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मध्य प्रदेश की तरह हरियाणा में अख‍िलेश यादव फिर पियेंगे अपमान का घूंट, हरियाणा में चुनाव लड़ने लड़ने के सपने पर राहुल गांधी की पार्टी ने फेरा पानी

उत्तर प्रदेश में मिली लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में मिली अप्रत्याशित जीत से अखिलेश यादव भले ही स्वयं को बड़ा राजनेता मानते हो किंतु कांग्रेस और राहुल गांधी भी क्या उनको वैसा ही सोचते हैं? हरियाणा के रुझानों को देखते हुए ऐसा नहीं लग रहा है । हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के अनुसार कांग्रेस हरियाणा में सपा से गठबंधन नहीं करेगी ।

आपको बता दें यूपी में कांग्रेस के साथ गठबंधन के बाद सपा को लोकसभा चुनाव में जबरदस्त सफलता मिली थी। ऐसे में  सपा प्रमुख अख‍िलेश यादव यूपी से बाहर खुद को मजबूत कर राष्ट्रीय फलक पर छा जाने के सपने देखने लगे। लेकिन एक बार फिर से मध्य प्रदेश वाली राजनीति होने जा रही है।

सूत्रों के अनुसार, सपा ने कांग्रेस से हरियाणा विधानसभा चुनाव में 3 से 5 सीटों की मांग की है। सपा इंडिया गठबंधन के बैनर तले कांग्रेस के साथ मिलकर हरियाणा में चुनाव लड़ना चाहती है।

दर्शन समाजवादी पार्टी को हरियाणा में भी यादव और मुस्लिम की बदौलत हरियाणा में जीत भरोसा हो रहा है । ऐसे में वो दक्षिण हरियाणा की मुस्लिम और यादव बहुल सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारने की रणनीति बना रही है। लेकिन कांग्रेस के स्थानीय नेतृत्व ने सपा की मांग खारिज कर दी है।

हरियाणा कांग्रेस के सूत्रों की माने तो हरियाणा के यादव उत्तर प्रदेश के यादवो से खुद को एक नहीं मानते हैं ऐसे में कांग्रेस किसी भी तरीके से सपा का यादवों पर अपना दावा मानने को तैयार नहीं है वही हरियाणा में मुस्लिम वोटर्स को लेकर भी कांग्रेस का मानना यह है कि वह हरियाणा में राष्ट्रीय परिपेक्ष को देखते हुए सपा से ज्यादा कांग्रेस के साथ होंगे ।

सपा की इस स्थिति को देखते हुए विश्लेषकों को एक बार फिर से अखिलेश यादव के साथ मध्य प्रदेश वाली स्थिति दिखाई दे रही है जब कमलनाथ ने सीट शेयरिंग से इनकार करते हुए कौन अखिलेश जैसी बात कही थी यदि पर चुनाव के बाद यह बात भी सामने आई थी कि कांग्रेस वहां 2 सीटों पर समाजवादी चुनाव लड़ने के चलते हार गई थी।

लोगों की माने तो अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में बहुत बड़ी जीत के बावजूद दिल्ली में राज कर रही छोटी सी पार्टी आम आदमी पार्टी से बहुत पीछे हैं I राष्ट्रीय स्तर पर आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी है जबकि समाजवादी पार्टी अभी भी क्षेत्रीय पार्टी के तौर पर ही बनी हुई है ऐसे में अखिलेश यादव लगातार राज्यों में चुनाव लड़कर अपने प्रदर्शन को सुधारना चाहते हैं ।

वहीं कांग्रेस के रणनीतिकार उत्तर प्रदेश में तो समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर कांग्रेस को खड़ा करने का ख्वाब देखते हैं किंतु बाकी जगह समाजवादी पार्टी को खड़ा नहीं होने देना चाहते हैं इसके लिए कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व हर राज्य के स्थानीय नेतृत्व को आगे कर देता है । विश्लेषकों की माने तो कांग्रेस अखिलेश यादव की भाजपा के खिलाफ लड़ने की मजबूरी को जानती है इसलिए वह खुलकर जब भी अखिलेश यादव की पार्टी को ना कहना होता है कह देती है वही अखिलेश यादव की समस्या यह है कि अगर उनके गृह राज्य में गठबंधन को लेकर वह किसी भी तरीके की जिद जनता के सामने दिखाते हैं तो उसके परिणाम स्वरुप कांग्रेस को भले ही कोई फायदा या नुक्सान ना हो किंतु समाजवादी पार्टी को बड़ा नुकसान होता है और बीजेपी उतनी ही मजबूत दिखाई देती है।

ऐसे में एक बार फिर से हरियाणा में समाजवादी पार्टी दक्षिण हरियाणा की कुछ सीटों पर अकेले चुनाव लड़ती नजर आ सकती है जिसके कारण अगले दो महीने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच आरोप प्रत्यारोप दिखाई दे सकता है।

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NCR Khabar Internet Desk

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