गौतम बुद्ध नगर में तीनों प्राधिकरण के कर्मचारी भ्रष्टाचार और लालच में सरकारी गोपनीयता की रिपोर्ट्स को प्रतिवादियों तक कैसे बेच देते है, इसकी घटनाएं प्राधिकरण में कई बार देखी गई है । “अक्सर बाड़ ही खेत को खाने लगे तो फसल कहां से होगी” की कहावत को चरितार्थ करने में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कर्मचारी सबसे आगे रहे है । वर्षों से बदनाम इस स्थिति को तमाम कोशिशें के बावजूद सीईओ रवि एन जी अभी तक बदल नहीं पा रहे हैं ।
ऐसा ही एक प्रकरण अब फिर सामने आया है । जानकारी के अनुसार लीजबैक के खारिज 237 मामलों की विशेष जांच दल की रिपोर्ट शासन से तक पहुंचने से पहले लीक हो गई। एसआईटी के अध्यक्ष और यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ अरुणवीर सिंह ने रिपोर्ट लीक होने की जानकारी होने पर एसआईटी के तीन सदस्यों के खिलाफ कार्यवाही की संतुति की है और शासन को रिपोर्ट भेजने से इनकार कर दिया है। सूत्रों की माने तो डॉक्टर अरुणवीर सिंह का कहना है कि कई अधिकारियों की भूमिका इस रिपोर्ट में संदिग्ध पाई गई है और इसके लिए उन्होंने ग्रेटर नोएडा के सीईओ रवि एन जी से शिकायत भी की।
शिकायत के बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ रवि एन जी ने मामले की जांच अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी मेघा रूपम को सौंप दी है। सीईओ के अनुसार कंप्यूटर अनुभाग के दो कर्मचारियों को काम से हटाया भी गया है वही इसमें शामिल बताए जा रहे एक ओएसडी और एक रिटायर अधिकारी पर कार्यवाही की जानकारी अभी तक स्पष्ट नहीं हुई है । प्राधिकरण के सूत्रों का कहना है की रिपोर्ट लीक होने की शिकायत की जांच पूरी होने के बाद ही इसमें शामिल पाए गए लोगों पर कड़ी कार्रवाई होगी ।
वहीं प्राधिकरण के सूत्रों की माने तो इस मामले में शहर के कुछ किसान नेता और भू माफियाओं की भूमिका पर भी प्रश्न उठ रहे हैं। माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के लीक होने और उसकी शिकायत करने के खेल में शहर में कुकुरमुत्ता की तरह उग आये किसान नेताओं की आपसी प्रतिस्पर्धा भी शामिल है । बताया जा रहा है कि इन दिनों किसान नेताओं का एक गुट लीजबैक के मामलों को लेकर लगातार प्राधिकरण में बैठा रहता है और अपनी मनमर्जी से अधिकारियों के साथ मिलकर मामलों को सेटल करता है। जिसके कारण पहले चर्चा में आए एक बड़े किसान नेता ने इसकी शिकायत एसआईटी अध्यक्ष से कर दी। दो नेताओं के बीच के पहचान के संघर्ष के बाद यह घोटाला निकलकर आया । रोचक तथ्य यह है कि दोनों ही किसान नेताओं पर भू माफिया के साथ मिलकर लीजबैक की आड़ में कई कामों को करवाने के आरोप लगा चुके हैं। आरोप तो ये तक लगाया गया है कि पूर्व सीईओ की कृपा विशेष से आगे बढ़े एक अन्य पुराने किसान नेता के पास किसान नेता बनने से पूर्व जब रहने के लिए घर नहीं था वहीं आज उनके चार से पांच व्यवसायिक कांपलेक्स इन्हीं आबादी की जमीन पर खड़े हुए हैं।