main newsNCRKhabar Exclusiveएनसीआरगौतम बुद्ध नगरग्रेटर नॉएडाराजनीतिसंपादकीय

समाजवादी पार्टी कथा I दो नेताओं की वापसी‌ की आहट से सपा में टपके का डर

राजेश बैरागी । क्या लोकसभा चुनावों के बाद बदली परिस्थितियों में कुछ भाजपा नेता समाजवादी पार्टी में वापस जाने की तैयारी कर रहे हैं? और क्या भाजपा का दामन थामने वाले नेताओं के वापसी की कोशिशों से समाजवादी पार्टी के कुछ नेता चिंतित हो उठे हैं? दरअसल राजनीति के मंच पर ताउम्र एक ही किरदार में बंधे रहने वाले कितने लोग हैं। सत्ता का बहाव दृढ़ विचारधारा वाले नेताओं को कब किस ठौर उड़ा ले जाए, कौन जान सकता है।न जाने कितने जन्मजात कांग्रेसी आज भाजपा, बसपा,सपा, तृणमूल कांग्रेस और दक्षिण के राजनीतिक दलों की शोभा बढ़ा रहे हैं।संघ की पाठशाला में शिक्षा लेकर भाजपा का निर्माण करने वाले कई नेता भी तमाम विरोधी विचारधारा वाले दलों में चले गए हैं। ऐसे में भाजपा में आकर यदि कोई नेता वापस समाजवादी पार्टी में जाना चाहे तो किसी को क्यों अचंभा होना चाहिए। आमजन के लिए यह बात जितनी सरल है, पार्टीजनों के लिए उतनी ही बेचैन करने वाली है।

मीडिया में पिछले कुछ दिनों से चल रही अटकलों का लब्बोलुआब यही है कि गौतमबुद्धनगर जनपद के दो बड़े नेता समाजवादी पार्टी में वापसी के लिए प्रयासरत हैं।ये दोनों फिलहाल भाजपा में हैं। इनमें से एक नरेंद्र सिंह भाटी कई बार विधायक रहे हैं और वर्तमान में बुलंदशहर से विधान परिषद सदस्य हैं जबकि मदन चौहान गढ़मुक्तेश्वर सीट से तीन बार के विधायक व पूर्व राज्यमंत्री हैं।

नरेंद्र सिंह भाटी जब तक समाजवादी पार्टी में रहे, कोई और बड़ा नेता उनके सामने खड़ा नहीं हो पाया। गौतमबुद्ध नगर और बुलंदशहर जिलों में गुर्जर बिरादरी में उनकी गहरी पकड़ है।सपा, बसपा, रालोद और अब भाजपा में राज्यसभा सदस्य सुरेन्द्र नागर से बहुत पहले से इस क्षेत्र में नरेंद्र सिंह भाटी गुर्जरों के एकमात्र नेता रहे हैं। उनके भाजपा में जाने से सपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़ा झटका लगा था परंतु बहुत से सपा नेताओं ने राहत की सांस भी ली थी।उस समय गौतमबुद्धनगर निवासी और सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी ने पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से कहा था कि इन लोगों के जाने से पार्टी को फायदा होगा क्योंकि ये लोग पार्टी के लिए नहीं बल्कि अपने लिए ही काम करते हैं।

मीडिया अटकलों की मानें तो वही नरेंद्र सिंह भाटी वापस सपा में जाने की जुगत भिड़ा रहे हैं। उनकी वापसी को लेकर शीर्ष नेतृत्व क्या विचार कर रहा है यह तो वही जाने,परंतु उनके पार्टी छोड़ने से राहत की सांस लेने वाले नेताओं की बेचैनी बढ़ी हुई है। नरेंद्र भाटी केवल नाम नहीं है। उनके खाते में न जाने कितने नेताओं की राजनीति जमींदोज करने के किस्से भरे पड़े हैं।

मदन चौहान सपा में ठाकुर अमर सिंह के प्यादे थे।उनका सूर्य अस्त होने पर मदन चौहान ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से पहुंच बनाई। अखिलेश सरकार में राज्यमंत्री भी बने और भाजपा की आंधी में भी उन्होंने अपनी सीट बरकरार रखी।जब सभी लोग सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा में शामिल होने लगे तो उन्होंने भी भाजपा की राह थाम ली। हालांकि उन्हें यहां आकर कोई लाभ नहीं हुआ। नरेंद्र भाटी भी भाजपा में बहुत सहज नहीं हैं।नरेंद्र भाटी और मदन चौहान के लिए सपा में वापसी की राह उतनी आसान नहीं है जितनी समझी जा रही है परंतु दोनों नेताओं के कद को देखते हुए स्थानीय नेताओं का बेचैन होना भी गलत नहीं है।

दिल्ली नोएडा, गाज़ियाबाद, ग्रेटर नोएडा समेत देश-दुनिया, राजनीति, खेल, मनोरंजन, धर्म, लाइफस्टाइल से जुड़ी हर खबर सबसे पहले पाने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें या एनसीआरखबर वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें।
Show More

राजेश बैरागी

राजेश बैरागी बीते ३५ वर्षो से क्षेत्रीय पत्रकारिता में अपना विशिस्थ स्थान बनाये हुए है l जन समावेश से करियर शुरू करके पंजाब केसरी और हिंदुस्तान तक सेवाए देने के बाद नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नौएडा के संपादक और सञ्चालन कर्ता है l वर्तमान में एनसीआर खबर के साथ सलाहकार संपादक के तोर पर जुड़े है l सामायिक विषयों पर उनकी तीखी मगर सधी हुई बेबाक प्रतिक्रिया के लिए आप एनसीआर खबर से जुड़े रहे l

Related Articles

Back to top button