शारदा विश्वविद्यालय के हॉस्टल में रह रही बीडीएस की द्वितीय वर्ष की छात्रा ज्योति शर्मा की आत्महत्या के मामले ने एक बार फिर शैक्षणिक संस्थानों में छात्राओं के खिलाफ उत्पीड़न के मुद्दे को उजागर किया है। 22 जुलाई से शुरू होने वाली तीसरे सेमेस्टर की परीक्षा अब निरस्त कर दी गई है। इसके परिणामस्वरूप कई छात्राएं हॉस्टल छोड़कर अपने घरों को लौट गई हैं।
ज्योति ने कथित रूप से अपने प्रोफेसरों द्वारा किए गए मानसिक प्रताड़ना के चलते अपनी जीवन लीला समाप्त की। छात्रों का आरोप है कि डेंटल विभाग में प्रोफेसरों द्वारा तंज कसने और अभद्र भाषा का प्रयोग करना सामान्य हो गया था।
पुलिस मामला और पहले की शिकायतें
यह घटना उस समय सामने आई जब मई 2023 में एक अन्य छात्रा के परिजनों ने दो प्रोफेसरों के खिलाफ उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए नालेज पार्क थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बावजूद, विश्वविद्यालय प्रशासन ने आरोपित प्रोफेसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। आरोप है कि इससे उनके हौसले और बढ़ गए और वे छात्राओं के साथ लगातार दुर्व्यवहार करने लगे।
एक और गंभीर घटना में, दो महीने पहले एक छात्रा पर प्रोफेसर द्वारा गाड़ी चढ़ाने की बात भी सामने आई थी, जिसे विश्वविद्यालय के निदेशक पीआर अजीत कुमार ने खारिज कर दिया।
शारदा विश्वविद्यालय की प्रतिक्रिया
शारदा विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब इस मामले में शामिल फैकल्टी और अन्य स्टाफ को नोटिस जारी किया है ताकि वे अपना पक्ष रख सकें। इस दौरान, ज्योति अपना एक असाइनमेंट जमा करने गई थीं, जिसमें उनके लिए आवश्यक प्रोफेसरों के हस्ताक्षर प्राप्त करना आवश्यक था। प्राप्त जानकारी के अनुसार, जब उन्होंने हस्ताक्षर करने का अनुरोध किया, तो प्रोफेसरों ने मना कर दिया और फाइल फेंक दी।
एक छात्रा ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “ज्योति को पहले भी इस तरह की प्रताड़ना का सामना करना पड़ा था। वो लगातार मानसिक तनाव में थी।”
हॉस्टल में छात्रों की चिंताएं
ज्योति एक सिंगल बेडरूम हॉस्टल में रह रही थीं, जिसका वार्षिक किराया 2.35 लाख रुपये था। इससे पहले, हॉस्टल में 1200 छात्राएं रह रही थीं, जिनमें विदेशी छात्राएं भी शामिल हैं। घटना के बाद से कई छात्राएं भयभीत होकर अपने घर लौट गई हैं।
छात्राओं का यह भी कहना है कि विश्वविद्यालय परिसर में तीन हॉस्टल मौजूद हैं, लेकिन ज्योति की आत्महत्या ने सभी के बीच डर का माहौल पैदा कर दिया है।