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संपादकीय: ग्रेटर नोएडा के ट्रैफिक में फंसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जिम्मेदार कौन ?

आखिर जिसका डर था वही हुआ, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का काफिला एक अंडरपास से गुजरने के दौरान जाम में फंस गया । थोड़ी देर की मशक्कत के बाद रूट बदलकर उनको गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी पहुंचाया गया किंतु इस सब के बीच गौतम बुद्ध नगर जिले की कमान संभाल रहे अधिकारियों की व्यवस्था (या अव्यवस्था) पर प्रश्न खड़े हो गए ।

सोशल मीडिया पर लगातार इस बात की चर्चा होती रही जब मुख्यमंत्री के काफिले के लिए भी प्रशासन जाम को नहीं खुला सका तो फिर आम आदमी के लिए रोज लगने वाले जाम की क्या बिसात है । क्या मुख्यमंत्री का रूट डिसाइड करने वाले लोगों को यह पता नहीं था की 2 दिन से लगातार बारिश के कारण जब अफ़ग़ानिस्तान बनाम न्यूजीलैंड का मैच नहीं हो पा रहा है तो मुख्यमंत्री जब सड़क पर उतरेंगे तो उनके लिए क्या क्या इंतजाम किए जाएं ।

प्रश्न यह भी खड़े हुए हैं कि बुधवार को प्रधानमंत्री के आगमन के दौरान भी क्या सड़कों पर ऐसी ही स्थिति रहेगी प्रधानमंत्री का हेलीकॉप्टर भले ही एक्सपो सेंटर में सीधे उतर जाए किंतु यहां आने वाले अन्य डेलिगेट्स तो सड़कों से ही आएंगे तो क्या आज भी इसी तरीके का अनुभव सबको होने वाला है।

प्रश्न तो ये भी है कि अंडरपास से गुजरने के रूट के लिए प्रशासन ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलकर पहले से पानी की निकासी की व्यवस्था क्यों नहीं की आखिर उसे अंडरपास में पानी कैसे भरा हुआ था। प्रश्न ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के उन अधिकारियों पर भी उठेगा जो इस क्षेत्र में लगातार विकास कार्यों का दावा करते हैं ।

यह सच है कि पर्थला से शुरू होकर परी चौक तक इन दिनों ग्रेटर नोएडा जाम की समस्या से जूझ रहा है और इसका एक प्रमुख कारण ट्रैफिक मिस मैनेजमेंट को माना जा सकता है।

निवासी कई बार यहां चौराहों पर रेड लाइट को लगाने की मांग कर चुके हैं किंतु इस और अधिकारियों का ध्यान नहीं है ट्रैफिक जाम को ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में आम बात मान लिया गया है और उसके निवारण के नाम पर ट्रैफिक पुलिस जगह-जगह बैरिकेड लगाकर या तो सर्विस लाइन बंद कर देती है या फिर शिकायतें पहुंचने पर चौराहे पर जाकर घंटे 2 घंटे में जाम को रिलीज करवाती है।

आज इस संपादकीय को लिखते हुए मुझे एक स्थानीय पुलिस अधिकारी की कही वह बात भी याद आ रही है कि पत्रकारों ओर जनता का पुलिस प्रशासन की आलोचना करना बहुत आसान है, किंतु क्या क्राइम कम हो सकता है ? क्या जाम हट सकता है । जब इस मानसिकता के अधिकारी काम कर रहे हैं तो समाधान होना मुश्किल ही है और ये परिणाम होना ही था ।

ऐसे में मुख्यमंत्री की का इस अव्यवस्था को देखना क्या ग्रेटर नोएडा निवासियों के लिए कोई शुभ समाचार लेगा या फिर मुख्यमंत्री इस बारिश का एक प्रभाव मानकर अधिकारियों को क्षमा कर देंगे ।

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