जल्द ही यमुना प्राधिकरण में कार्यप्रणाली को अपग्रेड करने के लिए ईआरपी यानी एंटरप्राइजेज रिसोर्स एंड प्लैनिंग को लागू कर दिया जाएगा। इसके लिए यमुना प्राधिकरण ने कंपनियों से प्रस्ताव मांगे हैं। इसमें रुचि दिखाने वाली कंपनियों के साथ प्राधिकरण की प्री बिड मीटिंग हो चुकी है।
यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ अरुणवीर सिंह के अनुसार प्राधिकरण की सबसे बड़ी जरूरत जमीन से जुड़ी है मास्टर प्लान में नियोजित सेक्टर की जमीन किसानों से अधिकृत या क्रय जा चुकी जमीन की स्थिति, आवंटित भूखंडों की जानकारी, किसानों को आवंटित भूखंडों की जानकारी, आरक्षित जमीन के अलावा परियोजना विभाग के विकास कार्य, आवंटी से जुड़े कार्यों आदि को ईआरपी में कैसे समायोजित किया जाएगा यह महत्वपूर्ण है । इन जरूरत को पूरा करने के लिए सामने आई कंपनियां यदि अपने ईआरपी में बदलाव कर पाएंगे तभी इसका लाभ और यूजर को मिल पाएगा । एसीईओ श्रुति को तकनीकी पहलुओं की जांच करने की जिम्मेदारी दी गई है इसके बाद ही प्राधिकरण आगे कदम बढ़ाएगा।
दरअसल ईआरपी को लेकर यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ अरुणवीर सिंह विशेष तौर पर इसलिए ध्यान दे रहे हैं क्योंकि साथ लगे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के पूर्व सीईओ नरेंद्र भूषण ने जल्दबाजी में टेक महिंद्रा के साथ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में ईआरपी लागू करने का प्रपोज एक्सेप्ट कर लिया था और यह असफल साबित हुआ था।
जानकारों की माने तो इस प्रपोजल को लेकर प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ पर 300 करोड़ के घोटाले के आरोप भी लगे थे। यद्यपि बाद में यह 30 करोड रुपए ईआरपी की कास्ट और 5 साल के लिए 35 करोड़ का मेंटेनेंस की बात पर आकर खत्म हुआ । दावा है इस प्रोजेक्ट में टेक महिंद्रा द्वारा साथ हुई करार में कम्पनी द्वारा एक तरफा शर्ते लगाई गई थी जिसके बाद प्राधिकरण में इसके इंप्लीमेंटेशन को लेकर तमाम परेशानियां खड़ी हो गई थी और बाद में ग्रेनो प्राधिकरण ने आईआईटी दिल्ली के साथ इसकी टेस्टिंग और डेप्लॉयमेंट पर रिपोर्ट के जरिए उसको रोक दिया और फिर एक दिन ऐसा भी आया जब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सर्वर ठप्प हो गए थे ।
ऐसे में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के साथ सामने आए अनुभव के बाद यमुना प्राधिकरण इआरपी के मामले को लेकर सतर्कता बरत रहा है ।