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नोएडा का विवादित फोनरवा चुनाव : नाम बड़ा और दर्शन छोटे

करकड़ाती सर्दी के बीच नोएडा महानगर में इन दिनो बहुत गर्मी है जानकार बताते हैं कि नोएडा में बहुत बड़े नाम वाली किन्तु मात्र 227 सदस्यो वाली एक संस्था फोनरवा का चुनाव हो रहा है I इसके लिए बड़े अखबारो मे आधे पेज के विज्ञापन ओर आधे पेज के ही समाचार आ रहे है I यह चुनाव पहले नवंबर में होने वाला था, किन्तु विवादो के बाद अब जनवरी में हो रहा है I मात्र 227 सदस्य वाली इस संस्था के चुनाव के बारे में महानगर के लोग अब कह रहे हैं “नाम बड़े और दर्शन छोटे”। इससे पहले आप फोनरवा के चुनाव में हो रहे वर्तमान चुनाव को समझे उसे पहले समझिए फोनरवा है क्या ?

फोनरवा है क्या ?

आज से 47 साल पहले जब नोएडा बनाया गया तो उसके साथ कुछ सेक्टर बनाए गए इसी के साथ सेक्टर के अंदर लोगों की समस्याओं को प्राधिकरण तक पहुंचाने के लिए रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशंस यानी आरडब्ल्यूए बनाई गई । जैसे-जैसे नोएडा बढ़ता गया इन एसोसिएशंस की संख्या भी बढ़ी और नोएडा के राजनीतिक परिदृश्य में राजनीतिक पहचान के समक्ष अपनी पहचान बनाने के लिए वर्ष 2000 मे आरडब्ल्यूए का महासंघ यानी फोनरवा का निर्माण किया गया आरंभ मे सब कुछ सही था ओर इसमे सामाजिक संस्थाओ की भांति मात्र 2 वर्ष तक ही अध्यक्ष रहा जा सकता था 2006 मे अध्यक्ष एनपी सिंह चुने गए । नोएडा समेत देश के कई हिस्सो मे सिक्योरिटी कंपनी चलाने वाले एनपी सिंह ने फोनरवा पर ऐसा कब्जा किया कि उनसे बाहर निकलना इसके लिए मुश्किल हो गया, आरोप हैं कि एन पी सिंह ने 2 वर्ष वाले क्लाज को हटा दिया जिसके बाद तमाम चुनाव हुए किंतु एमपी सिंह का प्रभाव खत्म नहीं हुआI

जानकारों का कहना है कि प्राधिकरण के जन्म के साथ ही इसके अधिकारियों ने राजनैतिक दबाब को कम करने के लिए ऐसी सामाजिक ओर औद्योगिक संस्थाओ को खड़ा किया, ओर आगे बढ़ाया जिससे उनके उपर भ्रष्टाचार को लेकर कभी आरोप ना लगे ओर उनकी मनमानी चलती रहे I अब फोनरवा भी इसी लिए बनी या फिर नहीं ये रिसर्च ओर विमर्श का विषय है I

2019 मे एक वक्त ऐसा आया जब फोनरवा के चुनाव में किसी भी व्यक्ति को लगातार चुने जाने के खिलाफ उन्ही के साथ रहे सुखदेव शर्मा ने आवाज़ उठाई ओर रीयल एस्टेट के व्यवसाय से जुड़े योगेंद्र शर्मा एमपी सिंह पैनल को हराकर फोनरवा पर काबिज हुए । किंतु यहां मामला फिर फंस गया पहले फोनरवा में एनपी सिंह को हटाने पर जोर था और अब कमोबेश उसी स्थिति में योगेंद्र शर्मा आ चुके हैं I आज 4 साल तक उन्ही के साथ रहे राजीव गर्ग ओर सुखदेव शर्मा नए पैनल के साथ मैदान मे हैं I ऐसे में बड़ा प्रश्न फोनरवा की कार्यशैली और यहां की गुटबाजी में है ।

स्मरण रहे कि फोनरवा चुनाव डिप्टी रजिस्ट्रार के निर्देश पर नियुक्त चुनाव अधिकारी करा रहे हैं। 227 सदस्यो वाली फोनरवा मे कुल 62 लोगो ने नामांकन किया I नाम वापसी के बाद 43 लोगो 21 पदो के लिए दावेदार हैं I दुनिया कि किसी संस्था मे 20 प्रतिशत लोग चुनाव नहीं लड़ते हैं किन्तु नोएडा मे विधायक से बड़े हो रहे इस चुनाब मे ऐसा ही है I सूत्रो कि माने तो डीएम ने भी दोनों पैनल को इस बार धमकाया है जिसके बाद चुनाव पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए चुनाव बहिष्कार की धमकी दे रहे राजीव गर्ग पैनेल ने चुपचाप हामी भर दी I रोचक तथ्य ये है कि सोमवार को नामांकन वापसी के दिन राजीव गर्ग पैनल के एक भी उम्मीदवार ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया। अब चुनाव में दो पैनलों के 42 प्रत्याशी समेत महासचिव पद पर एक निर्दलीय प्रत्याशी सेक्टर 61 के आरडब्ल्यूए महासचिव राजीव चौधरी ने अपनी दावेदारी पेश की है।

फोनरवा का वर्तमान चुनाव

अब वर्तमान स्थिति में आते हैं बीते चुनाव में योगेंद्र शर्मा के साथ ही अन्य पदों पर रहे राजीव गर्ग, राजीव चौधरी आज योगेंद्र शर्मा के विरोध में हैं यह सब लोग योगेंद्र शर्मा की निरंकुशता और लगातार पद पर बने रहने की चाहत के खिलाफ खड़े हुए हैं I योगेंद्र शर्मा पर आरोप हैं कि उन्होंने जातिवाद के चलते सेक्टर 99 की एक महिला सदस्य जिमी वालिया को वादा करके भी उनका नाम कटवा दिया ताकि एक ब्राह्मण को मौका मिल सके I इसके साथ ही अपनी ही जाति से आने वाली सेक्टर 11 में अंजना भागी को अध्यक्ष पद से हटाए जाने के विवाद के बावजूद रहने दिया I

दावा है कि जिमी वालिया भी चुनाव लड़ना चाहती थी लेकिन राजनीति के चलते फीस भरने के बाबजूद उनके साथ खेल कर दिया गया I नियति देखिये, जातिवाद की आड़ मे जिन अंजना भागी को नियमो के विपरीत आने दिया उनको मजबूरी मे ही सही , विवादो के बाद सह सचिव पद से नामांकन वापस लेना पड़ा है I आपको बता दें 2 माह पहले यही अंजना भागी नामांकन ना कर पाने की स्थिति मे योगेन्द्र शर्मा के भी खिलाफ हो गयी थी I

दो महिलाओं के इस आरोप प्रत्यारोप के बीच योगेंद्र शर्मा पर कई अन्य प्रश्न खड़े हो रहे हैं I पूर्व सचिव राजीव चौधरी उन पर तमाम आरोप लगाते हुए पहले ही त्यागपत्र दे चुके हैं और इस बार महासचिव के लिए चुनाव लड़ रहे हैं वही राजीव गर्ग ने पूरा पैनल ही योगेंद्र शर्मा के खिलाफ खड़ा कर दिया है यद्यपि राजीव गर्ग की अब तक की राजनीति दबाव की राजनीति रही है

योगेंद्र शर्मा की तरह राजीव गर्ग पर भी आरोप है कि उन्होंने किसी भी पद पर वर्तमान में ना रहने वाले ओपी बंसल(बेंसला) को कोषाध्यक्ष पद पर खड़ा किया हुआ है और चुनाव समिति द्वारा उनके नामांकन को कैंसिल ना किया जाए इसके लिए आनन -फानन में प्रेस कांफ्रेंस करके चुनाव के बहिष्कार की धमकी देने जैसी हरकत भी की है । अब ऐसे मे कोई चाहे कुछ कहे कोषाध्यक्ष पद पर उनके प्रत्याशी का नामांकन निरस्त भी नहीं हुआ है I

ऐसे में अध्यक्ष पद पर 232 सदस्यों में लोगों के पास योगेंद्र शर्मा बनाम राजीव गर्ग में कम गलत को चुनना जैसी स्थिति है या फिर जीतने के लिए जो जितना वादा कर दे उसके पास जाने की स्थिति है I

वही महासचिव पद पर एक बार फिर से के के जैन बनाम सुखदेव शर्मा बनाम राजीव चौधरी के बीच संघर्ष हैI केके जैन जहां योगेंद्र शर्मा पैनल से हैं वही सुखदेव शर्मा राजीव गर्ग पैनल से हैं और कभी राजीव गर्ग के सहयोगी रहे राजीव चौधरी इस समय निर्दलीय अपने बलबूते महासचिव पद की लड़ाई लड़ रहे हैं I

केके जैन पर जिमी वालिया ने तमाम आरोप लगाते हुए कहा कि केके जैन की कार्यशैली बेहद भ्रामक है वह कई बार लोगों को आर्थिक मामलों में भ्रामक सूचनाओं देते हैं और इसी के चलते उनका नामांकन ना होने की भी स्थिति आई है I

केके जैन जी के द्वारा उनके कार्यकाल में किया गया कार्य बहुत ही लापरवाही भरा व अपने पद के प्रति कम जानकारी वाला रहा । उनकी उपलब्धियां निम्नलिखित है :-
कभी वह किसी आरडब्ल्यूए की सदस्यता के 2 बार पैसे भर देते है ।
कभी कोई पूर्ण जानकारियां नही देते , सिर्फ अपने हिसाब से व अपनी मतलब की जानकारियां देते है ।
चुनाव अधिकारी को गलत सूचना देना ।
आरडब्ल्यूए पदाधिकारियों के साथ बदतमीजी भरे लहजे से बात करना , डराना धमकाना ।
खुद की गलतियां दुसरो पर थोपना और उन्हें झूठा बोलना ।

सोशल मीडिया पर जिमी वालिया द्वारा केके जैन पर लगाए गए आरोप

वहीं सुखदेव शर्मा के बारे में कहा जा रहा है कि योगेंद्र शर्मा को पटकनी देने के लिए एनपी सिंह के दबाव में राजीव गर्ग ने सुखदेव शर्मा को खड़ा किया हैI दोनों पैनल से अलग खड़े होकर महासचिव पद पर अपना दावा ठोकने वाले निर्दलीय प्रत्याशी और सेक्टर 61 महासचिव राजीव चौधरी का दावा है कि वह इन दोनों के ही पदों पर मलाई लेने के खिलाफ जो नियम के अनुसार होगा उसको चलाने में सब की मदद करेंगे।

एनसीआर खबर नाम बड़े ओर दर्शन छोटे को चरितार्थ करने वाले फोनरवा के इस चुनाव के बारें नयी जनकारियाँ 7 जनवरी को मतदान होने तक आपके सामने लाता रहेगा I अगली कड़ियो मे आपको अन्य पदो के प्रत्याशियों के बारे मे बताएगा I

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आशु भटनागर

आशु भटनागर बीते 15 वर्षो से राजनतिक विश्लेषक के तोर पर सक्रिय हैं साथ ही दिल्ली एनसीआर की स्थानीय राजनीति को कवर करते रहे है I वर्तमान मे एनसीआर खबर के संपादक है I उनको आप एनसीआर खबर के prime time पर भी चर्चा मे सुन सकते है I Twitter : https://twitter.com/ashubhatnaagar हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I एनसीआर खबर पर समाचार और विज्ञापन के लिए हमे संपर्क करे । हमारे लेख/समाचार ऐसे ही सीधे आपके व्हाट्सएप पर प्राप्त करने के लिए वार्षिक मूल्य(501) हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : ashu.319@oksbi के जरिये देकर उसकी डिटेल हमे व्हाट्सएप अवश्य करे

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