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राग बैरागी : तीन राज्यों में जीत कर भाजपा ने बिखेर दी इंडी गठबंधन की चिंदी चिंदी

राजेश बैरागी I कुछ दिन पहले देश भर के चिकित्सालयों में प्राणवायु संयंत्रों (ऑक्सीजन प्लांट्स) की मॉकड्रिल हुई थी। वर्तमान में चल रहे डेंगू मलेरिया जैसे वायरल फीवर और आने वाले संभावित रोगों के मद्देनजर।चार राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे आए। क्या यह आगामी लोकसभा चुनाव की मॉकड्रिल थी? इनमें से तीन राज्यों में भाजपा ने सभी चुनाव पूर्व सर्वेक्षण और मतदान के बाद के अनुमानों को पछाड़ते हुए अप्रत्याशित जीत हासिल की है। क्या यह परिणाम भाजपा के लिए प्राणवायु का का काम करेंगे?

इन चुनावों ने आम चुनावों के लिए तैयार हो रहे इंडी गठबंधन की चिंदी चिंदी बिखेर दी है। राज्यों में अपने हितों को सर्वोपरि रखने वाले दल लोकसभा चुनाव में एक दूसरे के प्रति समर्पित भाव रखेंगे,इस बात की कोई गुंजाइश नहीं बची है। थोड़ी सी तू तू मैं मैं के बहाने अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए थोड़ी जगह भी छोड़ने के बंधन से मुक्ति पा ली है। भाजपा के शिविर में आज राजसूय यज्ञ के पश्चात का जश्न चल रहा है। शीर्ष नेता मतदाताओं को श्रेय देते हुए हारे थके और निराश विपक्ष को उसके पाप गिना रहे हैं। क्या यह जीत हिंदुत्व, भ्रष्टाचार पर अंकुश, विकास जैसे मुद्दों पर हुई है?

मुझे लगता है कि अपवादों को छोड़कर देश में अभी भी मोदी मैजिक चल रहा है। लोग उनके अनेक बार कहे और दोहराए गए दावों की अपेक्षा उनपर अधिक विश्वास करते हैं।परंतु जैसा दिखाई दे रहा है, सबकुछ वैसा नहीं है। तीनों राज्यों में मुख्यमंत्रियों के चुनाव को लेकर अभी रस्साकसी जारी है। अपने अनुकूल लोगों को मुख्यमंत्री बनाने के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को अभी कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है। फिर भी क्षेत्रीय क्षत्रपों को साधना कठिन हो सकता है। राजस्थान में मुख्यमंत्री न बनाए जाने पर वसुंधरा राजे सिंधिया किसी भी हद तक जा सकती हैं। मध्यप्रदेश में संभवतः यही प्रतिक्रिया शिवराज सिंह चौहान की ओर से भी हो। छत्तीसगढ़ में रमन सिंह को मनाया जा सकता है परंतु मुख्यमंत्री न बनाया जाना उन्हें भी अच्छा तो नहीं लगेगा। यदि ऐसा हुआ तो निश्चित ही भाजपा के लिए तीनों राज्यों की जीत गले में अटक सकती है। उधर कांग्रेस में राजस्थान के अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच दूरियां और बढ़ेंगी। यही हाल छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और टी एन सिंहदेव के बीच होगा। मध्यप्रदेश में कमलनाथ की स्थिति बहुत कमजोर हो सकती है। तेलंगाना की जीत से कांग्रेस तीन राज्यों के घावों को सहला सकती है।

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