राजेश बैरागी I समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर राहुल अवाना का चयन गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट पर चुनाव में क्या परिवर्तन ला सकता है? राजनीतिक पंडितों का अनुमान है कि इस सीट पर धनबल का इस्तेमाल बहुत अधिक होगा और भाजपा प्रत्याशी को भी अतिरिक्त ऊर्जा लगानी पड़ सकती है।
उल्लेखनीय है कि समाजवादी पार्टी ने तीन दिन के भीतर अपने पहले घोषित प्रत्याशी डॉ महेंद्र नागर को खारिज कर राहुल अवाना को टिकट दे दिया है। राहुल अवाना गंभीर प्रत्याशी साबित होंगे,यह तो अगले एक महीने में पता चलेगा परंतु जिस प्रकार पार्टी नेतृत्व ने प्रत्याशी बदलकर उन पर भरोसा जताया है,उस पर खरा उतरने के लिए चुनाव तो गंभीरता से लड़ना ही पड़ेगा।
सूत्रों ने बताया है कि टिकट पर विचार विमर्श के दौरान अखिलेश यादव के सामने राहुल अवाना ने 15-15 करोड़ रुपए के दो प्रस्ताव रखे थे। इनमें से 15 करोड़ रुपए पार्टी फंड में देने के लिए और इतने ही चुनाव में खर्च करने के लिए। लोकसभा क्षेत्र में चर्चा है कि क्या सपा नेतृत्व ने इसी प्रस्ताव से रीझकर राहुल अवाना को प्रत्याशी बनाया है। यदि यह सच है तो बसपा सुप्रीमो मायावती और अखिलेश यादव में क्या अंतर रहा। इसके साथ ही राहुल अवाना की पार्टी अध्यक्ष के समक्ष की गई कथित घोषणा को यदि सच मानें तो गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट पर इस बार धनबल के बेजा इस्तेमाल से इंकार नहीं किया जा सकता है।
हालांकि केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा प्रत्याशियों के लिए चुनाव खर्च की सीमा 95 लाख रुपए ही है। इसलिए स्थानीय चुनाव प्रशासन को भी इस सीट से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के खर्चे पर विशेष निगरानी रखनी होगी। दूसरी ओर धनबल का अधिक इस्तेमाल होने पर भाजपा प्रत्याशी डॉ महेश शर्मा के लिए भी चुनाव लड़ना आसान नहीं होगा। चुनावी मुकाबलों के विशेषज्ञ बताते हैं कि जब कोई एक प्रत्याशी चुनाव में आक्रामक तरीके अपनाता है तो दूसरे प्रत्याशी को न चाहते हुए भी आक्रामक होना ही पड़ता है। ऐसे में चाहे धनबल का इस्तेमाल हो या बाहुबल का, कोई प्रत्याशी पीछे रहने के बारे में सोच भी नहीं सकता है