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इनसाइड स्टोरी : अफगानिस्तान न्यूजीलैंड मैच रद्द होने का दोषी कौन ? अफगानिस्तान, बीसीसीआई, ग्रेनो प्राधिकरण या फिर बारिश!

आशु भटनागर। ग्रेटर नोएडा में होने वाला अफगानिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच होने वाला इंटरनेशनल क्रिकेट टेस्ट मैच तीसरे दिन भी भारी बारिश के चलते रद्द हो गया। इसी के साथ ग्रेटर नोएडा में होने वाला इंटरनेशनल मैच देखने का ग्रेटर नोएडा वासियों का सपना भी ध्वस्त हो गया। इसके बाद लोगों ने अपनी हताशा को सोशल मीडिया पर उतारा और बारिश से ज्यादा दोष बीसीसीआई और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और उसकी कार्यशैली पर उतार दिया ।

सोशल मीडिया पर स्पोर्ट्स चैनल के नाम पर बने तमाम युटयुबर्स और पत्र पत्रिकाओं में इसको लेकर देश के मान सम्मान को दांव पर लगने की बातें तक कर दी गई। एक संदेश अफगानिस्तान बोर्ड की तरफ से आया कि वह यहां फिर कभी खेलने नहीं आएंगे तो इस मैच को लेकर बीसीसीआई की भी आलोचना होने लगी ऐसे में समझना बेहद जरूरी है की मैच को लेकर अफगानिस्तान बीसीसीआई और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में असली दोषी कौन है और बारिश के मौसम में मैच करने का फैसला किसका था ?

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नोएडा स्टेडियम शहीद विजय पथिक खेल परिसर

ग्रेटर नोएडा स्पोर्ट्स कंपलेक्स ग्राउंड या शहीद विजयपथ स्पोर्ट्स कंपलेक्स भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के ग्रेटर नोएडा में एक क्रिकेट और फुटबॉल स्टेडियम है । 2009 में उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के तत्कालीन सचिव राजीव शुक्ला ने ग्रेटर नोएडा में सपोर्ट सिटी विकसित करने वाले जेपी ग्रुप द्वारा एक क्रिकेट स्टेडियम बनाने की घोषणा की थी और यह दावा किया था कि वह उनके साथ मैच आयोजित करने के लिए 50 साल का समझौता कर रहे हैं तब इसे 2011 तक तैयार होना था किंतु बाद में यह 2013 तक बनकर तैयार हुआ आरंभ में इसमें दर्शकों की क्षमता 40000 का दावा किया था जिसको बाद में एक लाख तक किया जा सकता था । किंतु बाद में कई कारणों से बीसीसीआई ने इसके साथ अपना संबंध तोड़ दिया ।

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स्टेडियम को आईसीसी के दिशा निर्देशों के अनुसार बनाया गया था। उसको बनाने के लिए उत्तर प्रदेश क्रिकेट के भीष्म पितामाह कहे जाने वाले आनंद शुक्ला को जिम्मेदारी दी गई थी। इस स्टेडियम में फ्लड लाइट्स बोलिंग अली इनडोर स्टेडियम, लॉन्ग टेनिस कोर्ट जैसी सुविधाओं को भी बनाया गया। 2016 में दिलीप ट्रॉफी के मैच भी यहां खेले गए थे । इसके बाद यह स्टेडियम अफगानिस्तान क्रिकेट टीम का घरेलू मैदान बन गया। इस पूरे स्टेडियम का देखरेख बीसीसीआई या युपीसीऐ की जगह ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण स्वयं करता है।

अफगानिस्तान बनाम न्यूजीलैंड मैच और अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड की भूमिका

भारी बारिश के बाद लगभग रद्द होने की कगार पर पहुंचे इस स्टेडियम के साथ-साथ बीसीसीआई को भी सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जा रहा है I मंगलवार शाम के बाद बुधवार सुबह करीब डेढ़ घंटे तक तेज बारिश हुई। मैच से जुड़े अधिकारी, मैच रेफरी व अंपायर मैदान पर पहुंचे तो बारिश के पानी से मैदान लबालब भरा मिला। पिच, 30 यार्ड व कुछ अन्य एरिया में कवर्स थे, लेकिन सीमा रेखा के पास सबसे अधिक पानी भरा हुआ था। पानी निकासी की व्यवस्था ठप्प मिली। पवेलियन के पास काफी ज्यादा पानी जमा था। मैच रेफरी और अंपायर मैदान में कदम नहीं रख सके। मैदान मैच शुरू करने की स्थिति में नहीं था।

जिसके बाद अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर की और लिखा कि हमने भारत में तीन विकल्प सोचे थे। देहरादून, लखनऊ और ग्रेटर नोएडा, लेकिन दुर्भाग्य से दोनों (लखनऊ और देहरादून) बीसीसीआई के घरेलू मैचों की वजह से उपलब्ध नहीं थे। इसके साथ ही यूएई में गर्म मौसम की वजह टेस्ट मैच खेलना मुश्किल होता। न्यूजीलैंड का भी बिजी शेड्यूल रहता है। इसी वजह से हमने ग्रेटर नोएडा को चुना। भारत में बारिश का मौसम चल रहा है। इसी वजह से उनके अन्य घरेलू मैच भी प्रभावित हुए हैं।

बीसीसीआई (BCCI) की भूमिका

जानकारी के अनुसार टेस्ट मैच में बीसीसीआई की कोई सीधे भूमिका नहीं है बीसीसीआई ने अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड को विकल्प के तौर पर बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम की पेशकश की थी किंतु अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने अपने खिलाड़ियों के इस वेन्यू से परिचित होने और कम खर्च जैसे मुद्दों को देखते हुए इस स्थल का चयन किया यह वेन्यू पूरी तरीके से अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड की पसंद था और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधा देनी थी। सूत्रों के अनुसार बीसीसीआई ने 2019 में विजय हजारे ट्रॉफी के बाद किसी भी घरेलू मुकाबले की मेजबानी नहीं की है ।

अफगान बोर्ड ने भी बीसीसीआई के प्रयासों की तारीफ की है। उसने पोस्ट में आगे लिखा कि हम मौसम को कंट्रोल नहीं कर सकते हैं। बीसीसीआई ने हमारे लिए अतिरिक्त मशीनरी उपलब्ध करवाई है। मैदान को खेलने लायक बनाने का प्रयास भी हुआ है।

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के भूमिका और साख पर उठा प्रश्नचिन्ह

शहीद विजय सिंह पथिक स्टेडियम के संचालन की जिम्मेदारी उठाने वाली संस्था के तौर पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण इस पूरे मैच के बाद लोगों के निशाने पर आ गया हैI लगातार बारिश के कारण अवस्थाएं सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती चली गईI प्राधिकरण ने इस मैच के लिए अपने दो ऐसीईओ आशुतोष द्विवेदी और प्रेरणा सिंह को उतार दिया जो अपने स्टाफ के साथ लगातार 5 दिन से इसके आयोजन को सफल बनाने के लिए लगे थे I

प्राधिकरण के अधिकारियों के अनुसार लगातार होती बारिश के कारण स्टेडियम से 6 लाख लीटर पानी निकालने के बावजूद आउटफील्ड पूरा धुल गया ग्राउंड स्टाफ ने मेड़ों के पास दो से तीन फीट की खुदाई भी की उन्होंने प्रभावित क्षेत्र पर सूखी मिट्टी और कृत्रिम घास लगाने की कोशिश की लेकिन यह सब काम नहीं आ सका।

खेल एक्सपोर्ट के अनुसार प्राधिकरण के ग्राउंड स्टाफ में 20 से 25 सदस्य हैं जिनमें 15 आउटसोर्स हैं मैदान में पांच सुपर सोपर है जिनमें दो ऑटोमेटिक और तीन मेन्युअल है। यहां तक की कवर भी बाहर से मांगने पड़े । स्टेडियम के लिए कई सामान बीसीसीआई की मदद से अरेंज किए गए किंतु उसके बाद भी स्टेडियम में अन्य सुविधाएं जैसे पानी और खाने की सुविधा जिनको सेवेन स्टार होटल को आउटसोर्स किया गया था उन में भी भारी अव्यवस्था देखी गई । सबसे बड़ी बात आउटसोर्स स्टाफ में प्रशिक्षण का आभाव भी दिखा I आधुनिक सुविधाओं की कमी मैदान के बाहर तक फैली हुई थी जिससे पिच के बाहर के संचालन पर असर पड़ाI पीने के पानी की कमी, बिजली की आपूर्ति और महिला शौचालय तक तक की कमी दिखीI

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ग्रेटर नोएडा स्टेडियम की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की गई हैं। मैदान को सुखाने के लिए इलेक्ट्रिक पंखे का भी इस्तेमाल किया गया.। इसी वजह से ग्रेटर नोएडा स्टेडियम से जुड़े अधिकारी भी ट्रोल हुए।

वरिष्ठ पत्रकार और खेल पत्रकार के रूप में भी लंबी पारी खेल चुके विवेक शुक्ला के अनुसार इस पूरे प्रकरण में होस्ट स्टेडियम के साथ-साथ बीसीसीआई की भूमिका भी संदेह के घेरे में हो जाती है । अक्सर जब भी मैच के लिए स्टेडियम का चयन किया जाता है तो उसका विकल्प भी रखा जाता है किंतु संभवत इस मैच में ऐसा नहीं किया गया। क्योंकि बीसीसीआई इसमें सीधे शामिल नहीं था । दिल्ली में वर्तमान में पांच स्टेडियम इंटरनेशनल क्रिकेट के लिए क्वालीफाई करते हैं जिसमे सिर्फ एक स्टेडियम ही सारी सुविधाओं से लैस है । ऐसे में भारी बारिश के कारण सिर्फ ग्रेटर नोएडा के स्टेडियम में कमियों को कहना उसके साथ ज्यादती भी है

वहीं सूत्रों की माने तो अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड लखनऊ के इकाना स्टेडियम को भी मांग रहा था किंतु वहां पहले से ही मैच चल रहे थे । ग्रेटर नोएडा में 2019 से कोई अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं हुआ था ऐसे में अचानक से आए मैच को करने की तैयारी तो बहुत की गई किंतु अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का कोई अनुभव न होने के कारण अधिकारियों के प्रयास व्यवस्था को उच्च स्तर तक नहीं पहुंचा सके और उस पर भारी बारिश ने सभी इंतजामों को बिगाड़ दिया। स्टेडियम के अंदर और बाहर सड़कों तक पर पानी के बाद स्थिति बिगड़ती चली गई।

सितंबर में हुई बारिश के कारण खराब हुए मैच के इस पूरे प्रकरण ने मुझे 2011 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम की याद दिला दी जिसमें सितम्बर माह में हो रही लगातार बारिश के कारण उद्घाटन से पहले तमाम समस्याएं खड़ी होने पर दिल्ली सरकार ने हाथ खड़े कर दिए थे और बाद में व्यवस्थाओं को पूरा करने के लिए सेना की मदद दी गई थी।

अफगानिस्तान और न्यूजीलैंड टेस्ट मैच के तीन दिन बर्बाद हो चुके है। अब केवल दो दिन बाकी है। ऐसे में अगर बृहस्पतिवार को मैच शुरू भी होता है तो दो दिन में परिणाम आने की उम्मीद बहुत कम होगी। हालांकि, अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड किसी तरह मैच शुरू कराना चाहता है, लेकिन अब सब बारिश व प्राधिकरण की व्यवस्था के ऊपर निर्भर हैं।

ग्रेटर नोएडा के स्टेडियम का अब क्या होगा? 

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) किसी भी अंतरराष्ट्रीय स्थल के लिए मानक प्रोटोकॉल का पालन करेगा, जहां मैच रेफरी की रिपोर्ट आगे की कार्रवाई पर फैसला होगा नवंबर 2023 में लागू हुई आईसीसी ‘पिच और आउटफील्ड मॉनिटरिंग प्रक्रिया’ के अनुसार, ‘प्रत्येक मैच के बाद, मैच रेफरी (इस मामले में श्रीनाथ)  पिच और आउटफील्ड रिपोर्ट से जुड़े फॉर्म को आईसीसी के सीनियर क्रिकेट संचालक के प्रबंधक को भेजेगा। पिच और आउटफील्ड रिपोर्ट फॉर्म’ में मैच रेफरी के साथ अंपायरों और दोनों टीमों के कप्तानों के कमेंट भी शामिल होते हैं। ऐसे में अब  यह देखना दिलचस्प होगा कि न्यूजीलैंड के कप्तान टिम साउदी ने किस तरह की प्रत‍िक्रिया देते हैं।

इस रिपोर्ट के मिलने के 14 दिन के अंदर आईसीसी सीनियर क्रिकेट संचालक के प्रबंधक इसे मेजबान बोर्ड को भेजकर स्टेडियम पर लगाए गए डिमेरिट अंकों की जानकारी देते हैं।

आईसीसी अनुच्छेद के अनुसार मैच रेफरी के पास अगर पिच और/या आउटफील्ड को असंतोषजनक या अनफिट रेटिंग देने का कारण है, तो मेजबान स्थल पर पिचों की रेटिंग के दिशा निर्देशों के अनुसार डिमेरिट अंक दिए जायेंगे। ये डिमेरिट अंक पांच साल तक प्रभावी रहते हैं।

अब उत्तर प्रदेश आगे क्या करे?

ऐसे में इस मैच के असफल होने के बाद भले ही ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की साख पर बट्टा लग रहा है। किंतु एक प्रश्न यह भी है कि इस पूरे प्रकरण में अव्यवस्था के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से ज्यादा उसे एजेंसी की कमी खली जो इस पूरे कार्यक्रम को करवा पाता। कर्मचारियों की बेहद कमी से जूझ रहे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और उसके अधिकारी व्यवस्थाओं को अरेंज तो कर सकते हैंI किंतु ऐसे स्टेडियम में इवेंट नहीं अरेंज करवा सकतेI इसके लिए स्टेडियम को बीसीसीआई, यूपीसीऐ या किसी ऐसी खेल संस्था के अंतर्गत होना बेहद अनिवार्य है जिनको अंतरराष्ट्रीय मैच करने का अनुभव हो। उत्तर प्रदेश सरकार को स्टेडियम को किसी भी प्रदेशिक या राष्ट्रीय खेल संस्था के अंतर्गत देने की पहल करनी चाहिए जो कॉन्ट्रैक्ट यूपीसीऐ के साथ किसी वजह से छूट गया है उसको एक बार फिर से देकर इस स्टेडियम की महत्ता को पुनर्जीवित करना चाहिए ।

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आशु भटनागर

आशु भटनागर बीते 15 वर्षो से राजनतिक विश्लेषक के तोर पर सक्रिय हैं साथ ही दिल्ली एनसीआर की स्थानीय राजनीति को कवर करते रहे है I वर्तमान मे एनसीआर खबर के संपादक है I उनको आप एनसीआर खबर के prime time पर भी चर्चा मे सुन सकते है I Twitter : https://twitter.com/ashubhatnaagar हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I एनसीआर खबर पर समाचार और विज्ञापन के लिए हमे संपर्क करे । हमारे लेख/समाचार ऐसे ही सीधे आपके व्हाट्सएप पर प्राप्त करने के लिए वार्षिक मूल्य(501) हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : ashu.319@oksbi के जरिये देकर उसकी डिटेल हमे व्हाट्सएप अवश्य करे

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