सेक्टर 49 में एक जमीन के मामले में धमकी और फिरौती मांगने को लेकर भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष पवन खटाना और सुभाष चौधरी पर फिर दर्ज करने के विरोध में किसानों ने आज सेक्टर 49 थाने का घेराव किया । किसानों ने कानून व्यवस्था हाथ में लेते हुए पुलिस कमिश्नरेट को 21 अक्टूबर तक का समय देते हुए कहा कि अगर नेताओं पर दर्ज फिर स्पंज नहीं की जाती है तो महापंचायत बुलाई जाएगी ।
क्या है प्रकरण ?
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष पवन खटाना समेत 10 लोगों पर सेक्टर 49 की एक जमीन प्रकरण में रविंद्र कुमार सिंह नाम के व्यक्ति ने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई थी और कहा था कि उसकी जमीन पर निर्माण को रोकने के लिए पवन खटाना सुभाष भाटी ने आकर मजदूरों को भगाया और काम करने से रोकते हुए एक करोड़ 30 लाख रुपए की फिरौती मांगी इसके बाद यह खबर पूरे प्रदेश में गई आई जिसके बाद आज किसान नेताओं ने इस मामले पर पुलिस थाने को ही घेर लिया। किसान नेताओं ने पुलिस पर किसान नेताओं के ऊपर आंदोलन को दबाने के लिए ऐसी एफआईआर दर्ज करने के षड्यंत्र की बात की और फिर को स्पंज करने का अल्टीमेट दिया।
पुलिस ने कहा जांच के बाद होगी कार्यवाही
पुलिस अप्रयुक्त हरिश्चंद्र ने किसान नेताओं को बताया कि पुलिस मामले की व्यवस्था कर रही है शिकायतकर्ता से संबंधित दस्तावेज तलब किए गए हैं विवेचना के बाद जो कानूनी तौर पर सही पाया जाएगा उसी के आधार पर आगे की कार्यवाही की जाएगी उन्होंने कहा पुलिस के किसान नेताओं से कोई जातीय दुश्मनी नहीं है कानून का काम कानून की परिधि में रहकर कहा जाएगा
बदल गए राजनीति के मापदंड, क्या किसान नेता कानून से ऊपर ?
वही इस मामले को लेकर जिस तरीके से किसानों ने पुलिस थाने को ही घेर लिया उसे उत्तर प्रदेश में किसानों की हठधर्मिता और कानून को सम्मान ना करने की एक परिपाटी ने भी जन्म लिया है । प्रदेश के आम लोगों में इस बात को लेकर प्रश्न उठ रहे हैं कि क्या जो भी व्यक्ति समय भीड़ इकट्ठी कर लेगा वह कानून से ऊपर हो जाएगा क्या पुलिस प्रशासन और सरकारों को इसी तरीके से किसान यूनियन के नाम पर दबाया जाता रहेगा ? क्या किसान यूनियन अब लोगो की समस्या की जगह कानून से खेलने लगी है ।
प्रश्न तो यह भी है कि जिस देश में ऐसे भी रेल मंत्री ( बाद में प्रधानमंत्री तक बने स्व लाल बहादुर शास्त्री )हुए जिन्होंने एक दुर्घटना के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया ऐसे भी नेता( लाल कृष्ण आडवाणी) हुए जिन्होंने आरोप लगने के बाद आरोप सिद्ध न होने तक चुनाव लड़ने की बात कही और दोबारा आप से बड़ी होने के बाद ही चुनाव लड़े और आज इस दौर में अब एफआईआर को रद्द करवाने के लिए आंदोलन किया जा रहे हैं। किसान नेता इस तरीके से आम जनता को क्या संदेश देना चाहते हैं क्या वाकई देश के किसान राजनीति अब अराजकता की तरफ बढ़ रही है।