उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज मंगलवार को नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण प्रगति का निरीक्षण करने के लिए जेवर जाएंगे । बीते दिनों इसको लेकर निर्माण कर रही कंपनी ज्यूरिक ने दावा किया था कि निर्माणअधीन एयरपोर्ट के पहले फेस का 70% कार्य पूरा हो चुका है जबकि एनसीआर खबर समेत कई समाचार माध्यम ने यह दावा किया की अप्रैल में उद्घाटन का दावा कर रही कंपनी अगले दिसंबर तक भी इसके प्रथम फेस का संचालन शुरू नहीं कर पाएगी ।
मीडिया में आए ऐसे समाचारों के बाद प्रधानमंत्री के आगमन के लिए नोएडा आ रहे मुख्यमंत्री ने एक दिन पहले नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट की साइट का निरीक्षण करने का फैसला किया किंतु क्या मुख्यमंत्री अधिकारियों के बनाए जाल से इतर सच देख पाएंगे। अभी तक जारी सूचना के अनुसार यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ अरुण वीर सिंह पहले ही बीमार होने के कारण लंबी छुट्टी पर हैं उनकी जगह कार्य देख रही श्रुति ही सारी व्यवस्थाओं को संभाल रही हैं।
मुख्यमंत्री के एयरपोर्ट साइट पर पहुंचने की सूचना के साथ ही यमुना प्राधिकरण के अधिकारियों ने जेवर पहुंचने तक के रास्ते तक के किनारे बनी अवैध दुकानों को बंद कराकर ढक दिया है ।
अधिकारियों की कोशिश है कि हेलीकॉप्टर सीधा एयरपोर्ट ही उतर जाए ताकि मुख्यमंत्री यमुना प्राधिकरण में विकास के नाम पर हो रही हवा बाजी का सच ना देख पाए किंतु अगर मौसम खराब रहने के चलते हेलीकॉप्टर का उतरना मुश्किल हो तब कमियों को छुपाया जा सके।
सच यह भी है की मुख्यमंत्री के आगमन पर क्षेत्र में अधिकारियों द्वारा किसानों की जमीनों के अधिग्रहण से संबंधित समस्याओं के साथ-साथ कई किसान और सामाजिक संगठन और प्रदर्शन करने को आतुर हैं ऐसे में अधिकारियों की पूरी कोशिश है कि इन सब लोगों को मुख्यमंत्री के पास तक न पहुंचने दिया जाए ।
समस्यायों को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने लोगों की मांग गलत भी नहीं है मुख्यमंत्री जब जिले की आर्थिक राजधानी में आए तो मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में कोई एक कार्यक्रम ऐसा होना चाहिए जिसमें जिले के सामाजिक संगठनों के साथ मुलाकात की योजनाएं हो सके। मुख्यमंत्री से अपनी बात ना कह पाने वाले आम लोग भी अपनी शिकायत मुख्यमंत्री तक देने के लिए उनसे मिल पाए । इसकी व्यवस्था कि मांग गलत नहीं है।
ऐसे में बड़ा प्रश्न यही है कि मुख्यमंत्री नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट की साइट का निरीक्षण करके, यीडा, नियाल और ज्यूरिक के अधिकारियों से बैठक करके संतुष्ट हो जाएंगे, सच जान पाएंगे या फिर से एक बार अधिकारी प्रोटोकॉल की आड़ में घाल मेल करने में सफल हो जाएंगे।