ग्रेटर नोएडा के गोलचक्कर बने रखरखाव के नाम पर मुफ्त में प्रचार का खेल, इस खेल में प्राधिकरण के कुछ अधिकारी और तथाकथित समाजसेवियों का अवैध गठजोड़ भी सक्रिय

NCRKhabar Mobile Desk
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राजेश बैरागी । क्या ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के उद्यान विभाग द्वारा शहर में बने गोलचक्करों को विभिन्न संस्थाओं,फर्मों के प्रचार-प्रसार का साधन बना दिया गया है? गोलचक्कर के साथ सड़कों के बीच सेंट्रल वर्ज को भी रखरखाव (मेंटेन) करने के बहाने सालों साल बिल्डर और विज्ञापन एजेंसी को सौंपने के खेल में प्राधिकरण अधिकारी और तथाकथित समाजसेवियों का अवैध गठजोड़ भी सक्रिय बताया जा रहा है।

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा शहर में सड़कों पर चौराहों के स्थान पर बनाए गए दर्जनों गोलचक्कर बिल्डरों और अस्पतालों के प्रचार के साधन बन गए हैं। अमूमन सभी गोलचक्करों पर किसी न किसी बिल्डर और निजी अस्पताल के बोर्ड लगे हैं। सड़कों के बीच की सेंट्रल वर्ज को भी मेंटेन करने के नाम पर ऐसे प्रचार करने वालों को सौंप दिया गया है। जबकि प्राधिकरण की नीति के अनुसार गोलचक्कर, सेंट्रल वर्ज या ग्रीन बेल्ट के रखरखाव की जिम्मेदारी लेने वाली फर्म और संस्थाओं को प्रति एकड़ भूमि के हिसाब से केवल एक बोर्ड लगाने की अनुमति है।

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हाल ही में खैरपुर गोलचक्कर पर एक अवैध बिल्डर एस्कॉन इंफ्रा रियल्टर्स द्वारा आधा दर्जन बोर्ड लगाकर अपना प्रचार किए जाने का मामला प्रकाश में आया था। इस संबंध में एनसीआर खबर द्वारा समाचार प्रकाशित किए जाने पर प्राधिकरण के आला अधिकारियों की फटकार के बाद रातों रात उक्त बिल्डर के बोर्ड उखाड़कर फेंके गए थे।

प्राधिकरण सूत्रों द्वारा बताया गया कि खैरपुर गोलचक्कर को मेंटेन करने का ठेका किसी अन्य फर्म को दिया गया था जिसने अवैध रूप से एस्कॉन इंफ्रा रियल्टर्स को साइट बेच दी गई थी। अभी तक उस फर्म के विरुद्ध प्राधिकरण द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसी प्रकार अन्य गोलचक्कर और सेंट्रल वर्ज पर बिल्डरों व अस्पतालों ने रखरखाव के बहाने से कब्जा किया हुआ है।

उल्लेखनीय है कि गोलचक्कर, सेंट्रल वर्ज और ग्रीन बेल्ट के रखरखाव तथा क्षेत्र को हरा भरा रखने में जनसहभागिता के उद्देश्य से इन स्थलों को फर्म, संस्थाओं को ठेके पर देने की शुरुआत की गई थी। प्रारंभ में प्राधिकरण द्वारा ऐसे स्थानों को रखरखाव के लिए इच्छुक फर्मों, संस्थाओं को ही सौंप दिया जाता था।

फर्मों संस्थाओं द्वारा रखरखाव में लापरवाही बरतने की समस्या को देखते हुए प्राधिकरण ने इन स्थानों के रखरखाव पर आने वाला खर्च संबंधित फर्मों संस्थाओं से लेकर स्वयं रखरखाव की नीति लागू की। इसके बदले उन्हें प्रति एकड़ भूमि पर अपना एक बोर्ड लगाने का अधिकार दिया गया।

परंतु प्राधिकरण के संबंधित अधिकारियों के वरदहस्त के चलते अब ये गोलचक्कर आदि स्थान प्रचार के साधन बन गए हैं जबकि प्रचार प्रसार के लिए प्राधिकरण की अलग नीति है जिससे प्राधिकरण को अच्छा खासा राजस्व मिलना चाहिए। पिछले दिनों पूर्वी उत्तर प्रदेश से आए अपने एक खास जानकार को मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि कुमार एनजी ने प्रचार प्रसार के लिए गोलचक्करों के रखरखाव का ठेका देने से साफ इंकार कर दिया था।

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