आशु भटनागर I 2007 में बिल्डर, तत्कालीन उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार और प्राधिकरण के अधिकारियों ने ग्रेटर नोएडा वेस्ट की अधोगिक भूमि के लैंड यूज को बदल कर ग्रुप हाउसिंग किया तो राष्ट्रीय राजमार्ग 24 से लगे इस हिस्से को जिले का सबसे बेहतरीन निवेश बताया गया । अफॉर्डेबल हाउसिंग और लोगों के अपने घर के सपने को दिखाकर यहां बड़े-बड़े मॉल बड़े स्कूलों अस्पतालों के रूपरेखा रखी गई ।
सपनो के शहर से बना बिल्डरों, भूमाफियाओ से परेशान लोगो का शहर
लेकिन सपनों की उड़ान दिखाते हुए बसने वाले शहर का दुर्भाग्य सपनों की शहर की जगह बिल्डरों,अधिकारियों, नेताओ और स्थानीय गांवों के बड़े किसानों और भू माफिया के पैसे कमाने का शहर बनने में बदल गया । और इनके सपनो में सरकारी अस्पताल सरकारी स्कूल और लोगों के अंतिम संस्कार के लिए शमशान घाट की योजना कहीं नहीं थी । इन किसानों ने प्राधिकरण से लीजबैक और आबादी के नाम पर जमीन वापस लेकर वहां बड़े-बड़े अवैध मार्केट खड़े कर दिए I जमीन के बदले मिले 6% के प्लॉटों पर वयवसायिक गतिविधियां चालू कर दी और शहर में समानांतर अराजक व्यवस्था खड़ी कर दी। आज ग्रेनो वेस्ट के गांवों में अवैध बिल्डर फ्लोर, मार्केट और प्लॉट्स बेचने में सभी वयस्त है । जहां बिल्डर यहां के मकान की बढ़ती कीमत और किराए की बात तो करते हैं किंतु लोगों को सुविधाओं की बात करने का नाम पर गायब हो जाते हैं।
जिसके फल स्वरुप आज 15 साल बाद ग्रेटर नोएडा वेस्ट एक अधूरा अभिशप्त शहर बन गया है और इसके लोग या तो अधूरे शहर में रहने को मजबूर हैं या अपने फ्लैट्स को पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
जीने के बाद मरने पर भी नही कोई इंतजाम
किंतु इस संघर्ष में बड़ा संघर्ष जीते जी सुविधा न पाने के बाद करने के बाद अंतिम संस्कार की जगह भी ना हो पाने का दर्द सबसे बड़ा है। यहां रहने वाले दो लाख से ज्यादा शहरी परिवार अपने परिजनों के अंतिम संस्कार के लिए यहां से 18 किलोमीटर दूर नोएडा में बने अंतिम संस्कार स्थल या गढ़ गंगा पर जाने को मजबूर है।
विडंबना ये है की आम लोगों की इस महत्वपूर्ण मांग पर स्थानीय भाजपा विधायक भाजपा सांसद से लेकर प्राधिकरण के अधिकारियों तक किसी को भी कभी ख्याल नहीं आता है । लोगों की शिकायत है कि स्थानीय विधायक स्वयं दादरी में रहते हैं इसलिए शहर की समस्याओं पर उनका ध्यान कम है और सांसद बस सोसाइटी के स्वागत कार्यक्रम मे ही दिखाई देते है I शहर के स्थानीय भाजपा नेताओं को शीर्ष नेताओ के स्वागत जैसे कार्य करने से फुर्सत नहीं रहती ।
शहर में मजबूत विपक्ष का ना होना भी इस क्षेत्र के लोगों के लिए कम दुर्भाग्य की बात नहीं है। जिले में मजबूत विपक्ष का दावा करने वाले समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नेता भी अक्सर गांव में ही दिखाई देते हैं। स्मरण रहे कि दादरी विधानसभा से भाजपा से पुनः विधायक बने मास्टर तेजपाल नागर,समाजवादी पार्टी से राजकुमार भाटी, कांग्रेस से दीपक चोटी वाला और आम आदमी पार्टी से संजय चेची जैसे सभी उम्मीदवार ग्रामीण पृष्ठभूमि के थे । और इन सभी की प्राथमिकता में हमेशा इस विधानसभा के अंतर्गत आने वाले गांव की रहे है ।
लोगो का कहना है कि प्राधिकरण के अधिकारी अगर यहाँ के गांवो की लीज बैक और आबादी के झगड़ों से बाहर निकाल कर कभी इस क्षेत्र के डेवलपमेंट के बारे में सोच पाते तो हिंडन से लगे डूब क्षेत्र के पास अवैध कब्जे को हटाकर यहां नोएडा के सैक्टर 94 की तरह अंतिम निवास स्थल बनाया जा सकता था जिसको नोएडा लोकमंच जैसी कोई गंभीर संस्था संचालन कर सकती थी किंतु ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने कभी इस बात को ध्यान ही नहीं दिया और आज लोग मरने के बाद भी मजबूर है ।
ऐसे में महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि क्या 2 लाख से ज्यादा परिवारों की निवास स्थल बना ग्रेटर नोएडा वेस्ट उनको करने के बाद समुचित व्यवस्था वाला अंतिम निवास दे पाएगा या फिर ऐसे ही अभिशप्त जीवन के बाद मृत्यु भी अभिशप्त रहेगी ।