आशु भटनागर I हे राम तेरी कैसी ये माया है कहीं धूप कहीं छाया है, ये तुमने कैसा दुख दीन्हा, इस बार भी सांसद डा महेश शर्मा से भाजपा ने टिकट नहीं छीना। साथ की सीट पर बैठे बैरागी जी को ऐसा बुदबुदाते सुना तो हमने पूछ लिया कि प्रभु अब तो डॉक्टर महेश शर्मा का टिकट हुए बहुत दिन हो गए। अब काहे बुदबुदा रहे है । ऐसी स्थिति से एनसीआर खबर के पूरे ऑफिस को काहे गुदगुदा रहे हैं ।
बैरागी जी बोले तुमको पता भी है, जब से शहर में डॉक्टर महेश शर्मा का टिकट क्या हुआ है, भाजपा में सन्नाटा तो विपक्ष से चुनाव लड़ना अब हारा हुआ जुआ है। अब मुझे सीता स्वयंवर के दौरान जनक का वो रूदन याद आता है कि क्या धरती वीरों से खाली हो गई है ?, सिर्फ एक वीर जो धनुष तोड़ दे उसके लिए हमारी नजर सवाली हो गई है । गौतम बुध नगर की स्थिति भी कमोबेश वही वाली हो गई है इस लोकसभा की हर सड़क, हर गली चुनाव लड़ने वालों से खाली हो गई है । तब जनक का दुख था की क्या सीता कुंवारी रह जाएगी आज हमारा दुख है की क्या गौतम बुद्ध नगर के चुनाव में डॉक्टर महेश शर्मा के सामने चुनौती बिना जुआरी रह जाएगी ।
हमने कहा गुरु इतनी भी हताशा ना बिचारो, अभी तो चुनाव की अधिसूचना भी घोषित नहीं हुई इतनी जल्दी हिम्मत न हारोI शहर में भले ही डा महेश शर्मा का भौकाल मचा हो, विपक्ष में गौतम बुद्ध नगर से लेकर लखनऊ तक हाहाकार मचा हो, पर क्या पता अभी भी विधाता का कोई चमत्कार बचा हो । हो सके, जनकपुर की हताशा भरी सभा की भांति कोई राम आ जाए और गौतम बुद्ध नगर की लोकसभा सीट पर डॉक्टर महेश शर्मा के सामने दमदार प्रत्याशी का नाम आ जाए ।
हमने कहा प्रभु आज महेश पुराण ही सुनाओगे या फिर अपनी बुदबुदाहट का रहस्य भी बताओगेI बोले रहस्य कुछ नहीं है, सारा चुनाव खत्म हो गया है, ढूंढे से विपक्ष में प्रत्याशी नहीं मिल रहे, पूरे चुनाव का आनंद खत्म हो गया है। हमने कहा इतने भी नाउम्मीद मत हो कई लोग दावा कर रहे हैं अभी भी टिकट की रेस में कई लोगों के पोस्टर सड़कों पर लग रहे हैं, हमको बीच में ही टोकते हुए बोले, गांव से बाहर ना जाने वाले, गली मौहल्ले के नेताओं, भू माफियाओं और खनन माफियाओं के नाम से अगर तुम आम जनता के सामने विकल्प बनाओगे तो मेरा यकीन मानो डॉक्टर महेश शर्मा को तुम ना हरा पाओगे ।
बोले तुम्हें बस विज्ञापन की चिंता है, मगर मेरे मन का पत्रकार भाजपा में डा के विरोधियों को भी तो गिनता है । उनके चेहरों के मलिन मुख इंता (पिचकने की स्थिति) हैI देखो कल प्रेस क्लब के होली कार्यक्रम में सब साथ खड़े थे मगर ऊपर से कुछ भी कहे सबके मुंह बस खुद में ही जड़े थे । दिल तो कहता है अगर विपक्ष को कोई उम्मीदवार न मिले तो मैं खुद चुनाव में लड़ जाऊं, यह हारे हुए खिलाड़ी अगर साथ मेरा दें तो मैं कैलाश पर्वत से भिड़ जाऊं । मेरा दावा है मैं इन सब भू माफिया, खनन माफिया से बेहतर चुनाव लड़ पाऊंगा 35 वर्षों की अपनी पत्रकारिता की साधना को सफल कर जाऊंगा ।
हमने कहा बैरागी जी थोड़ा धैर्य रखो, पत्रकार के मन पर उभर रहे राजनेता पर सैर्य (अश्ववाल नामक तृण- तिनका) रखो। स्वयं भगवान राम ने डॉक्टर महेश शर्मा को तीसरी बार मौका दिया है, विधाता ने स्वयं मोदी जी के साथ उनकी विराट जीत का इतिहास लिख दिया है। अब जिसके साथ स्वयं राम खड़े हैं, आप क्यों उनसे लड़ने को तैयार पड़े है । किसी नेता के लिए इससे बड़ा क्या प्रसाद है स्वयं तीसरी बार उसके साथ भगवान का आशीर्वाद है । इसीलिए सारा विपक्ष चुनाव से भाग रहा है, बस यह समझिए कि गौतम बुद्ध नगर का भाग्य अभी भी जाग रहा हैI इतना कहकर हम अगली खबर का विचार करने लगे और बैरागी जी विपक्ष से प्रत्याशी के नाम का इंतजार करने लगे ।