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ये ग्रेटर नोएडा है मेरी जान : टूट गया युवाओ का स्टार्टअप का सपना : फैक्ट्री मालिक ने की साजिश, अदालत का आदेश भी धरा रह गया, पुलिस से नहीं मिली मदद

राजेश बैरागी । नोएडा ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में फैक्ट्री लगाने के लिए कैसा माहौल है? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस दावे को कौन झुठला सकता है कि राज्य में कानून व्यवस्था इतनी अच्छी हो गई है कि निवेशकों के लिए उत्तर प्रदेश पहली पसंद बन गया है।

परंतु पटना और कुरुक्षेत्र से आकर ग्रेटर नोएडा में औद्योगिक इकाई लगाने का दो नौजवान उद्यमियों का सपना चकनाचूर हो गया है। उनकी करोड़ों रुपए की मशीनें आंधी बारिश में खुले आसमान के नीचे पड़ी बर्बाद हो रही हैं और लाखों रुपए अग्रिम किराया लेकर फैक्ट्री मालिक ने उन्हें न केवल अंदर घुसने से रोक दिया है बल्कि उनमें से एक उद्यमी को कथित तौर पर शांति भंग करने के आरोप में पुलिस ने अकेले जेल भी भेज दिया।

पटना की मुनमुन सिंह और कुरुक्षेत्र के बलविंदर सिंह ने एक साथ मिलकर ग्रेटर नोएडा में फैक्ट्री लगाने की योजना बनाई थी। दोनों नौजवान उद्यमियों ने इससे पहले देश दुनिया में घूमकर मल्टीलेवल कार पार्किंग के निर्माण की बारीकियां सीखीं और अपने उत्पाद को बेचने का बाजार भी तैयार किया। यूपीसीडा के सूरजपुर स्थित साइट बी की डी-5 औद्योगिक परिसर को उन्होंने साढ़े तीन लाख रुपए प्रतिमाह किराए पर लिया। यहां उन्होंने अपने काम के लिए आवश्यक मशीनें लगाईं जो करोड़ों रुपए की हैं।

इसी वर्ष जनवरी में शुरू हुई यह फैक्ट्री मार्च में ही बंद हो गई।फैक्ट्री मालिक ने उन्हें झगड़ा कर बाहर निकाल दिया। पुलिस से उन्हें कोई सहायता नहीं मिली बल्कि बलविंदर सिंह को शांति भंग के आरोप में जेल भेज दिया गया।उ न्होंने अदालत की शरण ली। सिविल जज (वरिष्ठ संवर्ग) मयंक त्रिपाठी की अदालत ने उनके पक्ष में यथास्थिति का आदेश दिया। परंतु फैक्ट्री मालिक ने उनकी मशीनें निकाल कर खुले आसमान के नीचे रख दीं और उनका फैक्ट्री में घुसना निषिद्ध कर दिया।

एक प्रेस वार्ता में मुनमुन सिंह और बलविंदर सिंह ने फैक्ट्री मालिक पर गुंडागर्दी करने और पुलिस पर सहायता न करने का आरोप लगाया।उनका आरोप है कि फैक्ट्री मालिक का शुरू से ही इरादा साफ नहीं था। उसने किरायानामा अपने स्थान पर अपने जीजा से हस्ताक्षरित कराया। उसमें जबरदस्ती ऐसी शर्तें रखीं जो एकतरफा थीं। इस संबंध में निजी बातचीत में दोनों उद्यमियों ने एक विधायक पर भी इस मामले में फैक्ट्री मालिक का साथ देने की आशंका जताई।उनका अनुमान है कि विधायक के संकेत पर ही पुलिस उनकी गुहार को अनसुना कर रही है।

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राजेश बैरागी

राजेश बैरागी बीते ३५ वर्षो से क्षेत्रीय पत्रकारिता में अपना विशिस्थ स्थान बनाये हुए है l जन समावेश से करियर शुरू करके पंजाब केसरी और हिंदुस्तान तक सेवाए देने के बाद नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नौएडा के संपादक और सञ्चालन कर्ता है l वर्तमान में एनसीआर खबर के साथ सलाहकार संपादक के तोर पर जुड़े है l सामायिक विषयों पर उनकी तीखी मगर सधी हुई बेबाक प्रतिक्रिया के लिए आप एनसीआर खबर से जुड़े रहे l

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