राजेश बैरागी । सातवें चरण के मतदान के बाद अगले साठ घंटे तक देश क्या करेगा? सभी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनलों और स्वतंत्र चुनाव समीक्षकों ने अपने अपने पूर्वानुमान पेश कर दिए हैं। चारों ओर भाजपा और उसके सहयोगियों की बहार छाई हुई है।
दक्षिण के कुछ राज्यों में भाजपा की पैठ मजबूत हो रही है।चार जून को आने वाले परिणामों से देश कमोबेश पहले से परिचित है। केवल चार सौ आर या पार का नजारा देखना शेष है। क्या भाजपा पहले से अधिक बहुमत प्राप्त कर और घमंडी तथा निरंकुश हो सकती है?
केंद्र सरकार के अगले मुखिया के तौर पर नरेंद्र मोदी अपने विरोधियों को समाप्त करने का अभियान और जोर शोर से चलाएंगे? क्या वे दो वर्ष बाद अपने ही बनाए नियम के अनुसार सत्ता से संन्यास ले लेंगे? ये सभी प्रश्न भविष्य के गर्भ में हैं और उत्तर की प्रतीक्षा करेंगे। हालांकि सत्ता स्वेच्छा से छोड़े जाने वाली वस्तु नहीं है। अनुमान है कि नरेंद्र मोदी अगले पांच वर्ष पूरी हनक से सरकार का नेतृत्व करेंगे और उनके बाद देश के शीर्ष पद पर बैठने का सपना देखने वाले लोग केवल प्रतीक्षा ही करेंगे।
एग्जिट पोल से साफ है कि थोड़ी ऊंच नीच के साथ आयेगा तो मोदी ही। यह अलग बात है कि इस बार बहुमत का दावा करने वाले इंडी गठबंधन के नेता आज दिल्ली में एक स्थान पर जमा हुए और बाहर निकल कर उन्होंने सभी पूर्वानुमानों को खारिज कर दिया। मैंने उनमें शामिल अरविंद केजरीवाल के चेहरे को ध्यान से देखा।उनके चेहरे पर कल फिर जेल जाने का तनाव साफ झलक रहा था।
चुनाव परिणाम के पूर्वानुमानों में आम आदमी पार्टी को दिल्ली में एक भी नहीं और पंजाब में भी मात्र चार सीटों पर जीतने की बात कही जा रही है। यदि यह सच साबित हुआ और इंडी गठबंधन को अपेक्षित सफलता नहीं मिलती है तो अरविंद केजरीवाल को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ सकता है। इसी प्रकार झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी अभी जल्द जेल से छुट्टी मिलती दिखाई नहीं दे रही है। ममता के गढ़ पश्चिम बंगाल और वामपंथ के गढ़ केरल में भी सेंध लग चुकी है। यह सब विपक्ष के निस्तेज होने के पूर्वानुमान हैं। देश में इतनी संभावनाओं और आशंकाओं पर विचार करने के लिए अगले साठ घंटे ज्यादा तो नहीं हैं।