आशु भटनागर । लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से किसान आंदोलन की आग जिला गौतम बुध नगर समेत जेवर में शुरू हो गई हैI गुरुवार को जहाँ नोएडा के स्थानीय किसान दिल्ली जाने को संघर्ष करते दिखे वहीं जेवर के मेहंदीपुर गांव में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि किसानों की समस्याओं पर कोई भी राजनीतिक दल और पार्टी ध्यान नहीं दे रही है । अन्नदाता अपने हक की लड़ाई सड़कों पर बैठकर लड़ रहा है उनको कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है उन्होंने घोषणा की कि आगामी 16 फरवरी को किसानों द्वारा अपनी मांगों को लेकर पूरे देश में चक्का जाम किया जाएगा और अगर किसानों के पक्ष में कोई बात नहीं बनती है तो 14 मार्च को किसान दिल्ली के लिए कूच करेंगे । किसान नेताओं ने आरोप लगाया की जेवर के नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के कारण गांव का विस्थापन हो रहा है लेकिन किसानों को उनके घर और घर के बराबर जमीन नहीं दी जा रहीI जमीन देने वाले किसान परेशान हैं ऐसे में किसानों के साथ विकास के नाम पर चल किया जा रहा है।
जेवर में राकेश टिकैत की आहट से घबराए भाजपा विधायक धीरेंद्र सिंह, बोले सरकार मंत्रियों की समिति बना सुलझाए किसानों के मुद्दे
वहीं गुरुवार को जेवर में राकेश टिकैत द्वारा फरवरी में चक्का जाम और मार्च में दिल्ली कूच की घोषणा से जेवर से भाजपा विधायक धीरेंद्र सिंह घबराये दिख रहे हैं । उन्होंने आज उत्तर प्रदेश विधानसभा में बोलते हुए कहा कि मेरा जिला गौतम बुध नगर उत्तर प्रदेश के विकास का इंजन बनता जा रहा है मेरी विधानसभा प्रदेश की आर्थिक राजधानी बनने की ओर अग्रसर हैI मैंने आज देखा कि किसान किस प्रकार अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर आंदोलनरत है I मैं अपनी सरकार से निवेदन करूंगा कि जिन किसानों ने आगे आकर अपनी जमीन को इस प्रदेश के विकास के लिए स्वेच्छा से दिया है उनकी समस्या के समाधान के लिए सरकार राज्य स्तर पर विधायकों और मंत्रियों की ऐसी समिति का गठन करें जो वहां बैठकर किसने की समस्याओं का समाधान करें
स्मरण रहे कि अब तक नोएडा और ग्रेटर नोएडा में स्थानीय किसान नेता छोटी-छोटी लड़ाइयां लड़ते रहे हैं और उसकी आंच जेवर विधायक तक नहीं पहुंची थी । ग्रेटर नोएडा में किसानो की समस्या को लेकर बीते समय डॉक्टर रुपेश वर्मा के नेतृत्व में 100 दिन तक आंदोलन करने वाले किसानों के प्रकरण में धीरेंद्र सिंह ने समाधान के लिए एक बार कोशिश की थी किंतु हाथ जला लिए थे । तब किसानों ने स्पष्ट कहा था कि एक हाई पावर कमेटी मंत्रियों की और किसानों के साथ बननी चाहिए इसके बाद धीरेंद्र सिंह पीछे हट गए थे ।
जेवर विधान सभा में राकेश टिकैत का आना धीरेंद्र सिंह राजनीति को खतरा
राकेश टिकट के जेवर पहुंचने से धीरेंद्र सिंह क्यों घबराए हुए हैं इस पहेली को समझने से पहले यह समझते हैं कि आखिर इस क्षेत्र की राजनीति में धीरेंद्र सिंह का उदय कैसे हुआ? 2011 में यूपी के भट्टा पारसौल से कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जुझारू नेता के तौर पर सामने आकर राष्ट्रीय राजनीति में किसानों के मुद्दे को स्थापित किया था I मायावती सरकार के दौरान पुलिस की रोक के बाबजूद राहुल राहुल गांधी को अपनी मोटरसाइकिल पर बैठा कर भट्टा पारसौल ले जाने वाले कांग्रेस के कार्यकर्ता धीरेंद्र सिंह भी अचानक चर्चा में आ गए थे। क्षेत्र के किसानों के बीच से एक कांग्रेस कार्यकर्ता द्वारा तत्कालीन मायावती सरकार के सामने राहुल गांधी को वहां पहुंचाना न सिर्फ राहुल गांधी को देश की राजनीति में जन नेता के तोर पर स्थापित कर गया बल्कि क्षेत्र में किसानों के शुभचिंतक और जुझारू नेता के तौर पर धीरेंद्र सिंह की इमेज बन गई । किसानो के विश्वास और भरोसे के बीच 2012 के विधानसभा चुनाव में धीरेंद्र सिंह कांग्रेस के चुनाव पर टिकट लड़े और बेहद मामूली अंतर से चुनाव हार गएI 5 सालों में ही धीरेंद्र सिंह को किसानो की आवाज लगने वाले राहुल गांधी पर विश्वाश जाता रहा या फिर यूँ कहे कि सत्ता में रहने की ललक ने उनका विश्वाश राहुल गांधी पर कम कर दिया I
2011 में भट्टा पारसौल में राहुल गांधी के सारथी रहे और 2012 में कांग्रेस से ही चुनाव लड़ने वाले धीरेंद्र सिंह ने खुद 180 डिग्री का टर्म लेते हुए 2017 के चुनाव से पहले अचानक पाला बदल लिया I तत्कालीन चर्चाओं के अनुसार धीरेन्द्र गौतम बुध नगर से भाजपा सांसद डॉक्टर महेश शर्मा के कहने पर बीजेपी में आ गए I 2017 में मोदी लहर में बीजेपी के टिकट पर जेवर से विधायक बन गए । पार्टी बदलते ही धीरेंद्र सिंह को लगने लगा कि प्रधानमंत्री मोदी के भजन (या फिर विजन) में ही किसानों की समृद्धि है और कहते हैं कि उसके बाद सत्ता की लहर में धीरेंद्र सिंह किसानों के मुद्दे और संघर्ष को भूल गए।
भट्टा पारसौल को कुछ नही मिला, जेवर की उड़ानों के समाचार छपते रहे
कहते हैं किसानों के संघर्ष से नेताओं को जमीन मिलती रहती है किंतु किसानों को कुछ नहीं मिलता। जेवर में भी यही हुआ । 7 जनवरी 2011 को भट्टा पारसोल के जमीन के अधिग्रहण के विरोध में पुलिस और किसानों के बीच हुए हिंसक संघर्ष में दो किसान और दो पुलिस कर्मियों की जान गई थीI मायावती सरकार के दौरान राहुल गांधी ने इस मामले में किया जबरदस्त संघर्ष कई सालों तक चर्चा में रहा । मीडिया में आंदोलन के दौरान मारे गए राजपाल तेवतिया की पत्नी ओमवती के मीडिया में बयानों की माने तो वह उन्हें किसी तरीके की कोई मदद नहीं मिली उन्होंने कहा कि राहुल गांधी आए तो थे लेकिन किंतु उन्होंने कुछ नहीं किया जिसके लिए कुछ किया वह हमें पता नहीं । ऐसे में राहुल गांधी और ओमवती के बीच संपर्क का तार बने धीरेंद्र सिंह का पाला बदलते ही इस क्षेत्र से भट्टा पारसोल की चर्चाएं समाप्त हो गईI नयी सरकार में जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के अधिग्रहण के लिए किसानो की नई समस्याएं खड़ी हो गई किंतु समाधान नहीं मिलाI
अब मेहंदीपुर में जब राकेश टिकैत ने किसानों के संघर्ष को अपनी आवाज देने का फैसला किया तो संभवतः धीरेंद्र सिंह को 2011 में किसान आंदोलन से पाई हुई सत्ता हाथों से निकलती हुई दिखाई देने लगी होगीI ऐसे में आनंन-फानन में ही विधान सभा में चल रहे सत्र के दौरान धीरेंद्र सिंह ने वह मांग भी रख दी जो ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बाहर बैठे किसान आंदोलन के समय डॉक्टर रुपेश वर्मा ने धीरेंद्र सिंह के सामने रखी थीI कदाचित धीरेंद्र सिंह को लग रहा हो कि विधानसभा में किसानों के पक्ष में बोलकर वह राकेश टिकैत के सामने अपनी राजनीति को बचा लेंगे और संभवत: उनका यह दांव सही भी हो अगर पूर्व में इस तरीके के फैसले को नकार चुकी प्रदेश की योगी सरकार उनकी इस मांग को लेकर कुछ फैसला करेंI
ऐसे में यह जानने के बावजूद धीरेंद्र सिंह अगर इस मामले को विधानसभा में उठा रहे हैं तो उसके सकारात्मक और नकारात्मक दूरगामी धीरेंद्र सिंह की राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स के बीच धीरेंद्र सिंह की किसान राजनीति का दांव उनको बैकफायर कर सकता है और अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो दो बार से बीजेपी के रथ पर बैठे मोदी और योगी लहर में सत्ता का स्वाद ले रहे धीरेंद्र सिंह के लिए इस क्षेत्र में विपक्ष से बड़ी चुनौती मिल सकती है