नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में 500 इलेक्ट्रिक सिटी बसों के संचालन की योजना को अब तक आवश्यक गति नहीं मिल सकी है। इस परियोजना को लागू करने के लिए तीनों प्राधिकरणों को एक संयुक्त विशेष प्रायोजन संस्था (एसपीवी) का गठन करना होगा, जो अब तक पूरा नहीं हो पाया है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, बसों के संचालन के लिए टेंडर प्रक्रिया मार्च में शुरू हुई थी। 8 मार्च को जारी किए गए टेंडर के तहत, 23 जून को दो कंपनियों का चयन किया गया, लेकिन एसपीवी के गठन की प्रक्रिया अभी भी जारी है। अधिकारियों का कहना है कि प्रक्रिया में थोड़ा और समय लगेगा, जिससे संचालन में देरी हो रही है।
यह योजना सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है, और इसे प्रमुखता के साथ आगे बढ़ाने के लिए औद्योगिक विकास आयुक्त एवं मुख्य सचिव मनोज सिंह ने इसे तैयार कराया था। इसके तहत, सार्वजनिक परिवहन सेवा को ग्रास कॉस्ट कांट्रैक्ट (जीसीसी) मॉडल पर संचालित करने का निर्णय लिया गया है, जिसमें परियोजना की कुल लागत का को ऑपरेटर अभी से ही वहन करना होगा। इस पूरी योजना की कुल लागत लगभग 675 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
नोएडा प्राधिकरण को इस परियोजना में 48% की हिस्सेदारी दी गई है, जबकि ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण को 26-26% हिस्सेदारी मिलेगी। इसके अनुसार, नोएडा को 300 बसें और ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण क्षेत्र को 100-100 बसें दी जाएंगी। बस सेवा का संचालन, रूट और किराए का निर्धारण भी एसपीवी द्वारा ही किया जाएगा।
हालांकि, अब तक एसपीवी के गठन में आ रही देरी से स्थानीय निवासियों की उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है। तीनों प्राधिकरणों के अधिकारियों का कहना है कि योजना को प्राथमिकता दी जा रही है, लेकिन प्रक्रियाओं में सुधार की आवश्यकता है। स्थानीय निवासी इस नई इलेक्ट्रिक बस सेवा का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं, जो प्रदूषण कम करने और सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहित करने में सहायक होगी।