आशु भटनागर । उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाली गौतम बुद्ध नगर के जिले कलेक्ट्रेट में अगर आप अपनी समस्या को लेकर जिलाधिकारी के पास न्याय की आस लेकर जाना चाहते हैं तो रुकिए साहब पहले आपको वहां अपनी गाड़ी खड़ी करने के लिए ₹50 पार्किंग शुल्क देना पड़ेगा ।
₹50 पार्किंग शुल्क सुनकर अगर आपको झटका लगा तो चौकिए मत क्योंकि आप किसी मॉल या सुपरमार्केट के बाहर अपनी गाड़ी खड़ी करने में भी शायद इतना पैसा नहीं देते हैं जितना वहां मौजूद पार्किंग ठेकेदार वसूल रहा है । सोशल मीडिया पर इसको लेकर लोगों ने ₹50 की पार्किंग शुल्क की रसीद के साथ शेयर किया और पूछा कि क्या जिलाधिकारी से मिलने आने वाले आम लोगों के लिए ₹50 का पार्किंग शुल्क सही है ।
जिलाधिकारी साहब, ₹50 से भी ज्यादा महत्वपूर्ण प्रश्न यह भी है कि क्या कलेक्ट्रेट में न्याय के लिए आने वाले लोगों को किसी भी तरीके का पार्किंग शुल्क देना आवश्यक है ?
इसके बाद प्रश्न यह भी उठता है कि क्या कलेक्ट्रेट और उसके बाहर सड़कों पर लगने वाला पार्किंग का ठेका सही है या फिर इस जिले के अंदर आम आदमी के लिए कोई भी सरकारी सुविधा अब शुल्क के बिना नहीं बची है । क्या यहां रहने से लेकर गाड़ी खड़ी करने तक हर चीज की भारी कीमत चुकाई जानी जरूरी है ?
यह कीमत तब सही लगती है जब आप अपने मनोरंजन के लिए या कहीं घूमने फिरने के लिए जाते हैं किंतु यदि न्याय मांगने के लिए जाने वाला पीड़ित भी यह शुल्क चुकाने को विवश है तो प्रश्न वाजिब है और इसका जवाब जिला प्रशासन और जिलाधिकारी दोनों को ही देना जरूरी है ।