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राग बैरागी : हाथरस में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा बना दलित राजनीति का नया ठिकाना

राजेश बैरागी । गत 2 जुलाई को हाथरस में एक सत्संग के दौरान हुए हादसे के बाद क्या दलित नेताओं को अपनी राजनीति का नया ठिकाना मिल गया है? बसपा प्रमुख मायावती ने सत्संग करने वाले नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा फेम सुखपाल जाटव की गिरफ्तारी की मांग की है।हाल ही में नगीना (सु.) सीट से सांसद चुने गए चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण ने भी सुखपाल जाटव को बचाने का आरोप मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर लगाया है।

पिछले आठ वर्षों में अपनी बाबागिरी के बूते सैकड़ों करोड़ का साम्राज्य खड़ा करने वाले सुखपाल जाटव उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा का तिलिस्म टूट गया है। हाथरस के सिकंद्राराऊ कस्बे के गांव फुलरई मुगलगढ़ी में सत्संग के बाद चरण रज लेने के चक्कर में 121 स्त्री पुरुषों और बच्चों की जान चली गई।ये सभी दलित बिरादरी के थे। नारायण साकार हरि स्वयं दलित बिरादरी का है। उसके सत्संग में लाखों की भीड़ जुटती है।ऐसा पिछले कई वर्षों से हो रहा है। जुटने वाली भीड़ शत-प्रतिशत दलित लोगों की होती है। बाबा उनकी बीमारी से लेकर उनकी सभी दुख तकलीफों को दूर करने का भरोसा बेचता है।वह दलितों के भरोसे को भी बेचने में लग गया था।सपा प्रमुख अखिलेश यादव उसके कार्यक्रमों में इसीलिए शिरकत करते रहे हैं।

दलित नेताओं की भांति यह बाबा भी कीमती सूट बूट और टाई पहनकर ही भक्तों के सामने आता है। दलित राजनीति में डॉ भीमराव अंबेडकर से लेकर बाबू जगजीवन राम, रामविलास पासवान, कांशीराम और मायावती तक महंगे कपड़े, आभूषण और लग्जरी जीवन शैली का बहुत महत्व रहा है। इससे दलित लोगों में अपने नेता के प्रति गहरा भरोसा और आदर्श जन्म लेता है। पुलिस की नौकरी से निकलने के बाद सुखपाल जाटव ने दलितों के अंधविश्वास और उनके संख्या बल को अपनी बाबागिरी के बिल्कुल उचित पाया। अन्य कुछ बाबाओं की तर्ज पर उसने भी दलित वोटों को बेचने का धंधा किया।हाल के लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में बसपा को दलित वोटों का पहले जैसा साथ नहीं मिला जबकि आरक्षण खत्म होने का डर दिखाकर सपा और कांग्रेस ने दलित वोटों में बड़ी सेंध लगा दी।

नारायण साकार हरि जैसे बाबाओं की दलित वोट बैंक में सेंध लगवाने में भूमिका होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। हाथरस कांड की जांच रिपोर्ट में एस आई टी और बाबा के मुख्य सेवादार देव प्रकाश मधुकर से भी बाबा को दलित समाज के धनी लोगों से चंदा मिलने की बात सामने आई है। राज्य की भाजपा सरकार बाबा की दलितों में फैली जड़ों की गहराई जानने का प्रयास कर रही है।उसी हिसाब से बाबा के विरुद्ध कार्रवाई की दशा और दिशा तय होगी।

बाबा के सहयोगियों में अनेक दलित अधिकारीयों के शामिल होने के भी संकेत मिल रहे हैं। इसके विपरीत दलित वोटों के इस नए सौदागर को लेकर मायावती और चंद्रशेखर आजाद जैसे दलित नेताओं ने मोर्चा खोल दिया है। उन्हें बाबा को निपटाने के लिए हाथरस कांड एक सुनहरा अवसर दिखाई दे रहा है। परंतु उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार राजनीतिक नफे नुकसान का अंदाजा लगाकर ही आगे बढ़ने के मूड में नजर आ रही है। घटना में साजिश का एंगल जोड़ना भी इसी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।

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राजेश बैरागी

राजेश बैरागी बीते ३५ वर्षो से क्षेत्रीय पत्रकारिता में अपना विशिस्थ स्थान बनाये हुए है l जन समावेश से करियर शुरू करके पंजाब केसरी और हिंदुस्तान तक सेवाए देने के बाद नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नौएडा के संपादक और सञ्चालन कर्ता है l वर्तमान में एनसीआर खबर के साथ सलाहकार संपादक के तोर पर जुड़े है l सामायिक विषयों पर उनकी तीखी मगर सधी हुई बेबाक प्रतिक्रिया के लिए आप एनसीआर खबर से जुड़े रहे l

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