ग्रेटर नोएडा वेस्ट में मायावती सरकार के दौरान कई बिल्डरों को बड़े-बड़े भूखंड दिए गए और तमाम शर्तों को दरकिनार करके दिए गए इसके बाद उन बिल्डरों ने अपनी सहायक कंपनियों के जरिए उनके नाम पर अलग-अलग प्रोजेक्ट बनाकर बेच दिए । और यही कारण है कि बिल्डरों द्वारा तत्कालीन सरकार के साथ मिलकर किए गए इन घोटालों की सीबीआई जांच तक मामला पहुंचा किंतु आम लोगों को कोई राहत नहीं मिली।
अब नोएडा प्राधिकरण और प्रदेश सरकार एक बार फिर से प्रश्नों के घेरे में है । नोएडा प्राधिकरण ने 10 मई को M3M बिल्डर की दो सहायक कंपनियों की जमीन आवंटन के निरस्तीकरण के आदेश कारण बताते हुए दिए थे। किंतु शासन से आ रही जानकारी के अनुसार अब प्रदेश शासन ने इन दोनों प्रोजेक्ट के निरस्त कारण के आदेश को वापस ले लिया है इस आदेश के वापस होने के समाचार के साथ ही नोएडा में एक बार फिर से किसी बड़े घोटाले की आशंका जताई जा रही है।
1000 करोड़ से ज्यादा के प्लॉट होने के कारण इस मामले पर अब तमाम प्रश्न उठने लगे हैं बताया जा रहा है कि इस मामले में आवंटन को के निरस्त कारण को बहाल करने में कुछ बड़े नेताओ और अधिकारियों की भूमिका बताई जा रही है । जिससे माना जा रहा है कि शासन को रिपोर्ट देने के बावजूद इन दोनों ही वाणिज्य भूखंडों के निरस्तीकरण को वापस बहाल करने में फिर किसी बड़े घोटाले का मामला आने वाले दिनों में सामने आ सकता है । प्रश्न यह भी है कि जिन नियमों के आधार पर नोएडा अथॉरिटी के सीईओ लोकेश एम द्वारा एक्शन लिया गया आखिर उन्ही के आधार पर भेजी आख्या जाने के बाद आखिर वह कौन अधिकारी है जिसने बिल्डर और नेताओं के सिंडिकेट के साथ मिलकर इसको पुन बहाल कर दिया है।
क्या है प्रकरण ?
आपको बता दें कि M3M दिल्ली एनसीआर के बड़े बिल्डरों में जाना माना नाम है । ऐसे में खेल शुरू होता है जब सेक्टर 94 और सैक्टर 72 के वाणिज्य भूखंड के आवंटन से जिसमें m3m की सहायक कंपनियां लविश बिल्डमार्ट प्राइवेट लिमिटेड और स्काईलाइन पॉपकॉर्न प्राइवेट लिमिटेड को ई टेंडर के माध्यम से किया गया ।
बताया जाता है कि 28 फरवरी को रूप सिंह नामक एक शिकायतकर्ता ने प्राधिकरण को पत्र लिखकर ई ब्रोशर में वर्णित नियमों और शर्तों का उल्लंघन करने के आरोप लगाते हुए आवंटन को निरस्त करने की मांग की नोएडा प्राधिकरण ने जांच की और जांच के बाद बाकायदा दोनों कंपनियां की मूल कंपनी M3M को बताते हुए इस आवंटन को 10 मई को निरस्त कर जमीन को कब्जे में लेने का आदेश जारी कर दिया ।
आदेश के जारी होते ही बिल्डर समेत शहर के तमाम ब्रोकर और प्रॉपर्टी डीलर्स में हड़कंप पहुंच गया। पूरे सिंडिकेट द्वारा इस प्रकरण पर बिल्डर के खेल की जगह निवेश को के पैसे डूबने की बातें कही जाने लगी । बिल्डर के सिंडिकेट के लोग नेताओं के घर चक्कर लगाने लगे । यह कहा जाने लगा कि अगर यह आवंटन का निरस्त पुन बहाल नहीं हुआ तो हजारों निवेशकों के पैसे कहां जाएंगे। एनसीआर खबर को मिली जानकारी के अनुसार इन दोनों ही प्रोजेक्ट में मात्र 10% की इन्वेंटरी अभी तक सेल की गई थी किंतु इस सब इन्वेंटरी को बहुत बड़ा दिखाकर पर्दे के पीछे से बड़ा खेल कर दिया गया।
वही मीडिया में आई रिपोर्ट्स के अनुसार M3M इंडिया ने 10 मई को आवंटन निरस्त होने के बाद 13 में को इस मामले में शासन को पत्र लिखकर दोनों भूखंडों के निरस्तीकरण के आदेश को निरस्त किए जाने तथा मामले में सुनवाई का अंतिम अवसर प्रदान की जाने का अनुरोध किया इसके बाद 20 और 29 मई को नोएडा ओएसडी नोएडा की ओर से आख्या उपलब्ध कराई गई प्राधिकरण की ओर से उपलब्ध आख्या और बिल्डर के अनुरोध के आधार पर शासन ने जमीन आवंटन निरस्तीकरण के आदेश को स्थगित कर दिया।
इस पूरे प्रकरण के बाद नोएडा में हंगामा मचा है लोग लगातार एक बार फिर से इन दोनों प्रोजेक्ट में किसी बड़े घोटाले की आशंका जता रहे हैं । बिल्डर की पहुंच सीधे प्रदेश सरकार तक होने के आरोप लगाते हुए इसकी जांच सीबीआई से करने की मांग भी की जा रही है ।