राजेश बैरागी ।समय की अपनी गति है।उसे जब जहां पहुंचकर प्रकट होना होता है,वह हो जाता है। उसपर किसी का बस नहीं चलता।
31 बरस और 46 दिन पहले कारसेवकों ने विवादित ढांचे के तीन गुंबदों को जिस उत्साह से ढहाया था,आज उस उत्साह का चरमोत्कर्ष था। सरयू में तब से न जाने कितना जल बहकर जा चुका है। उपहास उड़ाने वाले तारीख पूछते थे और दावा करने वाले मौन रह जाते थे। आज तारीख लगी तो तारीख पूछने वाले गैरहाजिर हो गये।
अयोध्या से लेकर देश और दुनिया में चहुंओर आज राम रंग उड़ रहा था।आठ वर्षीय नातिन(पुत्री की पुत्री) ने फोन पर बताया कि आज उसने सुबह ही स्नान कर लिया। पूछने पर उसने बताया कि आज रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा है ना। हमेशा नये काम ढूंढने वाला एक स्टील फेब्रिकेटर वादा करके भी नहीं आया। फोन किया तो वह उत्साह में बोला, आज तो राम जी का दिन है ना जी तो आज नहीं कल आऊंगा।
सड़कों पर,बाजारों में दुकानदार ग्राहकों की परवाह न कर भंडारा बांटने में लगे थे। मस्त युवा कहीं पैदल तो कहीं बाइक रैली निकाल रहे थे।वे होश में थे क्योंकि आज मदिरालय बंद थे। हरिवंशराय बच्चन ने मधुशाला की भूमिका में लिखा है कि मैंने इसकी रचना में जिस मदिरा को विषय बनाया है वह राम नाम की मदिरा है। आज राम नाम की मदिरा का खुमार सिर चढ़कर बोल रहा था। इस खुमार में बेरोज़गारी, गरीबी और महंगाई का होश नहीं था। आज घर घर दीपावली मनी और हर कोई हुरियारा नजर आया।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में सागर से सरयू तक की जो बात कही उसके गहरे निहितार्थ हैं।एक मित्र अयोध्या में भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा से भाजपा को होने वाले लाभ को नकार रहे थे। विपक्ष में भरी यह नकारात्मकता ही उसके पराभव का कारण है। सत्य को स्वीकार करने से ही उसका मुकाबला किया जा सकता है।भगवान राम बार बार अयोध्या में विराजते हैं। उन्हें बड़े लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अयोध्या छोड़नी पड़ती है परंतु वे लौटकर आते अयोध्या ही हैं। आज फिर आये हैं तो स्वागत तो होना ही चाहिए। यह स्वागत ‘मैं’ ना करूं तो क्या अंतर पड़ेगा।हम सब करें तो अवश्य अंतर पड़ेगा। जय श्री राम।