दिल्ली क्राइम ब्रांच भारत बांग्लादेश में चल रहे किडनी ट्रांसप्लांट गिरोह की जांच अब नोएडा के नामी अस्पतालों तक पहुंच रही है । दिल्ली पुलिस के सूत्रों की माने तो इस बड़े रैकेट के पर्दाफाश के बाद इसके तार अब नोएडा के बड़े अस्पताल से जुड़ने का प्रकरण सामने आया है। बताया जा रहा है कि दिल्ली पुलिस फिलहाल नोएडा पुलिस से पूरी जानकारी ले रही है।
जानकारी के अनुसार दिल्ली के अपोलो अस्पताल के बाद अब नोएडा के यथार्थ अस्पताल का नाम इस प्रकरण में प्रमुखता से सामने आ रहा है । हालांकि यथार्थ अस्पताल इस मामले से खुद को न सिर्फ अनजान बता रहा है बल्कि सिर्फ यह कह रहा है कि मामले आरोपी बताई जा रही डॉक्टर विजया सिर्फ उनके यहां कंसल्टिंग या विजिटिंग डॉक्टर थी और अस्पताल में तभी आती थी जब कोई केस होता था । किंतु मीडिया में क्राइम ब्रांच के सूत्रों से छान-छान कर आ रही खबर के अनुसार अपोलो ओर यथार्थ अस्पताल में सैकड़ो लोगों के किडनी ट्रांसप्लांट हुए हैं ।
यथार्थ अस्पताल का नाम सामने आने के बाद लोगों का भी कहना है कि क्या ऐसा संभव है कि अस्पताल को कुछ पता ही ना हो और सब काम हो रहे हो । यथार्थ अस्पताल को लेकर ऐसा पहली बार नहीं है जब उसे पर प्रश्न उठे हैं इससे पहले कोरोना के समय भी तमाम तरीके के आरोप अस्पताल पर लगाए गए थे तब भी अस्पताल ने अपने ऊपर लगे आरोपों का इसी तरीके से खंडन कर दिया था।
मार्केट में यथार्थ अस्पताल का नाम सामंने आने पर 0.09 प्रतिशत टूटा शेयर
वही इस पूरे रैकेट प्रकरण में यथार्थ अस्पताल का नाम चर्चाओं में आने के बाद अस्पताल का शेयर आज 0.9% गिर कर 427 80 पैसे पर बंद हुआ। जबकि कल एक समय इसने 448 के स्तर को भी छुआ था आपको बता दें यथार्थ का शेयर लगभग 335 रुपए पर सब्सक्राइब हुआ था। उसके बाद यह 550 रुपए तक गया था । ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि अगर इस मामले में जांच आगे बढ़ी और इसमें अस्पताल के दोषी होने की संभावनाएं बढ़ी तो यह शेयर और भी टूट सकता है।
क्या है प्रकरण ?
इसी साल 16 जून को दिल्ली पुलिस के अधिकारियों को खुफिया विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिलती है कि एक गैंग के लोग अवैध किडनी ट्रांसप्लांट के काले धंधे में शामिल हैं। इनपुट मिलते ही दिल्ली पुलिस हरकत में आ गई और 16 जून उसी सूचना के आधार पर एसीपी (आईएससी/क्राइम ब्रांच) के नेतृत्व में इंस्पेक्टर कमल कुमार, सतेंद्र मोहन और रमेश लांबा एसआई गुलाब सिंह, आशीष शर्मा, समय सिंह, एएसआई शैलेंद्र सिंह, राकेश कुमार, जफरुद्दीन, एचसी रामकेश, वरुण, शक्ति सिंह और कांस्टेबल नवीन कुमार को लेकर एक टीम गठित की गई. जिसने उसी रोज जसोला गांव में छापेमारी की।
टीम को बड़ी कामयाबी हाथ लगी और पुलिस ने मौके से 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। जिनकी शिनाख्त रसेल, रोकोन, सुमन मियां के तौर पर की गई. ये तीनों बांग्लादेश के मूल निवासी हैं. जबकि एक आरोपी की पहचान रतेश पाल के तौर पर हुई, जो त्रिपुरा, भारत का रहने वाला है. इन चारों को पकड़कर पुलिस टीम ने पूछताछ का सिलसिला शुरू किया। और फिर उनकी निशानदेही पर तीन किडनी चाहने वालों और तीन डोनर्स की पहचान कर ली गई. मामला पुख्ता हो चुका था। लिहाजा, पुलिस ने चारों आरोपियों के खिलाफ कानून की संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर लिया।