दीपावली खुशियों का त्यौहार है भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने पर उनके राजतिलक की याद में हम आज भी खुशियां मनाते हैं, दिए जलाते हैं, मिलने वालों को मिठाई, उपहार और शुभकामनाएं देते हैं। इस त्योहार से देश के लाखों करोड़ों लोगों के लिए अरबों का व्यापार होता है और बाजार में जबरदस्त हलचल रहती है। 2020 के बाद से कोरोना महामारी के लगातार आने के कारण लोगों की प्राथमिकताएं बदल गई थी ऐसे में त्यौहार पर भी अपेक्षाकृत कम उत्साह और कम व्यापार रहता था।
किंतु कोविड के 3 साल बाद लोकसभा चुनावों से पहले आ रही दीपावली इस बार गौतम बुध नगर के नेताओ, व्यापारियों और समाजसेवियों के लिए खुशियों का कारण बन रही है । दरअसल 2024 के लोकसभा चुनावो की घंटी बज चुकी है और सभी नेता अपने-अपने टिकट के लिए संगठन से लेकर जिले के समाजसेवियों और प्रमुख लोगों को अपने पक्ष में करने के लिए दीपावली से बेहतर कोई अवसर नहीं मान रहे हैं । यद्धपि जिले में नेता विहीन विपक्ष अभी भी खरगोश की तरह सोया हुआ है और अपनी-अपनी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से चुनाव लड़ने न लड़ने के फैसले का इंतजार कर रहा है।
भाजपा में एक अनार पर कई है दावेदार, कोई भी कम माने जाने को नहीं तैयार
ऐसे में सबसे पहले बात सत्तारूढ़ दल भाजपा की करते हैं । जिले की लोकसभा सीट पर भाजपा से वर्तमान में दो बार के सांसद डॉक्टर महेश शर्मा है । किंतु 2024 में तीसरी बार डॉ महेश शर्मा के सामने भाजपा से ही आधे दर्जन से ज्यादा लोग टिकट की दौड़ में लगे हैं जिसमे सर्वाधिक चर्चित लोगों में पूर्व मंत्री नवाब सिंह नागर, राज्यसभा सांसद सुरेंद्र सिंह नागर और पूर्व जिला अधिकारी बी एन सिंह के नाम लगातार चर्चा में रहते हैं । अलावा खुर्जा से प्रोफेसर अजय छोकर और डॉक्टर चंद्रमणि का नाम भी अब चर्चा में आने लगा है। पहली बार डॉ महेश शर्मा के खिलाफ एंटी इन कम्पेंसी यानी जनता में भी विरोध की बातें अब सरेआम हो चली हैं नेताओं ने खुलकर अपनी दावेदारी को हवा देनी शुरू कर दी है । भाजपा में भी टिकट के दावेदारों के समर्थकों के गुट एक दूसरे पर कटाक्ष करते रहते हैं।
ऐसे में इन सभी उम्मीदवारों ने जिले में समाजसेवियों, संघ और भाजपा संगठन के प्रमुख नेताओं से लेकर छुटभैया नेताओं और पत्रकारो तक की लॉबी को दीपावली की शुभकामनाओं और गिफ्ट के सहारे साधना शुरू कर दिया है। आने वाले चुनाव के लिए नेताओं के लिए दीपावली का यह अवसर मौका बनकर आया है और कोई भी नेता इस अवसर को खोना नहीं चाहता है।
भाजपा में 5 सालों से लगातार महत्वपूर्ण पदों पर रहे कई नेताओं ने एनसीआर खबर को बताया कि एक दशक बाद पहली बार समर्थकों के लिए इन नेताओं ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है और दीपावली की शुभकामनाएं और गिफ्ट के बहाने सभी दावेदार अपने-अपने पक्ष में समर्थकों की बड़ी लाबी तैयार करने की कोशिश में लगे हुए हैं। ऐसा लगने लगा है कि इस बार सांसद का चुनाव विपक्ष के साथ नहीं बल्कि भाजपा के ही दावेदारों के बीच होने जा रहा है ।
विपक्ष का हाल बेहाल, कौन लड़ेगा चुनाव जब संगठन भी नही है तैयार
वही इस जिले में गौतम बुध नगर जिले के विपक्ष के हालात दीपावली के अवसर को त्योहार को अवसर में बदलने में नाकाम लग रहे हैं जिले में प्रमुख तौर पर समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के संगठन अपनी मौजूदगी का दावा करते रहे हैं यद्यपि इसमें समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ही प्रमुख रूप से एक्टिव है ।
किंतु दोनों ही दलों के संगठन जिले मे अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैंI जानकारों की माने तो दोनों ही राजनीतिक दलों से लोकसभा चुनाव के लिए संभावित उम्मीदवारों के नाम की चर्चा करने पर कार्यकर्ता शून्य की ओर देखने लगते हैं। बीते 10 सालों में लोकसभा चुनाव को लेकर दोनों ही दलों की राजनीति और रणनीति कहीं दिखाई नहीं देती हैI योग्य उम्मीदवार न होने का दर्द कार्यकर्ताओं के चेहरे पर पढ़ा जा सकता है।
ऐसे में समाजवादी पार्टी के गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर समेत 15 सीटों पर कांग्रेस के लिए टिकट देने की बात पर समाजवादी पार्टी कार्यकर्ता बला टली वाली स्थिति में आ जाते हैं। जानकारों की माने तो विधानसभा का चुनाव लड़ चुके राजकुमार भाटी जहां चुनाव लोकसभा के चुनाव के लिए पहले ही हाथ खड़े कर चुके हैं वहीं सुनील चौधरी भी इशारों इशारों में पार्टी के आदेश को सर माथे कहकर बचने की कोशिश करते हैं। पिछली बार विपक्ष से चुनाव लड़ चुके प्रत्याशी सतवीर गुर्जर इस बार भाजपा में है। ऐसे में पार्टी कार्यकर्ता मायूस है ।
वहीं कांग्रेस की स्थिति समाजवादी पार्टी से भी ज्यादा दयनीय हैं कभी कांग्रेस के मुख्यमंत्री एनडी तिवारी के द्वारा बसाए गए इस शहर में आज कांग्रेस का संगठन नाम मात्र को बचा है। जिले और नोएडा महानगर में संगठन के नाम पर एआईसीसी मेंबर और पदाधिकारी के अलावा समर्थकों का कोई अता-पता नहीं है। पूर्व नोएडा महानगर अध्यक्ष कृपाराम शर्मा कांग्रेस छोड़कर बसपा में जा चुके हैं तो जिला अध्यक्ष डा महेंद्र नागर समाजवादी पार्टी में जा चुके हैं। और वर्तमान नोएडा महानगर अध्यक्ष के लिए भाजपा सांसद सबके सामने पहले ही भाजपा के पैरोल पर होने की बात कह चुके हैं।
स्वयं नोएडा विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी पंखुड़ी पाठक, और दादरी विधान सभा से दीपक चोटीवाला चुनाव लड़ने के बाद से अब तक संगठन तो छोड़िए शहर से गायब है। दीपावली और लोकसभा चुनावों को लेकर उनके सोशल मीडिया अकाउंट तक पर कोई हलचल नहीं है ।
ऐसे में चुनाव कौन लड़ेगा इसको लेकर कांग्रेस के कार्यकर्ता बात घुमाने लगते हैं। बीते 15 सालों में कांग्रेस ने इस लोकसभा में किसी भी स्थानीय नेता को टिकट नहीं दिया है तो 2014 में कांग्रेस प्रत्याशी रमेश चंद तोमर का आखिरी मौके पर भाजपा में शामिल हो जाने का दर्द आज भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सालता है। जिसके कारण दीपावली जैसे त्योहार के आने पर भी संगठन के कार्यकर्ता यहां से चुनाव लड़ने की बात पर चुप हो जाते है । जिले में भाजपा के सामने टक्कर देने के लिए उन्हें भी किसी बड़े कद वाले पैराशूट नेता का इंतजार है।
ऐसे में ये दिवाली लोकसभा के टिकट वाली किसके लिए बनेगी। इसका परिणाम दीपावली के 2 महीने बाद दिखाई देगा किंतु उस टिकट के लिए कम से कम भारतीय जनता पार्टी के दावेदारों ने अपनी पार्टी के नेताओं, शहर की संस्थाओं, समाजसेवियों और पत्रकारों को गिफ्ट के बहाने अपने पक्ष में करने का मौका सबके लिए अच्छा है ।