उत्तर प्रदेश विधानसभा में गुरुवार को यमुना प्राधिकरण पर पेश कैग रिपोर्ट आने के बाद लखनऊ से लेकर ग्रेटर नोएडा तक हलचल बढ़ गई है । जानकारी के अनुसार रिपोर्ट में कहा गया है कि जमीन खरीद में देरी के कारण 188.64 करोड़ का नुकसान हुआ । यही नहीं यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने यूपी सरकार की अनुमति के बिना ही भू उपयोग बदलकर भूखंड आवंटित कर दिए और उसने एनसीआरपीवी के अनुमोदन के बिना ही अपनी महा योजना 2021 के पहले चरण पर कार्य करना शुरू कर दिया ।
रिपोर्ट के अनुसार प्राधिकरण ने सरकारी एवं निजी जमीन उच्च मूल्य पर अधिकृत की जिसके कारण उसे 128 करोड रुपए अधिक खर्च करने पड़े इसके अलावा जमीन खरीदने में देरी होने के कारण 188.64 करोड़ का अलग से नुकसान हुआ । इसी रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि दूसरे चरण के विकास के लिए चार शहरी केंद्र चिन्हित किए गए थे जिसमें यीडा ने अब तक मात्र अलीगढ़ और मथुरा में दो-दो शहरी क्षेत्रों की महा योजनाएं तैयार की जबकि आगरा और हाथरस में शेष दो अन्य शहरी क्षेत्र की महा योजनाओं को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है
आरोप है कि महा योजनाओं के अभाव में नियोजित एवं अनियंत्रित विकास तथा निर्माण गतिविधियों के क्रियान्वयन से आने वाले समय में नियोजित विकास गतिविधियों में रुकावट आ सकती है अर्जेंसी क्लाज लागू करने के बावजूद अर्जन की प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में अत्यधिक विलंब होने से लगातार नुक्सान हुआ है ।