आशु भटनागर। वर्षा ऋतु आते ही जिले समेत पूरे प्रदेश में वृक्षारोपण का अभियान शुरू हो चुका है । जगह जगह पक्ष विपक्ष के लोगो के साथ मिलकर पेड़ लगाए जा रहे हैं । राजनेताओं और मंत्रियों के अलावा जिले के तमाम समाजसेवी एक बार फिर से वृक्ष लगाने की मुहिम में जुटे हुए हैं । बीते कई वर्षों का रिकॉर्ड देखें तो वन विभाग के अनुसार इनका सर्वाइवल रेट 70% बताया जाता है जानकारी के अनुसार इस वर्ष भी तीनों प्राधिकरण समेत सभी विभागों को मिलाकर 10 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है ।
पर क्या वन विभाग के दावे दिखावटी हैं ? क्या वन विभाग हर वर्ष पौधे लगाने के नाम पर खानापूर्ति करता है क्योंकि सर्वाइवल रेट 70% भी हो तो भी 2020 से 2024 तक के आंकड़े बताते हैं कि यहां वन क्षेत्र में बिल्कुल भी वृद्धि नहीं हुई है। शहर में बनाई गई सभी ग्रीन बेल्ट में लगाए गए पेड़ कहां चले गए किसी को नहीं पता। इससे भी खराब बात यह है कि वन विभाग की ग्रीन बेल्ट पर भू माफिया कहां-कहां कब्जा कर ले रहे हैं इस पर या तो वन विभाग को पता नहीं है या फिर वन विभाग जानबूझकर आंख मूंद कर बैठा है ।
ऐसी ही एक ग्रीन बेल्ट का पता एनसीआर खबर को ऑपरेशन त्रिलोक पुरम के दौरान छानबीन करते हुए पता लगा। जानकारी के अनुसार तिलपता से साइट C की तरफ जा रही इस ग्रीन बेल्ट को विभिन्न तरीके से भू माफियाओं ने कब्जा कर लिया है वन विभाग के सूत्रों की माने तो उन्हें खुद नहीं पता कि ग्रीन बेल्ट कहां से खत्म शुरू होकर कहां अवैध निर्माण के बीच में आ गई है। दावा है कि एक ऑटोमोबाइल कंपनी का शोरूम भी ग्रीन बेल्ट के ऊपर ही बनाया गया है वही एक मंदिर खड़ा करके इसके साथ कई अवैध गाड़ियां और सब्जी मंडी भी लगाई जा रही है किंतु वन विभाग को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है ।
ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है कि क्या डीएफओ तिलपता से साइटc पर जा रही अपनी ग्रीन बेल्ट को ढूंढ पाएंगे या फिर उन पेड़ों को ढूंढ पाएंगे जो पिछले 15 वर्षों में यहां पर लगाए गए थे या फिर यहां लगाए गए पेड़ों के नाम पर बीते 5 वर्षों में कोई बड़ा घोटाला हो चुका है । आखिर इस ग्रीन बेल्ट में लगाये गए पेड़ किस माफिया ने काट दिए या फिर वन विभाग की ये ग्रीन बेल्ट को कौन खा गया है ?
आपको बता दें कि इसी ग्रीन बेल्ट से लगे 100 बीघा के क्षेत्र में एक अवैध कॉलोनी त्रिलोक पुरम काटी जा रही है जिसके बारे में कहा जाता है कि यह यूपीएसआईडीसी की अधिसूचित जमीन है। यहां पर एस्कॉन इंफ्रा रियल्टर (Escon Infra Realtors) के पनाशे विला (Panache Villa) प्रोजेक्ट के नाम से भी एक सोसाइटी बना दी है जिसके बारे में अभी तक की जानकारी के अनुसार ना तो किसी भी प्राधिकरण से कोई अप्रूवल है ना ही रेरा से किसी तरीके का कोई नंबर लिया गया है और ना ही किसी प्राधिकरण से कोई मैप पास किया गया है 2 करोड रुपए की लागत से बिक रहे यह आलीशान विला बस हवा में बेचे जा रहे हैं। वन विभाग की ग्रीन बेल्ट पर पेड़ो को खा चुके यह प्रोजेक्ट्स क्या आगे जाकर और भी कुछ बड़ा कांड करेंगे ये वन विभाग ही बताएगा ।