राजेश बैरागी । क्या एक आईएएस अधिकारी के चुनाव लड़ने की संभावना के चलते गौतमबुद्धनगर भाजपा के नेता गोलबंद हो रहे हैं? इस दीपावली पर दो विपरीत ध्रुवीय नेताओं के मिलन ने न केवल इस आशंका को हवा दे दी है बल्कि स्थानीय भाजपा की राजनीति में नये समीकरणों का भी जन्म हो गया है।
यह स्थापित सत्य है कि राजनीति में कोई भी स्थाई मित्र अथवा शत्रु नहीं होता है। केंद्र और उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा की गौतमबुद्धनगर इकाई में गुटबाजी चरम स्तर पर है। सत्तारूढ़ पार्टी में इस प्रकार की गुटबाजी होना स्वाभाविक भी है। जनपद गौतमबुद्धनगर के सभी सांसद,विधायक,विधान परिषद सदस्य भाजपा से हैं।इन सभी जनप्रतिनिधियों के अपनी ही पार्टी में अपने अपने गुट हैं। इनके अलावा पार्टी के पूर्व विधायकों और पदाधिकारियों के भी अपने गुट हैं। कुछ के बीच आपसी तालमेल है जबकि अधिकांश सांसद विधायक और पार्टी पदाधिकारियों में छत्तीस का आंकड़ा है।
ऐसे ही दो विपरीत ध्रुवीय नेताओं के बीच इस दीपावली पर जुगलबंदी होती देखी गई है। सांसद डॉ महेश शर्मा और नोएडा दादरी के पूर्व विधायक और उत्तर प्रदेश गन्ना विकास संस्थान के उपाध्यक्ष नवाब सिंह नागर के बीच 2009 के लोकसभा चुनाव से गहरी अदावत रही है। डॉ महेश शर्मा कैंप को यह संदेह रहा है कि उस चुनाव में नवाब सिंह नागर ने उनकी हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।तब महेश शर्मा के मुकाबले बसपा से सुरेंद्र सिंह नागर विजयी हुए थे।
अदावत के चलते डॉ महेश शर्मा ने लोकप्रिय होने के बावजूद नवाब सिंह नागर का राजनीतिक वनवास करा दिया। हालांकि हाशिए पर चले जाने के बावजूद नवाब सिंह नागर ने पार्टी को नहीं छोड़ा और समय अनुकूल होने की प्रतीक्षा करते रहे। संभवतः अब समय बदल गया है। ऐसा यहां के पूर्व जिलाधिकारी बी एन सिंह के आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी बनने के लिए किए जा रहे प्रयासों से संभव हुआ है।
छः महीने पहले जहां भाजपा से टिकट की उम्मीद रखने वाले आधा दर्जन नेता थे, वहीं अब केवल दो लोग मैदान में दिखाई दे रहे हैं। डॉ महेश शर्मा वर्तमान सांसद होने के नाते टिकट के मुख्य दावेदार हैं जबकि बी एन सिंह को पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की पसंद बताया जा रहा है। हालांकि बी एन सिंह ने स्वयं के टिकटार्थी होने की घोषणा अभी तक नहीं की है परंतु उन्होंने क्षेत्र में लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा शुरू कर दी है।
डॉ महेश शर्मा टिकट के मामले में उनसे सर्वाधिक भयभीत बताए जाते हैं। इन्हीं परिस्थितियों के चलते इस दीपावली पर उन्होंने सपत्नीक नवाब सिंह नागर से उनके निवास पर पहुंचकर पुराने गिले शिकवों का पटाक्षेप किया। दोनों नेताओं ने इस मुलाकात की तस्वीरें एक्स पर शेयर भी कीं।
क्या दोनों नेताओं की यह स्वाभाविक मुलाकात थी? पिछली दस बारह दीपावलियां इस मुलाकात से अछूती रही थीं। समझा जा रहा है कि एक आईएएस अधिकारी के चुनाव लड़ने के भय ने दोनों नेताओं को दीपावली की शुभकामनाएं देने और स्वीकारने पर विवश किया है।