राजेश बैरागी I क्या नोएडा, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्रों में त्रिलोकपुरम जैसी अवैध कॉलोनियों को जिला पंचायत गौतमबुद्धनगर के माध्यम से नक्शे पास कराकर वैधता दिलाने की कोई साजिश रची जा रही है? या जिला पंचायत को शासन से प्राप्त एक मार्गदर्शन नोट का सहारा लेकर ऐसी अवैध कॉलोनियों में घर खरीदने और प्रोपर्टी में निवेश करने वाले लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है? हालांकि अपर मुख्य अधिकारी श्रीमती प्रियंका चतुर्वेदी ने ऐसे किसी भी निर्माण का नक्शा पास करने से साफ इंकार किया है।
नोएडा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों के क्षेत्रों में नियोजित विकास के चलते आसमान पर पहुंच गई भू-संपत्तियों की दरों से अवैध कॉलोनियां बनाकर बेचने वाले भूमाफियाओं और अवैध बिल्डरों की भी बाढ़ आ गई है। ऐसे बिल्डर और कॉलोनाइजर नोएडा ग्रेटर नोएडा में एक अदद घर का सपना देखने वालों को तमाम तरह से गुमराह कर अपना धंधा चलाते हैं।
प्राधिकरण क्षेत्रों के गांवों की बाहरी सीमा पर होने वाले अवैध कॉलोनी और फ्लैटों के इस धोखाधड़ी के धंधे में जिला पंचायत एक अहम किरदार है। जिला पंचायत से नक्शा पास कराने की गारंटी देकर लोगों को फ्लैट, भूखंड खरीदने के लिए आकर्षित किया जाता है। जिला पंचायत का नाम आने से बहुत से लोग उनके बिछाए जाल में फंस जाते हैं।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र के गांव गुलिस्तान पुर की अधिसूचित सैकड़ों बीघा भूमि पर अवैध रूप से बसाई जा रही अवैध कॉलोनी त्रिलोकपुरम ग्रीन्स में भी इसी प्रकार के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। कभी यूपीसीडा का बोर्ड लगाकर और कभी जिला पंचायत द्वारा नक्शा पास कराने का झांसा देकर। जिला पंचायत को अन्य स्थानीय निकायों यथा विकास प्राधिकरणों तथा नगर निगम आदि के अधिग्रहण से बाहर भूमि पर बनने वाले मकान दुकानों, स्कूल आदि के नक्शे पास करने का अधिकार है।
इस संबंध में जिला पंचायत गौतमबुद्धनगर को शासन से प्राप्त एक मार्गदर्शन नोट में अधिग्रहण से मुक्त परंतु अधिसूचित भूमि पर नक्शा पास करने के जिला पंचायत के अधिकार के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। हालांकि अवैध कॉलोनाइजर अपने मंसूबे पूरे करने वाली बात को प्रचारित कर जिला पंचायत द्वारा नक्शा पास करने की अफवाह फैलाते रहते हैं। हालांकि जिला पंचायत की अपर मुख्य अधिकारी श्रीमती प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा है कि वो ऐसे किसी निर्माण का नक्शा पास नहीं करेंगी। हालांकि सूत्र बताते हैं कि जिला पंचायत कार्यालय में नियुक्त परंतु अवैध कॉलोनाइजर से लाभ उठाने वाले कुछ कर्मचारी ऐसे अवैध निर्माणों के नक्शे पास कराने का प्रयास करते रहते हैं।