ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की कार्यशैली पर अक्सर प्रश्न उठते रहते हैं संविदा पर तैनात कर्मचारी किस तरीके से अपने दायित्वों की पूर्ति करते हैं उसके कई किस्से लगातार सामने आते हैं किंतु जहां मामला धर्म का हो लोगों की आस्था और स्वास्थ्य से जुड़ा हो वहां भी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कर्मचारी अपनी काम चोरी और अकर्मण्यता से बाज नहीं आते हैं ऐसा ही मामला नवरात्रों में माता की मूर्ति के विसर्जन को लेकर सामने आ रहा है।
सबको पता है ग्रेटर नोएडा वेस्ट में 200 से ज्यादा सोसाइटिया हैं इनमें हर सोसाइटी में नवरात्रों के दौरान माता की झांकी लगाई जाती है । जिसको एनजीटी के नियमों के अनुसार नदियों में प्रवाहित या विसर्जित करना मना है ऐसे में प्राधिकरण द्वारा स्थानीय स्तर पर तालाब बनाने के आदेश हैं ताकि उनमें इन मूर्तियों को विसर्जित किया जा सके ग्रेटर नोएडा वेस्ट में इसके लिए चेरी काउंटी के पास पड़ी एक जगह पर 3 वर्ष पहले एक तालाब बनाया गया, जिसको अब छठ के लिए भी प्रयोग किया जाता है ।
ऐसे मे विसर्जन से पहले ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों की अनदेखी या लापरवाही की मिसाल सामने आई है जब दशहरे के दिन होने वाले माता की मूर्ति के विसर्जन के लिए इस तालाब के बाहरी हिस्से की जेसीबी से सफाई कर दी गई और गंदे तालाब में ही पानी भर दिया गया है जबकि डेंगू के इस दौर में प्राधिकरण के अधिकारियों को पहले इस तालाब के पानी को निकलवाना चाहिए था उसके बाद इसमें नया पानी भरवाने की कोशिश करनी चाहिए थी ऐसे में अब जब मूर्तियों के विसर्जन की तैयारी शुरू हो चुकी हैं तब इस तालाब के जो फोटो अगर आप आ रहे हैं उसमें तालाब में मौजूद पानी गंदा दिख रहा है उसमें कई जमी हुई है और प्राधिकरण के अधिकारी एक दूसरे को विजयदशमी की शुभकामनाएं देने में व्यस्त हैं ।
ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है कि क्या उत्तर प्रदेश में हिंदू आस्थाओं के सम्मान करने वाले संत योगी आदित्यनाथ की सरकार में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी हिंदू धर्म के त्योहार पर काम ना करने की अपनी आदत से बाज नहीं आ रहे हैं । क्या संविदा पर तैनात यह कर्मचारी भ्रष्टाचार के इतने आदी हो चुके हैं कि इन्हें किसी कार्यवाही का डर नहीं है या फिर जिले के नेताओं ने भी इन लोगों के साथ कोई साथ गांठ कर ली है जिससे इस तरीके की हरकतों का विरोध होना भी बंद हो गया है।