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किस्से सच्चे झूठे : समाजवादी पार्टी के इंद्र यानी राष्ट्रीय प्रवक्ता इन दिनों परेशान क्यों है ?

आशु भटनागर। पुराणों में हमने देवताओं के राजा इंद्र को अपने सिंहासन की चिंता करते हुए बहुत देखा है अक्सर किसी ऋषि किसी राजा के शक्तिशाली होने पर इंद्र के मन में अपने सिंहासन की सुरक्षा को लेकर तमाम सपने आने लगते हैं और वह डर के माहौल में देवताओं के ही अहित के कई काम कर देते हैं ऐसी ही स्थिति आजकल समाजवादी पार्टी के नए इंद्र की है । फिलहाल जिले में पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले यह इंद्र यानी राष्ट्रीय प्रवक्ता इन दिनों पार्टी में अपने सिंहासन की सुरक्षा को लेकर बेहद चिन्हित है ।

इससे पहले कि हम उनकी समस्याओं को समझे उसे पहले यह समझना जरूरी है कि उनके साथ आजकल सब कुछ उल्टा क्यों हो रहा है? उसका छोटा सा उदाहरण यह है कि चार दिन पहले पुलिस द्वारा 16 करोड़ की हैकिंग और घोटाले में भाजपा के युवा मोर्चे के दादरी नगर अध्यक्ष का नाम आ जाने पर खूब कूद रहे नेताजी शनिवार को अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता के भू माफिया भाई की गिरफ्तारी पर चुप्पी साध गए । लोगों ने पूछना शुरू किया कि क्या समाजवादी पार्टी में एक ही भूमाफिया है या आने वाले समय में कई और ऐसे भू माफियाओ की भी गिरफ्तारी जल्द हो सकती है जो न सिर्फ पार्टी में पदों पर हैं बल्कि 2027 के चुनाव में टिकट की भी दावेदारी कर रहे हैं ।

खैर अपने वरिष्ठ नेता के भूमाफिया भाई  गिरफ्तारी से ध्यान हटाने के लिए नेताजी ने सोशल मीडिया पर बच्चों द्वारा अपनी गाड़ी धोने और साफ करने का वीडियो डालकर माहौल को हल्का करने की कोशिश की। मगर वहां भी लोगों ने बाल श्रम और गाड़ी को लेकर नेताजी को धो दिया । बेचारे नेताजी करते भी क्या, जनता ट्रोल कर रही थी और वह हो रहे थे। ऐसे में समाजवादी पार्टी के ही युवा नेता भी कहां चूकने वाले थे विपिन नागर नाम के एक युवा नेता ने लिखा जो नेता बड़े-बड़े प्रवक्ताओं को ट्रोल करता हो उसको बच्चे ट्रोल कर दे रहे हैं ।

खैर यह तो हो गई नेताजी के सोशल मीडिया और स्थानीय राजनीति की हल्की-फुल्की बातें,  पर अब शहर में चर्चा यह है कि 90 के दशक में गांव देहात मोर्चा के नाम से समाजवादी पार्टी के स्थानीय सजातीय कद्दावर नेता  समेत समाजवादियो को ही चोर डकैत कह कर  विरोध करने वाले नेता ने मौका लगते ही समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया।  परिस्थितियां बदली तो वो कद्दावर नेता जो कभी मुलायम सिंह के करीबी और उस समय समाजवादी पार्टी की शान समझ जाते थे जिनके कहने मात्र से 2 घंटे में डीएम का ट्रांसफर हो जाता था वह भाजपा में चले गए और एमएलसी बन गए ।

संयोग देखिए भाजपा की लहर चली तो अखिलेश के करीबी रहे जिले में समाजवादी पार्टी के दूसरे कद्दावर नेता भी भाजपा में ही चले गए और भाजपा से राजसभा में सांसद बन गए । पार्टी में नेताओं के जाने से जो जगह खाली हुई तो उसमें राष्ट्रीय प्रवक्ता ने मौके को लपक लिया और अखिलेश यादव के लिए गाने लिख लिख कर अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया। किंतु जिले के पुराने समाजवादी पार्टी के नेताओं की शिकायत ही रही कि नेताजी समाजवादी पार्टी की जगह अपनी वही पूराने गांव देहात मोर्चा की राजनीति को समाजवादी पार्टी के नाम पर खेलने लगे इससे जहां एक और जिले में पार्टी कमजोर होती चली गई वहीं पार्टी में जोड़-तोड़कर कर बाकी नेताओं को ठिकाने लगाने के बावजूद नेताजी अपना चुनाव नहीं जीत सके ।

अब खेल में रंग जब आया जब भाजपा में गए पुराने सजातीय कद्दावर नेता भाजपा छोड़कर सपा में आने की तैयारी शुरू हुई । जानकारों की माने तो पुराने कद्दावर नेता भाजपा में जाने को अपनी भूल मानते हैं क्योंकि भाजपा में होने के बाद प्राधिकरण के एक मामले में जेल गए अपने भाई की जमानत में उन्हें 10 महीने लग गए थे। तो सपा भी दादरी सीट को कब्जाने के लिए एक कद्दावर चेहरा तलाश रही है I

ऐसे में चर्चा है कि जैसे ही इसकी सूचना जिले के समाजवादी इंद्र यानी राष्ट्रीय प्रवक्ता और उनके कैंप को हुई उन्होंने फौरन अपने गोदी मीडिया में नेता जी के जाने और रिजेक्शन की खबर प्लांट कर दी । प्रवक्ता के कैंप के सिपासालार के माध्यम से कहलाया गया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष, उक्त नेताजी से बेहद नाराज हैं और उन्होंने किसी भी तरीके की वापसी को लेकर सभी रास्ते बंद कर दिए हैं किंतु राजनीति के जानकार कहते हैं कि लखनऊ की कहानी कुछ और ही है माता प्रसाद पांडे के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद पार्टी लगातार ऐसी सीटों पर ध्यान दे रही है जहां प्रत्याशी और संगठन अक्रमण्य नेताओं के कारण गतिशील नहीं हो पा रहा ।

लोकसभा चुनाव की समीक्षा के दौरान बार-बार यह फीडबैक जिले से गया कि अगर जिले के उक्त कद्दावर नेता इस बार चुनाव लड़ते तो निश्चित तौर पर यह सीट समाजवादी पार्टी के पाले में आ जाती क्योंकि उन नेता के चलते ही दादरी से लेकर बुलंदशहर तक के गुर्जर वोट भाजपा के डॉक्टर महेश शर्मा को चले गए, जबकि राष्ट्रीय प्रवक्ता और वर्तमान जिला अध्यक्ष, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को गुर्जरों के वोट की गारंटी गाजियाबाद से लाये गए बाहरी प्रत्याशी की दावेदारी के मामले में देकर आए थे ।

ऐसे में पार्टी जहां एक और जिले में परिवर्तन की संभावना तलाश रही है तो वहीं नेताजी अपने तंत्र और संपर्कों के जरिए अपनी कुर्सी बचाने के फेर में लग गए हैं । और इसी चक्कर में कभी वह उक्त कद्दावर नेता की सपा में नो एंट्री की खबरें प्लांट कर रहे हैं तो कभी पीडीए के बहाने अपने दावे को एक बार फिर से मजबूत करने में लगे है ।

वहीं लखनऊ सूत्रों की माने तो लखनऊ दरबार इस बार दादरी सीट को विशुद्ध रूप से शहरी मतदाताओं की नजर से देखने की प्रक्रिया अपना रहा है।  ऐसे में पहली बार समाजवादी पार्टी से प्रवक्ता के पीडीए राग के बावजूद किसी सवर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, पंजाबी या कायस्थ को भी टिकट दिया जा सकता है । लखनऊ दरबार तो सितंबर के महीने में ही जिले के अध्यक्ष और कार्यकारिणी में बदलाव की का मन बना चुका था किंतु उपचुनाव के चलते यह बदलाव भी अब संभवत जनवरी तक टल गया है हालांकि इन सब से दूर नेताजी के किस्से लगातार चलते रहेंगे और हम आने वाले दिनों में आपको बताते रहेंगे ।

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आशु भटनागर

आशु भटनागर बीते 15 वर्षो से राजनतिक विश्लेषक के तोर पर सक्रिय हैं साथ ही दिल्ली एनसीआर की स्थानीय राजनीति को कवर करते रहे है I वर्तमान मे एनसीआर खबर के संपादक है I उनको आप एनसीआर खबर के prime time पर भी चर्चा मे सुन सकते है I Twitter : https://twitter.com/ashubhatnaagar हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I एनसीआर खबर पर समाचार और विज्ञापन के लिए हमे संपर्क करे । हमारे लेख/समाचार ऐसे ही सीधे आपके व्हाट्सएप पर प्राप्त करने के लिए वार्षिक मूल्य(501) हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : ashu.319@oksbi के जरिये देकर उसकी डिटेल हमे व्हाट्सएप अवश्य करे

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