गौतम बुध नगर में चुनाव आयोग प्रत्याशियों के खर्च को लगाम लगाने के लिए तैयार बैठा है ऐसे समाचार और दावे जिला निर्वाचन अधिकारी की तरफ से लगातार किए जा रहे हैं किंतु क्या वाकई ऐसा है या फिर आंकड़ों और जमीनी सच में जमीन आसमान का अंतर निर्वाचन अधिकारी के पास राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों द्वारा कल तक जमा किए गए अपने वह खातों से तो ऐसा ही लगता है ।
हालात ये है बड़े राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के अनुपात में छोटे राजनीतिक दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी अब तक ज्यादा खर्च कर दिया है । किंतु यहां प्रश्न किसी के काम ज्यादा का नहीं है प्रश्न जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा प्रत्याशियों द्वारा दिए गए खर्च को सही मान लेने से है ।
सबसे पहले देखते हैं कि प्रत्याशियों में किस-किस ने कितना खर्चा अब तक किया है । जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के अनुसार अब तक भाजपा प्रत्याशी डॉक्टर महेश शर्मा ने 9.34 लाख, समाजवादी प्रत्याशी डा महेंद्र नागर ने 7.83 लाख ओर बसपा प्रत्याशी राजेंद्र सिंह सोलंकी ने 4.33 लाख खर्च किए है । इनके बाद स्थानीय राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों में सबसे ज्यादा अभी तक नरेश नौटियाल ने 95000 और किशन राज सिंह ने 75000 खर्च किए है । जबकि एकमात्र महिला प्रत्याशी कुमारी शालू ने अभी तक 27000 रुपए खर्च किए हैं जिसमें उनका दो बार बस कलेक्ट्रेट से आने जाने का खर्चा भी शामिल है।
एनसीआर खबर को मिली जानकारी के अनुसार तीनों बड़े प्रत्याशियों द्वारा हायर की गई मल्टीपल पी आर एजेंसी के खर्च ही करोड़ों रुपए में आ रहे हैं । ऐसे में चार से नौ लाख रुपए तक के दिखाए जा रहे खर्च बस खानापूर्ति ही है । सोशल मीडिया पर किसी भी #टैग ट्रेंड करने का खर्च ₹100000 तक आता है । पूरे चुनाव में कितने प्रत्याशी कितनी बार इसको ट्रेंड करते हैं इसकी गिनती कोई नहीं रखेगा और इसका हिसाब भी कहीं नहीं लिखा जाता है ।
अब प्रश्न यह उठता है कि क्या गौतम बुद्ध नगर जैसी लोकसभा सीट पर जहां 4 लोगो के साथ अपनी पर्सनल गाड़ी से दो चक्कर लगाने पर ही ₹5000 खर्च हो जाते हो, जहाँ किसी सोसाइटी के क्लब या कम्युनिटी सेंटर में कार्यक्रम करने का खर्च भी कम से कम 5000 रूपए होI वहां बैक टू बैक 10-10 सभाएं कर रहे बड़े दलों के प्रत्याशी और उनके समर्थकों के खर्च सिर्फ 9 लाख रुपए होंगे ?
क्या दिन-रात कार्यालय पर होने वाले भोजन और अन्य खर्च इतने कम हो गए हैं की जिला निर्वाचन अधिकारी को यह सब दिख नहीं रहा है या फिर यह सब जिला निर्वाचन अधिकारी की मिली भगत से प्रत्याशियों द्वारा जनता और सरकार की आंखों में धूल झोंकने का काम चल रहा है ।
जिले के वरिष्ठ पत्रकार में एनसीआर खबर से बताया कि दरअसल सबको सच पता है मगर कोई ना सच सुनना चाहता है ना देखना चाहता है जिला निर्वाचन अधिकारी के निर्देशन में इन दिनों पूरे जिले में लगातार घूम-घूम कर जिले में ज्यादा मतदान के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं आगर जिला निर्वाचन अधिकारी अपने इन कार्यक्रमों का ही लेखा-जोखा जनता को बता दें कि उसका खर्च इन प्रत्याशियों के खर्चे से अधिक क्यूं है तो लोगों के सामने स्थिति स्पष्ट हो जाएगी ।
वही युवा एकता मंच के राहुल शर्मा ने एनसीआर खबर को बताया की चुनाव के दौरान प्रत्याशियों से झूठ बुलवाने की पहली सीढ़ी निर्वाचन अधिकारियों ने खुद तय कर रखी है उन्होंने इन कार्यों में प्रयुक्त होने वाले सामानों की दर इतनी कम तय कर दी है कि उसके हिसाब से तो 19 लाख में पूरा चुनाव लड़ा जा सकता है उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि गौतम बुद्ध नगर में वीडियो ग्राफर समेत कैमरे को हायर करने के लिए ₹1000 की कीमत तय की गई हैI जबकि मार्केट में 4 घंटे के लिए ₹4000 में वीडियोग्राफर मिलता है । वही अखबारों में विज्ञापन की दर डीएवीपी के हिसाब से लिखी गई है जबकि कमर्शियल रेट उसे 10 गुना है ऐसे में जी विज्ञापन की कीमत प्रत्याशी 20000 दिख रहा है वह दरअसल ₹200000 का विज्ञापन है और ऐसे विज्ञापन रोजाना सभी बड़े अखबारों में दिए जा रहे हैं। चाय के प्याले से लेकर दरी तक का जो दाम जिला निर्वाचन अधिकारी ने तय किया है उसके सहारे जिला निर्वाचन अधिकारी खुद प्रत्याशियों को अपना खर्च कम दिखने के लिए प्रेरित करते हैं । उन्होंने चैलेंज करते हुए कहा कि इस पूरे चुनाव में किसी भी बड़े दल के प्रत्याशी का खर्च 3 करोड़ से नीचे नहीं हो सकता है बड़े प्रत्याशी का बढ़कर 10 करोड़ तक चल जाएगा यह सब को पता है किंतु वो प्रोफेशनल सी ए को लेकर बैठे प्रत्याशी उसे खर्च को 35से 40 लाख रुपए में समेट देंगे जबकि रोचक तथ्य यह रहेगा की हायर किए गए सी ए की फीस भी ₹500000 से काम नहीं होगी।