गौतम बुद्ध लोक नगर लोक सभा सीट पर तीसरी बार भाजपा के डॉ महेश शर्मा ने अपने निकटतम प्रत्याशी समाजवादी पार्टी के डॉ महेंद्र नागर को 557000 वोटो से हराकर उत्तर प्रदेश में इतिहास रच दिया है। किंतु पूरे उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा वोटो से हारने का तमगा लेने के बाद गौतम बुध नगर सीट पर क्षेत्र के गुर्जर समुदाय और समाजवादी पार्टी के दिग्गजों के बीच तनातनी शुरू हो गई है ।
संगठन के लोग समाजवादी पार्टी के कमजोर प्रदर्शन के लिए पार्टी प्रत्याशी डॉ महेंद्र नागर की कमज़ोर प्रबंधन और कार्यशैली को मुख्य तौर पर जिम्मेदार मान रहे हैं तो प्रत्याशी के समर्थक इस करारी हार के लिए संगठन के बड़े नेताओ वीर सिंह यादव राजकुमार भाटी, डा आश्रय गुप्ता,और प्रदीप भाटी को जिम्मेदार मान रहे हैं और इनके बदलाव तक की चर्चा कर रहे है। किंतु समाजवादी पार्टी के संगठन और पार्टी प्रत्याशी के समर्थकों का दोनों का एक चीज पर सहमत हैं कि अगर यहां मुस्लिम समुदाय ने एक तरफा वोट नहीं दिया होता तो समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी की जमानत तक जप्त हो सकती थी । पार्टी के मुस्लिम कार्यकर्ताओं का दावा है कि समाजवादी पार्टी को मिले 298000 वोटो में से लगभग पौने दो लाख वोट मुस्लिम समुदाय से है ।
पार्टी प्रत्याशी के समर्थकों और पार्टी के कार्यकर्ताओं का दुख यह भी है कि जब पूरे उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की लहर चल रही थी तब गौतम बुध नगर में कमजोर पार्टी प्रत्याशी होने के चलते उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी हार मिली है ।
पार्टी के कार्यकर्ता ने एनसीआर खबर को बताया कि दुर्भाग्य की बात यह है कि उत्तर प्रदेश में मिली सबसे बड़ी हार का कारण भाजपा के प्रत्याशी का ज्यादा वोट पाना नहीं है बल्कि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को लेकर क्षेत्र के लोगों से ना मिलने की शिकायतों के बाद वोट न देना है। ऐसे में जब पूरे प्रदेश में समाजवादी पार्टी की लहर चल रही थी अखिलेश यादव की रैली होने के बावजूद यहां मात्र ₹298000 वोट मिलना गौतम बुध नगर में तमाम प्रश्न खड़े कर रहा है ।
संगठन के नेता ने एनसीआर खबर से कहा की डॉ महेंद्र नागर ने टिकट पाने के लिए तो बहुत जोर-तोड़ करी, किंतु उसके बाद उनका चुनावी प्रबंधन कार्यकर्ताओं के साथ बिल्कुल सही नहीं था। हालत तो यहां तक खराब थे कि नोएडा के पार्टी कार्यालय में कई वरिष्ठ कार्यकर्ता खाना खाने भी अपने घर जाते थे। नोएडा के कार्यकर्ता का आरोप तो यहां तक था कि डॉ महेंद्र नगर मिल्क लच्छी और आसपास के गांव से ही अपना प्रचार करके खुश थे। क्षेत्र के दोनों कार्यालय पर कार्यकर्ताओं के साथ उनका सीधा संवाद नहीं था जबकि तीसरा कार्यालय चुनाव के आखिरी कुछ दिनों में खोला गया ।
वही प्रत्याशी के समर्थकों ने एनसीआर खबर से बताया कि प्रत्याशी ने टिकट तो ले लिया किंतु उसको संगठन का सहयोग नहीं मिला। संगठन के राजकुमार भाटी, प्रदीप भाटी, डा आश्रय गुप्ता जैसे नेता उसको जहां घूमाते रहे वह वहां वहां घूमता रहा । अगर शहर के लोगों को यह शिकायत है कि प्रत्याशी और उसके समर्थक लोगों तक नहीं पहुंचे तो इसमें दोष इन नेताओं का है। समर्थको का तो यहाँ तक दावा है कि पहली बार टिकट मिलने पर 4 दिनों तक ये नेता प्रत्याशी के साथ तक नहीं थे I जिससे क्षेत्र में प्रत्याशी को लेकर गलत सन्देश भी गया और उसका टिकट बदल दिया गया I
इस सब से अलग समाज के गुर्जर समुदाय के लोगो का दावा है कि क्षेत्र में सपा संगठन आपसी संघर्ष से नहीं उभर पाया। प्रत्याशी समर्थक नोएडा विधानसभा का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि यहां पर जिले महानगर अध्यक्ष की कार्यशैली के कारण वोटो का प्रतिशत बिल्कुल नहीं बढ़ पाया जबकि शहरी क्षेत्र को लेकर बनाए गए इस महानगर अध्यक्ष को इस उम्मीद के साथ लाया गया था कि वह समाजवादी पार्टी का विस्तार शहरी क्षेत्र में करेगा । यद्यपि गौतम बुध नगर जिला अध्यक्ष सुधीर भाटी के पक्ष में प्रत्याशी के कुछ समर्थकों की राय इससे अलग भी दिखी किंतु समाजवादी पार्टी के क्षेत्र के सबसे बड़े नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी को लेकर पार्टी में आवाज़ उठ रही हैं।
लोगों कहना है कि राजकुमार भाटी का व्यक्तित्व टीवी पर बड़ा दिखाई देता है किंतु जमीन पर वह अपने गांव लुहारली में नहीं जीता पाए। गौर सिटी क्षेत्र से हमेशा भाजपा के खिलाफ विकल्प ढूंढने वाले कई युवा नेताओं ने राजकुमार भाटी द्वारा शहरी क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर आंकड़ों को देखें तो गौर सिटी के बूथ पर 15000 वोट बीजेपी को मिले हैं जबकि 1800 वोट समाजवादी पार्टी को मिले । और यह वोट समाजवादी पार्टी द्वारा इस क्षेत्र में बिना आए मिले हैं । जिसका स्पष्ट मत यह है कि अगर पार्टी के वरिष्ठ नेता राजकुमार भाटी शहरी क्षेत्र में लोगों से बातचीत करने का कार्यक्रम शुरू करते तो इस बूथ पर उन्हें कम से कम 5 से 7000 वोट यहां से आराम मिल सकता था ।
गुर्जर समाज के प्रत्याशी को जीताने के लिए भाजपा छोड़कर समाजवादी पार्टी प्रत्याशी के लिए प्रचार करते एक युवा नेता ने एनसीआर खबर को बताया कि पार्टी प्रत्याशी गुर्जर समुदाय की आन के लिए स्वयंसेवकों के तरह काम करने आए युवाओं के साथ भी कोई सहयोग करने को तैयार नहीं थे यहां तक कि उनको गाड़ियों में तेल भी अपना खुद का भरवाना पड़ रहा था ।
जिले में समाजवादी पार्टी की हुई इस करारी हार के बाद गुर्जर समुदाय के लोगों को वापस नरेंद्र भाटी याद आ रहे है । लोगों ने एनसीआर खबर को बताया कि गौतम बुध नगर में समाजवादी पार्टी में जब तक नरेंद्र भाटी जैसा कद्दावर नेता नहीं खड़ा होगा यहां पर पार्टी ऐसे ही चुनाव हारती रहेगी।
वही करारी हार के बाद युवा नेता राहुल अवाना के टिकट दिए जाने और फिर काटकर डॉ महेंद्र नागर के टिकट को दिए जाने का मुद्दा भी एकबार फिर से चर्चा में आ गया है । राहुल का टिकट काटने से भी पार्टी का युवा कार्यकर्ता बेहद नाराज है । युवाओं ने एनसीआर खबर को बताया कि राहुल अवाना नोएडा के रहने वाले हैं, अखिलेश का दीवाना के नाम से प्रसिद्ध युवा नेता हैं और युवाओं का एक बड़ा वर्ग उनके साथ था । इसके साथ ही अखिलेश यादव के प्रिय युवा नेताओं में वो शमिल थे । किंतु उनका युवा और तेज तर्रार होना यहां के मठाधीशों को खल गया ।
मिल्क लच्छी के रहने वाले एक नेता ने कहा कि समाजवादी पार्टी के मठाधीशों ने राहुल अवाना के टिकट होने पर यह सोचा कि अगर यह व्यक्ति यहां से चुनाव लड़ गया तो इसके बाद क्षेत्र में इन मठाधीशों की सारी राजनीति समाप्त हो जाएगी । ऐसे में उन्होंने अखिलेश यादव के पास जाकर डॉ महेंद्र नागर के लिए दबाव बनाया और उनको दोबारा टिकट दिलवा दिया किंतु यही नेता बाद में प्रचार के समय वह काम भी नहीं कर पाए। जिससे समाजवादी पार्टी को विधानसभा में मिले वोटो के बराबर वोट भी मिल पाता और यही कारण है कि क्षेत्र में डॉ महेंद्र नागर साढे 5 लाख वोटो से हारे।
इन सब के अलावा कांग्रेस में डॉ महेंद्र नागर के जिला अध्यक्ष रहते पार्टी से निकाली गई पारूल चौधरी का मामला भी अब डॉ महेंद्र नागर की हार के बाद एक बार फिर से बाहर आने लगा है । कांग्रेस के ही एक अन्य टिकट मांग रहे नेता ने आरोप लगाया कि डॉ महेंद्र नागर ने अपनी राजनीति के लिए हमेशा युवाओं के करियर को खत्म किया है चाहे वह कांग्रेस में पारुल चौधरी का मामला हो या फिर अब समाजवादी पार्टी में राहुल अवाना का मामला हो । उन्होंने कहा कि अगर डॉ महेंद्र नागर को इतना ही कमजोर चुनाव लड़ना था तो उन्हें कम से कम एक युवा नेता के भविष्य के साथ ऐसा खिलवाड़ नहीं करना चाहिए था ।
बहराल अब गौतम बुध नगर में इस करारी हार के बाद जितने मुंह उतनी बातें हो रही हैं एनसीआर खबर ने इस प्रकरण को लेकर डॉक्टर महेंद्र नगर से चुनाव के परिणाम के बाद बात करने की कोशिश की थी किंतु उनसे फोन पर संपर्क नहीं हो सका ।