उत्तर प्रदेश के तीनों प्राधिकरण में बरसों से जमे बैठे कई अधिकारियों और कर्मचारियों को शासन ने आखिरकार निलंबित करने का फैसला ले लिया है । जानकारी के अनुसार शासन ने पहले तीनों प्राधिकरण के मिलाकर पांच अधिकारियों को निलंबित किया तो उसके बाद नोएडा के साथ कर्मचारियों को नियुक्त करने की निर्मित करने की सूचना आई ।
पहली सूचना के अनुसार नोएडा प्राधिकरण के वरिष्ठ प्रबंधक आरके शर्मा (जनस्वास्थ्य व नोएडा ट्रैफिक कंट्रोल), ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में वरिष्ठ प्रबंधक आरए गौतम व गुरविंदर सिंह, यमुना प्राधिकरण में डीजीएम राजेंद्र भाटी व यूपीसीडा के प्रबंधक के एन श्रीवास्तव का नाम सामने आया ।
वही दूसरी लिस्ट में नोएडा के 7 लोगो में सुशील भाटी, जो नरदेव सहायक विधि पद पर थे उन्हें सस्पेंड किया गया है इसके साथ ही मैनेजर सुमित ग्रोवर और एच यु फरूख जो नियोजन विभाग में तैनात थे उन पर कार्रवाई हुई है. जबकि SM सिविल आर के शर्मा और स्टाफ़ अफ़सर वीजेंद्र पाल को भी निलंबित किया गया है। इन नामों के अलावा प्रमोद कुमार का भी नाम शामिल है जिन पर सरकार की ओर से बड़ी कार्रवाई की गई है।
एक ही दिन में दो बड़ी कार्यवाहियों के बाद नोएडा ग्रेटर नोएडा और यमुना के कर्मचारियों में हड़कंप मचा है। ग्रेटर नोएडा के कई एसएम और अन्य अधिकारी अभी अगली लिस्ट आने के नाम पर डरे हुए हैं । दावा किया जा रहा है कि कल तक कुछ और लोगों के नाम भी सामने आ सकते हैं ।
वहीं निलंबित किया जाने के बाद प्राधिकरण के कर्मचारियों ने दबे स्वर में यह भी बताया की निलंबित के बाद शासन को यहां पर कर्मचारियों की कमी को दूर करने का भी तो कोई इंतजाम करना पड़ेगा। आखिर लगातार होते निलंबन और ट्रांसफर के बाद तीनों ही प्राधिकरणों में अधिकारियों की कमी होती जा रही है । शासन तीनों प्राधिकरण को चलाने के लिए इस महत्वपूर्ण बात पर ध्यान नहीं दे रहा है ।
आपको बता दें कि नोएडा ग्रेटर नोएडा और यमुना तीनों ही प्राधिकरण में होने वाले कामों के लिए कर्मचारियों की कमी के कारण बहुत फर्क पड़ता है जिसमें शहर के विकास से लेकर बायर्स की रजिस्ट्री का मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है । हालत यह है कि नोएडा के भूलेख विभाग में मात्र 30% कर्मचारियों के साथ काम कराया जा रहा है तो ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण लगातार एसडीएम की कमी से पूछ रहा है । दोनों ही जगह लेखपाल नाम मात्र के लिए हैं नोएडा में चार लेखपाल हैं जबकि ग्रेटर नोएडा में तीन लेखपाल बताए जाते हैं ।
ऐसे ही कई विभागों में अधिकारियों की कमी के कारण प्राधिकरणों की कार्यशैली और यहां होने वाले विकास कार्यों पर प्रभाव पड़ता है ।