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‘एक देश एक चुनाव’ पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में बनी कमेटी की रिपोर्ट को मिली केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी, शीतकालीन सत्र में हो सकता है प्रस्ताव सदन में पेश

One Nation One Election: देश में एक बार फिर ‘एक देश एक चुनाव’ की चर्चा शुरु हो गई है। इसे लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई थी जिसकी रिपोर्ट को अब मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद सरकार आगामी शीतकालीन सत्र में प्रस्ताव को सदन में पेश कर सकती है।

पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर, 2023 को एक साथ चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति गठित की गई थी। समिति ने इस साल की शुरुआत में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 18,626 पन्नों वाली अपनी रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में बताया गया है कि 1951 से 1967 के बीच एक साथ चुनाव हुए हैं। कोविंद कमेटी के सुझावों में कहा गया है कि एकसाथ चुनाव कराने के लिए लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय के कार्यकाल में किसी भी सूरत में परिवर्तन नहीं किया जाना चाहिए। ऐसी स्थिति में अगर केंद्र, राज्य और स्थानीय निकाय में निर्वाचित सरकार अल्पमत में आने के कारण गिरने के कारण मध्यावधि चुनाव की नौबत आती है तो इसके बाद होने वाले चुनाव में जनादेश हासिल करने वाले दल को लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय के पूर्व निर्धारित कार्यकाल तक ही बने रहने का अधिकार होगा।

कोविंद कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार आंध्र प्रदेश राज्य का गठन 1953 में मद्रास के क्षेत्रों को काटकर किया गया था।  उस वक्त इसमें 190 सीटों की विधानसभा थी। आंध्र प्रदेश में पहले राज्य विधान सभा चुनाव फरवरी 1955 में हुए। दूसरे आम निर्वाचन 1957 में हुए। 1957 में, सात राज्य विधान सभाओं (बिहार, बॉम्बे, मद्रास, मैसूर, पंजाब, उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बंगाल) का कार्यकाल लोकसभा के कार्यकाल के साथ समाप्त नहीं हुआ। सभी राज्य विधान सभाओं को भंग कर दिया गया ताकि साथ-साथ चुनाव हो सके।’ राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 को 1956 में पारित किया गया था। एक साल पश्चात् दूसरा आम निर्वाचन 1957 में हुआ।

कोविंद कमेटी के सुझावों में कहा गया है कि एकसाथ चुनाव कराने के लिए लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय के कार्यकाल में किसी भी सूरत में परिवर्तन नहीं किया जाना चाहिए। ऐसी स्थिति में अगर केंद्र, राज्य और स्थानीय निकाय में निर्वाचित सरकार अल्पमत में आने के कारण गिरने के कारण मध्यावधि चुनाव की नौबत आती है तो इसके बाद होने वाले चुनाव में जनादेश हासिल करने वाले दल को लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय के पूर्व निर्धारित कार्यकाल तक ही बने रहने का अधिकार होगा।

जानकारों के अनुसार अगर सरकार की योजना 2029 में साथ चुनाव कराने की है तो इसके लिए उसे अभी से प्रक्रिया शुरू करनी होगी। दरअसल, लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने के लिए सरकार को अनुच्छेद 83 और 172 में संशोधन करना होगा। स्थानीय निकाय चुनाव में संविधान संशोधन करने के बाद इसे देश के आधे राज्यों के विधानसभा चुनावों से सहमति हासिल करनी होगी।



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