आप सब से अपील करना चाहता हूं कि इस संबंध में देश समाज तथा विश्वविद्यालयों में शांति न भंग की जाए.
कन्हैया ने रिमांड सुनवाई के लिए पेश किये जाने पर मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट लवलीन से भी कहा, मैंने पहले भी कहा है. मैं भारतीय हूं. मुझे देश के संविधान एवं न्यायपालिका पर पूरा विश्वास है.
उसने सुनवाई के शुरू में एक बयान में कहा, मेरे विरूद्ध मीडिया ट्रायल पीड़ादायक है. यदि मेरे विरूद्ध सबूत है कि मैं गद्दार हूं तो कृपया मुझे जेल भेज दीजिए. यदि मेरे खिलाफ सबूत नहीं है तो मीडिया ट्रायल नहीं होना चाहिए.
इसके साथ ही कन्हैया कुमार ने पटियाला हाउस अदालत की स्थिति का जायजा लेने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा भेजी गयी वकीलों की समिति से कहा कि उसके साथ पुलिस का बर्ताव अच्छा है.
उसने कहा, पुलिस के खिलाफ मेरी कोई शिकायत नहीं है. जब मुझे अदालत लाया गया तो भीड़ ने मुझ पर हमला किया था. पुलिस मुझे घेर कर अदालत कक्ष ला रही थी और उसने भीड़ से बचाने के लिए यथासंभव कोशिश की. लेकिन फिर भी, मुझे पीटा गया. कुछ पुलिस अधिकारियों पर भी हमला हुआ.
साभार : मेकिंग इंडिया