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बेलाग लपेट : 25% जमा ना करने वाले बिल्डरों पर नकेल कसना सीईओ रवि एन जी को ना पड़ जाए भारी, परिणाम स्वरूप कई बड़े आंदोलन सोशल मीडिया कैंपेन के विरोध को रहे तैयार!

आशु भटनागर । वर्षों से उलझी हुई फ्लैट रजिस्ट्री की समस्या पर भागीरथ प्रयास कर रहे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ रवि एनजी क्या बिल्डर लाबी से बड़ा पंगा लेने के मूड है ? शुक्रवार को बिल्डरों के साथ बैठक करते हुए मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि कुमार एनजी के निर्देश पर अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी सौम्य श्रीवास्तव के अमिताभ कांत की रिपोर्ट के अनुसार 25 प्रतिशत धनराशि जमा ना करने वाले 27 बिल्डरों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने के आदेश से तो ऐसा ही लगता है ।

कदाचित पूर्ववर्ती सीईओ के विपरीत बीते वर्ष भर से प्राधिकरण में आम जनता से सीधे मिलने के चलते सीईओ रवि कुमार एनजी ने जहां एक और कई नेताओं की दुकानदारी खराब कर दी है वहीं इसके चलते प्राधिकरण में के निचले कर्मचारियों के भ्रष्टाचार पर भी रोक लगी है। अक्सर फाइल आगे न होने की स्थिति में अब लोग नेताओं की जगह ऐसीईओ और सीईओ से सीधा शिकायत कर देते हैं जिसके कारण सीईओ रवि एनजी के खिलाफ ऐसे लोगों का समूह षड्यंत्र रचने का सतत प्रयास करता रहता है।

उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर सीईओ लगातार बिल्डर के साथ बैठक का रजिस्ट्री के मुद्दे को सुलझाने के भगीरथ प्रयास में लगे हैं। बिल्डरों को तमाम तरीके के दबाव और सुझाव के साथ बीते 9 महीने से सीईओ इस प्रयास में है कि वर्षों से फ्लैट बायर्स को उनके फ्लैट की रजिस्ट्री मिल जाए । किंतु अभी तक के किए गए प्रयासों के बाद जो परिणाम आया है वह ऊंट के मुंह में जीरा मात्र है । ऐसे में सीईओ का इन पर कड़ी कार्यवाही के लिए मजबूर होना स्वाभाविक है। किंतु 63000 संभावित रजिस्ट्री के लक्ष्य को भेदने के लिए ढीट बिल्डरों की लॉबी के षड्यंत्र में सीईओ फंस भी सकते हैं।आने वाले दिनों में कई एनजीओ और एक्टिविस्ट बिल्डरों की लॉबी के निर्देश पर सीईओ के खिलाफ तमाम तरीकों से माहौल खराब करने की कोशिश कर सकते हैं ।

जानकारी के अनुसार ऐसे बिल्डरों को आवंटित भूमि को वापस लेने, परियोजनाओं की आर्थिक अपराध शाखा को जांच सौंपने तथा फॉरेंसिक ऑडिट कराया जा सकता है । प्राधिकरण से जारी विज्ञप्ति के अनुसार अभी तक कुल 98 बिल्डर परियोजनाओं में से 13 बिल्डरों ने अपने विरुद्ध शेष समस्त धनराशि का भुगतान किया है जबकि 58 बिल्डरों ने 25 प्रतिशत धनराशि का भुगतान कर 9558 फ्लैटों की रजिस्ट्री कराने की अनुमति प्राप्त की है। जिनमें से 6624 फ्लैटों की रजिस्ट्री करा दी गई है।अनुमति मिलने से छः माह तक कोई विलंब शुल्क न लगाने का प्रावधान है।

ऐसे में कार्यवाही की जद में आने वाले बिल्डरों की संख्या 27 बताई जा रही है। जानकारी के अनुसार इन 27 बिल्डर्स को सत्ता और विपक्ष के कई बड़े नेताओं का वरदहस्त प्राप्त है । यह सर्वविदित है कि गौतम बुध नगर जिले में रजिस्ट्री का मुद्दा बिल्डरों की आर्थिक समस्या से ज्यादा बिल्डरों की ढीटता का परिणाम है और इसके पीछे जिले में मौजूद राजनीतिक सिंडिकेट काम करता है । और ये सिंडिकेट सामाजिक, जातीय, क्षेत्रीय मुद्दों की आड़ में अक्सर बिल्डरों के पक्ष में दबाब बनाए रखता है ।

भारत में एनजीओ की कार्यप्रणाली और उनके हिडन उद्देश्यों के लिए किसी को बदनाम कर देने की परंपरा नई नहीं है अंबानी, अडानी से लेकर टाटा और मोदी सरकार इन दिनों इसी समस्या से जूझ रही है । मेगा पाटेकर से लेकर तीस्ता सीतलवाड़ तक हमने तमाम ऐसे नाम सुने हैं जो समाज सेवा की आड़ में किसी के लिए काम करते पाए गए जिनका उद्देश्य जनहित की आड़ में अपने हित साधना रहा है । 

हाल ही में कासना में कूड़ा निस्तारण के लिए बनाए जा रहे एक प्लांट के खिलाफ आंदोलन करने वाली समाजसेवी विरोध करने तो पहुंच गई किंतु उनको ना तो वस्तु स्थिति का पता था और ना ही आसपास के निवासियों का सहयोग प्राप्त था। एनसीआर खबर की जांच में पता लगा कि तथाकथित महिला समाजसेवी सिर्फ अपनी नेतागिरी और निजी हित के लिए वहां अनशन पर बैठकर चर्चा में आई । किसानों के हित के नाम पर होने वाले कई आंदोलन का सच हम सब ने देखा है । 

यह एक कड़वा सच है कि गौतम बुध नगर में तमाम बिल्डर लॉबी,  राजनीतिक दलों के नेता और कई समाजसेवी यहां की किसानों की और फ्लैट बायर्स की समस्याओं को बनाए रखना चाहते हैं। जिससे इस जिले में उनकी शह पर चल रहे अवैध अतिक्रमण के धंधे आसानी से चलते रहे। समस्याओं के बने रहने से उनके लिए प्रदर्शन करने वाले समाज सेवियों और नेताओं की दुकान भी चलती रहती हैं और लोगों की गाढ़ी कमाई का पैसा लेकर भाग गए बिल्डर पर अपने प्रोजेक्ट को पूरा करने का दबाव नहीं रहता है । जिले में होने वाले तमाम किसान आंदोलन का सच यह भी है कि 90% किसान नेता प्रॉपर्टी डीलर है । जिनका मुख्य काम किसान आंदोलन की आड़ में अपने 6% के प्लाटों को लगवाना और उसके लिए प्राधिकरण के अधिकारियों को धमकाना रहता है ।

ऐसे में सीईओ द्वारा सरकार के निर्देश पर दिए मात्र 25% राशि जमा करने के प्रस्ताव पर भी दुर्योधन की भांति अड़े बिल्डर के खिलाफ जांच अपराध शाखा को सौंपना बिल्कुल आर पार की लड़ाई को इंगित करता है । युद्ध की घोषणा के बाद बिल्डर के साथ सीईओ को भी अपने कमर की पेटी कस लेनी चाहिए क्योंकि आने वाले दिनों में कई बड़े आंदोलन और कैंपेन सीईओ के खिलाफ चल सकते हैं तो अपराध शाखा में जांच जाने के बाद रजिस्ट्री न करने वाले बिल्डर के साथ-साथ उनके राजनीतिक और सामाजिक सहयोगियों की भी कुंडली बाहर आ सकती है ।

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आशु भटनागर

आशु भटनागर बीते 15 वर्षो से राजनतिक विश्लेषक के तोर पर सक्रिय हैं साथ ही दिल्ली एनसीआर की स्थानीय राजनीति को कवर करते रहे है I वर्तमान मे एनसीआर खबर के संपादक है I उनको आप एनसीआर खबर के prime time पर भी चर्चा मे सुन सकते है I Twitter : https://twitter.com/ashubhatnaagar हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I एनसीआर खबर पर समाचार और विज्ञापन के लिए हमे संपर्क करे । हमारे लेख/समाचार ऐसे ही सीधे आपके व्हाट्सएप पर प्राप्त करने के लिए वार्षिक मूल्य(501) हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : ashu.319@oksbi के जरिये देकर उसकी डिटेल हमे व्हाट्सएप अवश्य करे

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