आशु भटनागर I ग्रेटर नोएडा के बाजारों में अतिक्रमण आम बात है । बीते कुछ दिनों से अर्बन विभाग की टीम ग्रेटर नोएडा के अल्फा सेक्टर में विभिन्न स्थानों पर अतिक्रमण हटाने जा रही है जिसका विरोध भी हो रहा है ।
बाजारों में अतिक्रमण करवाने में प्राधिकरण के ही अधिकारियों का हाथ है, इस पर हम चर्चा करें उससे पहले महत्वपूर्ण समाचार यह भी है कि दो दिन पहले अल्फा 2 में अवैध कब्जो को हटाने पहुंची प्राधिकरण की टीम का विरोध समाजवादी पार्टी के नेता करने पहुंचे । हैरत की बात यह थी कि इस टीम का नेतृत्व समाजवादी पार्टी के तीन बार विधायक का चुनाव लड़ चुके ओर टीवी पर प्रतिदिन आ कर नैतिकता की बातें करने वाले पूर्व पत्रकार और वरिष्ठ नेता राजकुमार भाटी कर रहे थे । जबकि सेक्टर के RWAअध्यक्ष सुभाष भाटी द्वारा इन अवैध कब्जे को हटाने की शिकायत की गई थी ।
इसके बाद शुक्रवार को ग्रेटर नोएडा में एक प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्र अल्फा कमर्शियल बेल्ट में अवैध कब्जे को हटाने के लिए टीम का भी जबरदस्त विरोध हुआ । विरोध के कारण बैरंग वापस लौटे वरिष्ठ अधिकारियो का आत्मबल भी क्षीण दिखा । भीड़ द्वारा अधिकारियों को दोषी बता कर गरीबों के पेट पर लात मारने जैसी तमाम बातों को कहे जाने से मौके पर उपस्थित व्यथित अधिकारी खुद अपने नरक में जाने की बातों से चिंतित दिखे किंतु प्रश्न यह है कि आखिर अवैध अतिक्रमण के इस खेल का सूत्रधार कौन है ? आखिर नरक में जाने की सम्भावना से दुखी अधिकारियो को इस खेल का पता नहीं है या फिर पत्रकारों से ऐसी बातें अपने खेल को छुपाने का दिखावा मात्र है ।
वरिष्ठ पत्रकार राजेश बैरागी इस मामले पर अतिक्रमण करने वालो के साथ सीधे-सीधे प्राधिकरणों के अर्बन विभाग के कर्मचारियों ओर अधिकारियों को भी जिम्मेदार बताते हैं। जिसमे प्राधिकरण के कर्मचारियों के साथ स्थानीय सत्ता और विपक्ष के नेताओं की अवैध कमाई के रास्ते भी जुड़े रहते हैं ।
एक अन्य दावे के अनुसार प्राधिकरणों के अर्बन विभाग के संविदा पर लगे कर्मचारियों की शह पर सता ओर विपक्ष के नेताओं के साथ मिलकर यह अवैध अतिक्रमण और कब्जे कराए जाते हैं इसीलिए जब दिखावे के लिए ही सही इन अवैध कब्जे को हटाए जाने की प्रक्रिया आरंभ होती है, तब नेता अपने कर्तव्यों का ध्यान न रखते हुए सड़क पर विरोध के लिए उतर जाते हैं और इन अवैध कब्जेदारों से मासिक वसूली में घोषित या अघोषित रूप से शामिल रहे अधिकारियों का नैतिक बल इस लायक नहीं बचता है कि वह उनके विरोध को गलत कह कर हटा सके ।
रोचक तथ्य ये है कि शहर के नेताओं और प्राधिकरण के संविदा पर लगे कर्मचारियों की मिली भगत पूरे खेल को करोड़ों रुपए की कमाई में बदल देता है जिसमें गरीब प्रताड़ित होता दिखता है किंतु असल में वह भी अब इस खेल का हिस्सा बन चुका है जिसमें विरोध उसकी पीड़ा से ज्यादा एक प्रक्रिया का हिस्सा मात्र है जिसमें अर्बन विभाग दिखावे की कार्यवाही करते हुए एक दिन उनको उठा लेता है उसके बाद या तो वह नया ठेला खरीद देता है या फिर नए कब्जे की तैयारी शुरू करता है।
इस सबसे मुझे युधिष्ठिर ओर यक्ष के बीच हुआ वह संवाद याद आ जाता है जिसमे यक्ष का प्रश्न ” इस सृष्टि का आश्चर्य क्या है?” और प्रतिउत्तर में युधिष्ठिर बताते हैं कि यहां इस लोक से जीवधारी प्रतिदिन यमलोक को प्रस्थान करते हैं, यानी एक-एक कर सभी की मृत्यु देखी जाती है । फिर भी जो यहां बचे रह जाते हैं वे सदा के लिए यहीं टिके रहने की आशा करते हैं । इससे बड़ा आश्चर्य भला क्या हो सकता है ?
मुझे समझ आता है कि प्राधिकरणों के संविदा के अधिकारी, राजेनेता और जिसने भी अतिक्रमण किया हुआ है उन सबको पता है कि ये गलत है और इसका हटना अवश्यंभावी है और उस दिनके साक्षात्कार के लिए सभी को प्रस्तुत रहना चाहिए । किंतु खेल में शामिल हर व्यक्ति इस प्रकार अपने इस अवैध जीवन-व्यापार में खोया रहता है जैसे कि उसे ये सब नहीं देखना होगा और यही इस सब विरोध और उससे उपजे दुःख का कारण है I