आशु भटनागरI गौतम बुद्ध नगर में अब तक हाशिए पर समझी जा रही बीएसपी ने आखिरकार होली के दिन अपने पत्ते खोल दिए है । जिले में मायावती की राजनीति और बसपा के प्रत्याशी की संभावनाओं को खत्म मान चुके लोगों के लिए इस टिकट की घोषणा के साथ ही बड़ा झटका लग गया हैI मायावती ने सबको चौंकाते हुए राजेंद्र सोलंकी के टिकट की घोषणा कर दी है । इससे पहले यह माना जा रहा था कि समाजवादी पार्टी द्वारा किसी गुर्जर को टिकट देने से बसपा भी किसी गुर्जर पर दावा आजमाएगीI ऐसे में गुर्जर वोट बटने से भाजपा प्रत्याशी डॉक्टर महेश शर्मा के लिए इस सीट पर जीत बेहद आसान हो जाएगी ।
किंतु अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने इस बार बेहद सावधानी से लोगों की इस सोच को जबरदस्त जवाब दिया है उन्होंने गौतम बुद्ध नगर सीट के ही अंतर्गत आने वाली सिकंदराबाद विधानसभा के पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह सोलंकी को टिकट देकर इस क्षेत्र की राजनीती में मायूस क्षत्रिय समुदाय की महत्वाकांक्षा को नए पंख दे दिए हैं ।
कदाचित दो बड़े दलों द्वारा ब्राह्मण और गुर्जर समुदाय को ही लगातार महत्व दिए जाने के कारण लगातार इस क्षेत्र के क्षत्रिय समाज में भाजपा और समाजवादी पार्टी दोनों के लिए आक्रोश दिख रहा था लगातार क्षत्रिय समाज के कई संगठन भाजपा का सीधा विरोध ना करके डॉक्टर महेश शर्मा का विरोध कर रहे थे किंतु असल बात क्षत्रिय समाज के बहुलता वाले इस क्षेत्र लोकसभा क्षेत्र में उनका इग्नोर किया जाने को लेकर था ।
इस क्षेत्र की डेमोग्राफी को देखें तो गौतम बुध नगर लोकसभा क्षेत्र की लगभग 26 लाख वोटर्स वाले क्षेत्र में क्षत्रिय समाज के मतदाताओं की संख्या लगभग 6 लाख है इसके बाद गुर्जर समाज के 5 लाख और ब्राह्मण समाज के 4 लाख मतदाताओं की बराबर संख्या मानी जाती है इसके साथ ही दलित के 3 लाख और 2 लाख मुस्लिम वोटर्स का भी एक बड़ा वर्ग इस क्षेत्र में निवास करता है । इनके अलावा वैश्य समाज से 1.5 लाख, कायस्थ समाज से 1लाख और पंजाबी समाज से 1लाख वोटर्स यहां बताए जाते है । इसके आलावा अन्य मिश्रित जातियों के वोटर्स है ।
बीते चुनाव पर अगर नजर डालें तो 2019 में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने मिलकर 493890 वोटो को प्राप्त किया था । वहीं डॉ महेश शर्मा लगभग 830812 लाख वोट पाकर 3:30 लाख वोटो से विजई हुए थे। कांग्रेस को अकेले इस सीट पर 42077 वोट मिले थे । लगभग 8371 लोगो ने किसी भी प्रत्याशी को पसंद नही किया था और नोटा पर वोट डाल कर अपना विरोध जताया था ।
भाजपा प्रत्याशी डॉक्टर महेश शर्मा की जीत की ही 2019 और 2014 में अगर तुलना करें तो हम जान पाते हैं कि 2014 में डॉक्टर महेश शर्मा को 599702 यानी 30% के लगभग वोट मिले जबकि 2019 में यह प्रतिशत बढ़कर लगभग दुगना 59.64 परसेंट हो गया । वोटो के प्रतिशत के बढ़ने के पीछे क्षेत्र के क्षत्रिय समाज के वोटो का बढ़ना माना जा रहा था क्योंकि 2017 में कांग्रेस छोड़कर जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह भाजपा में आ गए थे।
ऐसे में मायावती के बहुजन समाज पार्टी से पहली बार क्षत्रिय समाज पर दाव लगाने के साथ ही यह माना जा रहा है कि इस क्षेत्र में सियासी गणित में बड़ा उलट फेर होने वाला है । राजनीतिक पंडितों की माने तो बदले परिदृश्य में क्षत्रिय मतदाताओं का आधा वोट भी अगर बीजेपी की जगह बीएसपी में चला गया( जिसकी संभावना बहुत ज्यादा जताई जा रही है) तो बीएसपी के कोर वोटर और मुस्लिम वोटर साथ मिलकर बीजेपी के प्रति बीएसपी का प्रत्याशी डॉ महेश शर्मा के साथ कांटे के संघर्ष में सामने आ सकता है। वहीं अगर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राहुल अवाना ने अपने दावे के अनुसार धन बल के आधार पर चुनाव लड़ा तो इस क्षेत्र में अब तक बीजेपी के लिए मलाई समझा जाने जा रहा है यह चुनाव बेहद संघर्ष भरा हो सकता है ।
ऐसे में मायावती के इस दांव से क्या अब भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनावी रणनीति को बदलने का समय आ गया हैI यहां के गुर्जर और ठाकुर नेताओं के सामने अब अपनी प्रतिबद्धता और समाज में स्वीकार्यता को दिखाने की भी मजबूरी बन गई है । वहीं इसका दूसरा पक्ष यह यह भी है की लगातार तीसरी बार डॉक्टर महेश शर्मा के टिकट होने के बाद दबाव में आए गुर्जर और क्षत्रिय समुदाय के नेताओं के पास सौदेबाजी की गुंजाइश भी बन गई है । अब प्रतिबद्धता और सौदेबाजी के बीच भाजपा इस सीट को जीतने के लिए क्या नई रणनीति बनाएगी आने वाले दिनों में दिखाई देगा।