जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ यह श्लोक वाल्मीकि रामायण के कुछ पाण्डुलिपियों में मिलता है। इसका अर्थ यह है कि जहां आपने जन्म लिया है, उसकी महत्ता स्वर्ग से भी ज़्यादा है। यानी, हमें अपनी जन्मभूमि को हमेशा सबसे ऊपर रखना चाहिए और इसकी प्रगति और उत्थान के लिए कोशिश करनी चाहिए।
यह एक गहरा कथन है जो भारतीय संस्कृतियों में प्रतिध्वनित होता है और इसका शाश्वत महत्व है। किंतु भारतीय संस्कृति का दिन रात ढोल पीटने वाली भारतीय जनता पार्टी से जिला पंचायत अध्यक्ष बने और अपने गांव समेत पूरे जिले के प्रथम नागरिक अमित चौधरी संभवत: यह भूल गए हैं ।
अमित चौधरी का पैतृक गांव चिपियाना बुजुर्ग अपनी बर्बादी पर रो रहा है और कह रहा है कि उसका एक बच्चा जब जिले का प्रथम नागरिक तक बन गया तब भी इस गांव की सड़कों का कोई उद्धार नहीं हुआ। बारिश बढ़ने के बाद यहां के निवासियों की मुश्किलें और बढ़ गई है । लोगों का कहना है कि यह कोई पहली बार नहीं हो रहा ऐसा अमित चौधरी के जिला पंचायत अध्यक्ष बनने से पहले भी होता था किंतु 2021 में जब अमित चौधरी जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष बने तो लोगों को कुछ उम्मीदें जगी कि शायद अमित चौधरी जिले के प्रथम नागरिक के तौर पर काम से कम अपने गांव की ओर तो कुछ ध्यान देंगे। उनके अधिकार में भी अगर गांव ना आता हो तब भी प्राधिकरण से कहकर वह गांव के विकास की यात्रा को आगे बढ़ाएंगे किंतु ऐसा लगता है कि पद पर पहुंचते ही अमित चौधरी गांव को भूल गए ।
लोगों के अनुसार अमित चौधरी सांसद डॉ महेश शर्मा के बेहद करीबी हैं और अगर वह चाहते तो सांसद निधि से ही इन सड़कों का उद्धार हो सकता था किंतु ऐसा लगता है की अमित चौधरी के पास सांसद के स्वागत सत्कार वाले पोस्टर लगाने के अलावा जनता के हित के काम करवाने के लिए समय ही नहीं है ।
वही गांव के ही एक अन्य निवासी ने बताया कि चिपियाना बुजुर्ग में घर-घर नेता है हालात यहां तक खराब है कि एक-एक व्यक्ति कई कई संगठनों के अध्यक्ष और संयोजक है ऐसे में इस गांव की दुर्दशा के लिए अमित चौधरी के साथ साथ गांव के सभी तथा कथित स्वयंभू नेता भी जिम्मेदार हैं जो पार्टियों के झंडे उठाने में तो सबसे आगे हैं किंतु अपने ही गांव की सड़कों को बनवाने तक के लिए कोशिश नहीं करते ।
गांव के दबंगों ने सड़कों के ऊपर रैंप बना लिए हैं जिसके कारण पानी की निकासी नहीं हो पाती है ऐसे में जब गांव को जोड़ने वाली प्रमुख सड़कों पर बुरा हाल है तो गांव के अंदर की सड़कों की दुर्दशा की तो बात करनी ही बेमानी है ।