राजेश बैरागी I क्या गौतमबुद्धनगर जिले की एकमात्र नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष श्रीमती गीता पंडित पालिका द्वारा कराए जा रहे विकास एवं अनुरक्षण कार्यों में मोटा कमीशन वसूल रही हैं? क्या कमीशन की मात्रा 27 प्रतिशत तक हो सकती है?पालिकाध्यक्ष पर ऐसे आरोप लगाने वाले पंद्रह सभासदों ने अपने पदों से त्यागपत्र देकर न केवल पालिका प्रमुख और सभासदों के बीच चल रही तनातनी को सतह पर ला दिया है बल्कि आठ महीने पहले ही चुनकर आयी पालिका परिषद के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया है।
पहले दो चुनावों के मुकाबले अधिक वोटों से जीत कर तीसरी बार दादरी नगरपालिका अध्यक्ष बनीं गीता पंडित के लिए यह समय कठिनाई भरा है। पालिका के पंद्रह सभासदों ने एक राय होकर अपने त्यागपत्र कल सोमवार को जिलाधिकारी कार्यालय में जमा करा दिए। उन्होंने पालिकाध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी पर भ्रष्टाचार और मनमानी के आरोप लगाए हैं। क्या पालिका में भ्रष्टाचार चरम पर है? वार्ड नं -1 से सभासद सुमित भारतीय पालिका द्वारा कराए जाने वाले कार्यों में 27 प्रतिशत तक कमीशन वसूलने के आरोप लगाते हैं। इसी प्रकार नगर की सफाई के लिए नियुक्त फर्म पर अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी के साथ सांठ-गांठ करने का आरोप लगाया है। साप्ताहिक पैंठ का ठेका हो या और कोई काम, सभी निर्णय पालिकाध्यक्ष द्वारा मनमर्जी से लिए जाते हैं।
सभासदों की न कोई पूछ है और न अधिकार। सभासद दावा करते हैं कि म्यूनिसिपल एक्ट 1916 की धारा 104 में सभासदों को पालिका के कार्यों का दायित्व देने का स्पष्ट प्रावधान है। यह केंद्र और राज्य सरकारों में मंत्रीमंडल गठन जैसा है। पालिकाध्यक्ष गीता पंडित ऐसा करने को तैयार नहीं हैं। अपनी अनदेखी और अधिकारों के अभाव में सभासदों ने सामूहिक रूप से त्यागपत्र देने का निर्णय लिया। उनके अनुसार साठ प्रतिशत सभासदों के त्यागपत्र के बाद पालिकाध्यक्ष और सदन का अस्तित्व ही नहीं बचा है। लिहाजा जिलाधिकारी अथवा उनके द्वारा नामित अधिकारी को पालिका का संचालन करना चाहिए। हालांकि अभी जिलाधिकारी द्वारा इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया गया है।