राजेश बैरागी । देश के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण लोकसभा चुनाव में राजनीति खटाखट हो गई है। यह चुनाव सस्ते संबोधनों,उबाऊ और सड़कछाप भाषणों तथा स्तरहीन प्रतिक्रियाओं के लिए भी याद रखा जाएगा। एक खटाखट बोलता है,दूसरा उसका जवाब फटाफट शैली में देकर खुद ही ताली बजाने लगता है।
ऐसे में जनहित से जुड़े और देश के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों ने शर्मिंदा होकर आत्महत्या कर ली है। इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास पर एक नारी के चीर हरण का असफल प्रयास किया गया। हालांकि इस नारी को कुरु राजसभा क्षमा करें मुख्यमंत्री आवास पर जबरन खींचकर नहीं लाया गया था। फिर यह नारी वहां क्यों गयी? यह प्रश्न निष्पक्ष जांच की मांग करता है। बहरहाल इस नारी के असफल चीर हरण के प्रयास के विरुद्ध जितनी आवाजें उठीं, यदि उनके मुकाबले दस प्रतिशत आवाज कुरु राजसभा में उठी होतीं तो महाभारत जैसे महाविनाशक युद्ध से बचा जा सकता था।
परंतु यहां जो इतनी आवाजें उठ रही हैं, उनमें एक और महाभारत के युद्ध के उद्घोष को आसानी से सुना जा सकता है। मुझे यह प्रकरण मुम्बईया फिल्मों के उस दृश्य समान लगता है जिसमें नायक और कभी-कभी खलनायक को उसके लक्ष्य तक पहुंचने से रोकने के लिए किसी चालू किस्म की महिला से भिड़ा दिया जाता है। चुनाव के बीच में एक आरोपी मुख्यमंत्री को प्रचार के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा करने से उत्पन्न परिस्थितियों में एक महिला का चीर हरण किसी ट्विस्ट से कम नहीं है। कहा जा रहा है कि यह महिला अमेरिका प्रवास के दौरान ठिकाने लगाकर आयी रकम में हेराफेरी पर सफाई देने आयी थी।
चर्चा है कि उससे राज्यसभा सीट खाली करने को कहा गया था जिसके लिए वह तैयार नहीं है। किंवदंती यह भी है कि पति-पत्नी के बीच बनी ‘वो’ को लेकर यह झगड़ा हुआ। बहरहाल खटाखट और फटाफट के बीच झूल रही भारत की राजनीति में यह महिला बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। दिल्ली में एक सप्ताह बाद चुनाव है।तब तक महिला के चाल चरित्र,मान अपमान को लेकर तमाम राजनीतिक योद्धा अपनी तलवारें भांजते रहेंगे। उसके बाद महिला का क्या होगा? भारतीय राजनीति में महिलाओं का शानदार इतिहास रहा है। भविष्य का पता नहीं।